शब्द बहुत ज़रूरी होते हैं मगर सही समय पर सही शब्द हर बार नहीं निकलते. अब हम सब तो ग़ालिब और गुलज़ार नहीं हो सकते हैं न. कई बार मन करता है की किसी को एक छोटे से मैसेज में अपने मन की सबसे गहरी बात कह दें मगर क्या करें, शब्द ही मिलते. हैं न?
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