हम सब यह कर चुके हैं। जब भी हम किसी रेस्त्रां में किसी जोड़े को एक दूसरे को ‘जानू’ या ‘शोना’ बुलाता देखते हैं, और आप आगबबूला होना चाहते हैं, ना सिर्फ इसलिए कि सार्वजनिक स्थान पर प्यार का हद से ज़्यादा मीठा प्रदर्शन खीज पैदा करने वाला है, बल्कि इसलिए भी क्योंकि यह आपको याद दिलाता है कि आप अब भी पूरी तरह अकेले हैं। हम सब ऐसे जोड़ों को नापसंद करते हैं लेकिन हममें से जो लोग संबंध चाहते हैं, वे इसी प्रकार की हद से ज़्यादा मिठास चाहते हैं। शायद ‘जानू’ शब्द के बिना! (इस शब्द के प्रति मेरी अतार्किक घृणा है, और लगता है ट्विटर वाले अधिकांश भारतीय मुझसे सहमत हैं!)
खैर, प्यार के इन दो शब्दों (खीज पैदा करने वाले) की तरह, ऐसी अन्य चीज़े भी हैं जो केवल भारतीय जोड़े ही करते हैं।
1. बगीचों में मिलना
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हम सभी बचपन में बगीचे में जाना पसंद करते थे। हालांकि, पार्क में जॉगिंग ट्रैक पर बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के अलावा, जब बात शहर भर के बगीचों की हो, तो जोड़े एक बड़ी भूमिका निभाते हैं। कारण स्पष्ट है। हमारे समाज में एक औपचारिक डेटिंग (पुराने शब्दों में कोर्टशिप) की अवधारणा नहीं है इसलिए अधिकांश लोग जो एक दूसरे को डेट कर रहे हैं वे अपने माता-पिता को बताए बगैर ऐसा कर रहे हैं। इसलिए एक दूसरे से मिलना गुप्त रूप से किया जाना चाहिए। बगीचे (उनके मोहल्ले से दूर हो तो बेहतर) इस प्रकार के मिलन के लिए स्थान प्रदान करते हैं।
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2. छुप छुप कर डेट करना
डेटिंग, जिस नाम से इसे पश्चिमी विश्व में जाना जाता है, हमारे लिए यह अपेक्षाकृत नया है। आमतौर पर हमारे सिर पर शादी मंडराती रहती है और सामान्य डेटिंग को व्यापक रूप से गलत समझा जाता है। हम यह भी जानते हैं कि हमारे माता-पिता या शुभचिंतक जल्द ही हमारी शादी की बात उठा देंगे। यह भी एक तथ्य है कि हो सकता है वे इस विचार को स्पष्ट रूप से अस्वीकार कर दें कि आप अपनी स्वतंत्र इच्छा से किसी को डेट कर रहे हैं। अगर हम अपने परिवारों को इस बारे में ना बताएं तो यह डेटिंग को कहीं अधिक सुविधाजनक बनाता है।
3. संयुक्त परिवार का नज़ारा
ऐसा लग सकता है कि यह परिवार के साथ रहने वाले केवल कुछ जोड़ों पर ही लागू होता है, लेकिन जानते हैं क्या, यह थोड़े नहीं हैं। यह भारत की बड़ी संख्या है। विवाहित जोड़े की परिवार के साथ रहने की अवधारणा (आमतौर पर पुरूष के माता-पिता) बाहरी व्यक्ति को शायद रहने की एक अनूठी व्यवस्था लगे, लेकिन यहां पर यह सामान्य है; भले ही अब स्थितियां बदल रही हैं।
4. स्मारकों पर हमारे अद्वितीय निशान
यह किसी भी तरह से गर्व करने योग्य बात नहीं है, लेकिन हम यह इतना ज़्यादा करते हैं कि यह उल्लेखनीय है। भले ही यह रेत पर हो, बगीचे में किसी पेड़ पर हो, ऑफिस में कोई ईमारत हो या ऐतीहासिक स्मारक हो, हमें उनपर अपने निशान छोड़ने का जुनून है। वास्तव में! हम में से कुछ अपने नाम उकेरते हैं और उसके आसपास एक दिल भी बनाते हैं। जब आप इसे रेत पर करते हैं तो यह प्यारा लगता है। लेकिन अगर आप ताजमहल के किनारे पर कुछ उकेरना चाहते हैं तो यह अपराध है।
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5. लोग क्या कहेंगे!
हम सबने इस का एक संस्करण सुना है! ‘‘लोग क्या कहेंगे!’’ या ‘‘ज़माना क्या कहेगा!’’ इस वाक्य ने यह सुनिश्चत कर दिया है कि लोग विवाहित रहें, भले ही वे सुखी हो या नहीं या बस मूल रूप से पालन कर रहे हों। यह हमेशा हमारे जीवन पर सकारात्मक प्रभाव नहीं रहा है। हालांकि, यह एक प्रभाव है जो प्रमुख रूप से मौजूद है। ‘लोग क्या कहेंगे!’ कुछ जोड़ों के लिए इस हद तक उत्प्रेरक के रूप में काम करता है कि इसे एक संबंध का तीसरा पहिया कहा जा सकता है। यह वाक्यांश संबंध में सीमाएं निर्धारित करता है और नियंत्रित करता है कि हम एक समाज के रूप में संबंध को किस तरह देखते हैं।
6. स्नेह का सार्वजनिक प्रदर्शन
नहीं, मैं यह नहीं बताने वाला हूँ की भारतीय जोड़े प्रेम का बहुत सार्वजनिक प्रदर्शन करते हैं। बल्कि इसके विपरीत। हमारे समाज में सेक्स और शारीरिक स्पर्श इतना बड़ा निषेध है कि हम इसके बारे में कभी कबार ही स्पष्ट रूप से बात करते हैं। जहां शहरी स्थानों में आलिंगन करना सामान्य है, चुंबन करना कलंक लगाने योग्य है। लेकिन लोग चुंबन करते हैं और हमेशा उनके घर के एकांत में नहीं। अंतरंग होने के लिए एक स्थान ढूंढना आसान नहीं है जब हममें से अधिकांश अपने माता-पिता के साथ रहते हैं। इसलिए वे दोस्त जो अकेले रहते हैं, स्थान के प्रदाता बन जाते हैं। होटल, रेस्त्रां और यहां तक की झाडियां भी ऐसे स्थान हैं जहां आप एक जोड़े को चुंबन करता हुआ पाएंगे।