मैं लगभग 10 जोड़ों के लिए पार्टी दे रही थी। एक बहुत खास दोस्त जिम्मी जो साठ साल से अधिक उम्र का था लेकिन वास्तव में ज़िंदादिल और आकर्षक था, हमारे शहर आ रहा था और हम उसे घर पर आमंत्रित करना चाहते थे। कई वर्षों पहले वह हमारे ही शहर में रहा करता था और फिर वह मुंबई चला गया।
शाम आगे बढ़ ही नहीं रही थी। मेहमान आपस में घुलमिल ही नहीं रहे थे। मैं जानती थी कि मुझे ही दोषी ठहराया जाएगा। जिन लोगों को मैंने आमंत्रित किया वे एक दूसरे को बहुत अच्छी तरह से नहीं जानते थे, लेकिन फिर भी मैंने सोचा कि वे एक दूसरे से बात करने की कोशिश करेंगे। कुछ शामें मज़ेदार होती हैं और कुछ शामें इतनी बेरंग होती हैं कि मेहमान जितनी जल्दी हो सके विनम्रतापूर्वक लौटने का इंतज़ार करते रहते हैं और शाम के खत्म होने पर मेज़बान राहत महसूस करता है कि उसकी बारी खत्म हो गई है। यह शाम उन नीरस शामों में से एक प्रतीत हो रही थी, आशा थी कि यह जल्द ही खत्म हो जाएगी, मैंने सोचा।
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पुरूष स्टॉक और शेयरों और ज़्यादा पैसे कमाने के तरीकों के बारे में बात करते हुए बार में घूम रहे थे। महिलाएं एक दूसरे से बात कर रही थीं लेकिन वे हार्ड कोर गपशप के करीब नहीं थी; वे शहर में लगी सेल और किसी टीवी धारावाहिक के अजीब मोड़ के बारे में सतही रूप से चर्चा कर रही थी। उनमें से अधिकांश तो बात करने की कोशिश भी नहीं कर रही थी।
मेरी सहेली सुमन थोड़ी देर से आई। सुमन की उम्र 60 साल से ज़्यादा है, लेकिन वह इतनी नखरेबाज़ और फ्लर्टी है कि उसके सामने कोई किशोर भी शर्मा जाए। वह बहुत लंबे समय से अकेली रही है….व्यवहारिक रूप से उसका पूरा वयस्क जीवन। उसका विवाह विनाशकारी था जो सिर्फ दो साल चला था। लेकिन इस वजह से उसने खुद में कड़वाहट नहीं आने दी। एक करीबी दोस्त होने के नाते मैं जानती थी कि वह किस मानसिक शोषण से गुज़री थी। लेकिन वह हमेशा कहती थी कि वह इसके बारे में बात करके इसे और ज़्यादा ऊर्जा नहीं देना चाहती थी।
वह एक तंग सलवार कमीज़ पहने हुए थी। पतले हाथ पैरों के साथ सुमन थोड़ी सी मांसल है। कमीज़ का गला बहुत बड़ा और सिडक्टिव था और उसकी गर्दन के आसपास लपेटा हुआ दुपट्टा उसके वास्तविक उद्देश्य की बजाए एक फैशन स्टेटमेंट के रूप में काम कर रहा था।
मैंने उसके कान में कहा, ‘‘तुम्हारी क्लीवेज दिख रही है और वह भी इतनी ज़्यादा कि मैं उसमें एक पत्र भी पोस्ट कर सकती हूँ।”
उसने कहा, ‘‘मुझे पता है और मुझे कोई परवाह नहीं है।”
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“और शायद यह डिज़ाइन की वजह से है,’’ उसने कहा और मुस्कुराई।
सुमन ने बहुत समय पहले से अपने बालों को रंगना बंद कर दिया था। उसके छोटे सफेद बाल चमक रहे थे और उसका डायमंड ब्रेसलेट उसकी पतली कलाई पर चमचमा रहा था। उसकी आंखों में काजल था लेकिन उसके सिवा उसके चेहरे पर और कुछ नहीं था। वह अपनी उम्र रूतबे के साथ दर्शा रही थी।
सुमन पूरी तरह पार्टी पर्सन है। वह दिलचस्प बातें करती है, बहुत फ्लर्ट करती है और बहुत शराब पीती है और परिदृश्य की मांग पर दिल खोल कर या फिर सिडक्टिव तरीके से हंसती है।
लेकिन उस शाम वह थकी हुई लग रही थी और घुलने मिलने के लिए तैयार नहीं लग रही थी। वह चुपचाप एक कोने में बैठ गई।
“हे भगवान, मैंने कितना कुछ खाने का पकाया है। और डिनर बहुत फ्लॉप लग रहा है। सुमन मेरी आखरी उम्मीद थी।” मैंने सोचा।
जब आखरी स्टार्टस का दौर चल रहा था, तब जिम्मी ने प्रवेश किया। जिम्मी अपने आधे काले आधे सफेद बालों के साथ बहुत आकर्षक लग रहा था – बाल सफेद ज़्यादा थे और काले कम थे। उसने तंग, अच्छी तरह से फिट जींस और सफेद शर्ट पहनी थी।
हम उसे देखकर खुश थे और उसके आसपास के लोगों ने पूछा कि वह कैसा था। सुमन भी उसे जानती थी।
किसी तरह बातचीत का विषय पुराने हिंदी गानों और उनके जादू पर चला गया और यह भी की आजकल के गानों में वो बात नहीं है। हम सब जिम्मी के पीछे पड़ गए कि वो गाना गाए। उसकी आवाज़ कमाल की है। उसने पुराने समय के हेमंत कुमार के गीत ये नयन डरे-डरे, ये जाम भरे-भरे से शुरूआत की।
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और फिर सुमन ने उसके पास जाकर कहा, ‘‘चलो एक डूएट गाते हैं।” कम से कम जिम्मी ने तो धुन में गाया। सुमन ने ज़ोर से गाया, कभी-कभी धुन भी सही थी लेकिन बहुत से ईशारों और डांस के साथ इसकी भरपाई कर दी। वह अनजाने में बहुत सारी त्वचा दिखाते हुए नीचे झुकी। उसका दुपट्टा सरक गया, जिसे जिम्मी ने शानदार तरीके से उठाया और उसके कंधे पर वापस रख दिया। वे हंसते और बात करते हुए एक दूसरे के पास बैठ गए।
जिम्मी को अपने मोबाईल पर बात करने के लिए उठ कर बाहर जाना पड़ा। लेकिन उसने सुमन से कहा, ‘‘देखना यहां कोई और ना बैठे क्योंकि मैं तुम्हारे बगल में बैठना चाहता हूँ।” सुमन खिलिखिलाई, ‘‘बेशक जिम्स, तुम्हारी जगह कोई भी नहीं ले सकता।”
मैं बस मुंह खोल कर उसे देखती रह गई। लेकिन वे दोनों खुश थे और ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें दुनिया की कोई परवाह नहीं है। जिम्मी वापस आया और सुमन के बगल में बैठ गया। उन्होंने एक ही ग्लास में ड्रिंक पीया।
शाम आगे बढ़ चुकी थी। अंताक्षरी खेलने की कोशिश में युवा लोग भी शामिल हो गए। बहुत सारी तालियां बज रही थी और लोगों के पैर थिरक रहे थे।
डिनर परोसे जाने से पहले जिम्मी ने आखरी गाना गाया। उसने सुमन की आँखों में गहराई से देखते हुए गाया ए मेरी ज़ोहराजबीं। सभी लोग खड़े हो गए, उन्होंने तालियां बजाई और कोरस में शामिल हो गए। सुमन और जिम्मी द्वारा फैलाई गई खुशी संक्रामक थी। कमरे में बहुत शोर और हंसी थी।
कौन कहता है लोग बूढे हो जाते हैं? उम्र सिर्फ एक संख्या है। उस शाम ने यह साबित कर दिया। सुमन, डिज़ाइनर कपड़ों में बैठी उन सभी महिलाओं से कहीं ज़्यादा जीवंत थी।
शाम खत्म हो गई। मेहमान जा रहे थे। हमें जिम्मी को एयरपोर्ट छोड़ने जाना था। सुमन आई और उसने जिम्मी को गले लगाया।
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“बहुत-बहुत शुक्रिया, मुझे बहुत मज़ा आया। पता नहीं मैं दुबारा तुमसे कब मिलूंगी। खुश रहना और शुभेच्छा,’’ सुमन ने कहा और उसकी आँखें धुंधली हो गई।
“तुमसे दुबारा मिलना बहुत अच्छा था,’’ जिम्मी ने कहा। उसने सुमन को कस कर गले लगाया और उसकी आवाज़ लड़खड़ा रही थी।
और फिर जिम्मी ने मुस्कुरा कर कहा, ‘‘मुझे लगता है यह फेविकॉल हग है, मैं खुद को दूर नहीं कर पा रहा हूँ।”
उसने वादा किया, ‘‘मैं जल्द ही वापस आउंगा”
एक बार फिर मैंने सोचा कि क्या उनका रिश्ता उससे ज़्यादा गहरा था जितना वह दिखता है।
और मैंने उत्सापूर्वक प्रार्थना की कि मैं सही हूँ। सुमन इस योग्य थी, तो क्या हुआ अगर वह कुछ वर्षों में 70 साल की होने वाली थी! रोमांस और प्यार में उम्र कोई मायने नहीं रखती है।