(जैसा शाहनाज़ खान को बताया गया)
हैप्पिली मैरिड कपल जैसी कोई चीज़ होती ही नहीं है। हाँ, मैंने ऐसा कहा। अगर आप शादीशुदा हैं, तो कहीं ना कहीं आप भी इस बात को जानते हैं। या तो आप इसे स्वीकार करते हैं और जानते हैं कि दुनिया जिसे सुखी विवाह समझती है वह समझने, समझौता करने, अनुमति देने और क्षमा करने का एक दैनिक संघर्ष है। या फिर आप स्वीकार ही नहीं करते।
मैं भी आपके जैसा ही था। मुझे लग रहा था कि मैं हैप्पिली एवर आफ्टर को जी रहा हूँं। तो क्या हुआ अगर शादी के 4 साल बाद, मेरी पत्नी और मैने महज 1 साल साथ में बिताया था। मर्चेंट नेवी में मेरा काम मुझे दुनिया के विभिन्न कोनों में ले जाता था और डॉक्युमेंट्री फिल्म निर्माता के रूप में उसका काम भी। दूरियां प्यार बढ़ाती हैं, और हमारे लांग डिस्टेंस विवाह ने उत्साह बरकरार रखा। हम खुश थे कि हम मिलने के लिए कुछ पल चुरा सकते थे, एक दूसरे के लिए तरस सकते थे और विवाह की रोजमर्रा की सांसारिकता से बच सकते थे। आखिरकार हम दोनों को रोमांच बहुत पसंद था, इसलिए यह व्यवस्था ठीक काम कर रही थी।
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लेकिन ऐसा नहीं था। मुझे लगता था कि यह हमारे नियंत्रण में था, हम हमेशा के लिए दो प्यार में डूबे किशोरों की तरह रह सकते हैं।
लेकिन मुझे एक व्यस्क साथी की सहजता की कमी खलती थी, जिसके साथ मैं अपना हर दिन बांट सकूं। मैं नहीं जानता कि कब मेरा दिल दूर जाने लगा।
मैं विवरण में नहीं जाना चाहता। यह कहना मेरे लिए पर्याप्त है कि मैंने अपनी प्यारी पत्नी को धोखा दिया। ना सिर्फ शारीरिक रूप से बल्कि भावनात्मक रूप से भी। मैं कह सकता हूँ कि यह इस तरह शुरू नहीं हुआ था। यह सिर्फ एक दोस्ताना परिचय था। दो लोग एक दूसरे को जानने लगते हैं। मैं महीनों तक अपनी पत्नी से दूर रहने के कारण भानात्मक और यौन रूप से भूखा होने को दोष दे सकता हूँ। मैं बस थोड़ा सुकून चाहता था। लेकिन मैं जानता हूँ यह बात कितनी खोखली लगती है। मैं एक 32 वर्षीय ज़िम्मेदार व्यक्ति हूँ। और मैं असफल रहा। मैं अपनी शादी में असफल रहा, मैं अपनी पत्नी के लिए असफल रहा और मैंने खुद को विफल कर दिया।
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जब मैंने अपने इस अपराध के बाद पहली बार अपनी पत्नी को देखा, तो मैं बस उसकी बांहों में समा कर रोना चाहता था। अफेयर अपने कारणों से अल्पकालिक रहा था। मैं यह मानना चाहता हूँ कि उन कारणों में से एक मेरा विवेक था। जब मैंने उसे मेरी प्रतिक्षा करते देखा, तो मेरी मुर्खता मेरे सामने आई। लेकिन मेरी शर्म और मेरे भीतर के एक भाग ने कहा कि, ‘‘अपना विवाह बचाओ और अपना मुंह बंद रखो।” मैं जानता था कि वह एक धोखेबाज़ पति को बरदाश्त नहीं कर पाएगी। इसलिए मैं चुप रहा, जितना समय हमारे पास था उसका आनंद लेने की कोशिश में। लेकिन उसने ध्यान दिया कि कुछ गड़बड़ है। और मैंने जितनी ज़्यादा कोशिश की यह उतना ही बदतर होता गया। अगर मैं कुछ ज़्यादा ही अच्छा बनते हुए अपने अपराधबोध को छुपाने की कोशिश करता था, तो वह मुझे चिढ़ाती थी कि मैं क्या छुपा रहा हूँ। अगर मैं कूल बना रहता था और ऐसे दिखाता था कि कुछ हुआ ही नहीं तो वह सोच में पड़ जाती थी कि मैं इतना ठंडा क्यों हूँ। मेरा दिमाग एक जीता जागता नर्क बन चुका था, क्या हो अगर उसे पता चल जाए! क्या हो अगर वही स्त्री इसे ढूंढ ले और सबकुछ बता दे?
विवाह एक डरावनी प्रतिबद्धता है। लेकिन खुद के दोषी, शर्मिंदा और घृणित रूप को देखने से ज़्यादा डरावना कुछ भी नहीं है। वे दो महीने मेरे जीवन के सबसे दुखदायी दिन थे। फिर एक दिन मेरे सामने सच आ गया। मेरी हालत बहुत बुरी थी और मेरी पत्नी को यह पता चल चुका था। कभी ना कभी मेरा दुर्भाग्य मेरे विवाह को तोड़ ही देगा। इस बात को छुपाने से अब कोई फायदा नहीं हो रहा था। मेरा आत्मविश्वास खत्म हो चुका था और मुझे लगता था कि अगर मैंने उसे बता दिया तो मैं भावनात्मक रूप से टूट जाउंगा। मेरी शादी अप्रत्यक्ष रूप से इसकी वजह से धीरे-धीरे और दर्दनाक रूप से खत्म हो जाएगी और कोई भी इसकी वजह नहीं जान पाएगा। तो क्या मैं उसे बचा रहा था? एक हिपोक्रिटिकल नायक बनने की कोशिश करते हुए उससे यह छुपा रहा था कि उसका पति एक अन्य स्त्री के साथ था? लेकिन वह जानती थी कि कुछ गड़बड़ हैं। और अब अपनी नीचता का प्रायश्चित करने के लिए बहुत देर हो चुकी थी। अब समय आ गया था कि मैं कायर बनना छोड़ दूं और सब बता दूं।
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अब वह चर्चा धुंधली दिखाई देती है। मुझे याद है कि मैंने एक स्पीच का अभ्यास किया था लेकिन वह भी स्थिति को सुधार नहीं सकता था। लेकिन जब अंत में मैंने उसे बिठाया, शब्द बस अपने आप निकलते गए। बांध टूट चुका था। वह चुपचाप बैठी रही, एक पल के लिए उसकी आंखें नम हो गई, फिर उसने खुद को नियंत्रित किया। उसने फिर कोई सवाल नहीं पूछा बस चली गई और दरवाज़ा बंद कर दिया। वह मेरे जीवन का सबसे अच्छा और सबसे बुरा पल था। सबसे अच्छा इसलिए क्योंकि कुबूल करने के बाद मुझे बहुत हल्का महसूस हो रहा था। सबसे बुरा इसलिए क्योंकि मैं जानता था कि मेरी शादी टूट चुकी है। मैं उसे बताने के कारण खुश नहीं था, लेकिन मैं उतना बुरा भी महसूस नहीं कर रहा था।
और मैं कैसा था यह मायने नहीं रखता था बल्कि वह कैसी है यह मायने रखता था। जिस स्त्री को मैंने अपना प्यार, जीवन और वफा देने का वादा किया था।
और अंत में मैंने उसे प्राथमिकता दी। उसे धोखा देना मेरा निर्णय था। लेकिन सच जानना उसका हक था।
(यह जोड़ा अब अपने विवाह पर काम करने की कोशिश कर रहा है और एक साल से अधिक समय से एक सलाहकार के पास जा रहा है)