जैसा सौरभ दलाल को बताया गया
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मैंने हमारी नन्हीं राजकुमारी को परियों की कहानी सुनाई, जब मेरी पत्नी रात के खाने के बाद मेज साफ कर रही थी। आज का दिन ऑफिस में सचमुच थका देने वाला दिन रहा और मुझे खुशी हुई जब हमारी बेटी अंततः सो गई। मुझे अब भी हमारे न्यू यॉर्क कार्यालय में कुछ ईमेल भेजने थे। जब मैं अपने मैकबुक पर उन्हें टाइप कर रहा था, मैं सुन सकता था कि मेरी पत्नी डिशवॉशर से क्रॉकरी निकाल रही है और उन्हें व्यवस्थित कर रही है। वह कभी भी रात भर बर्तनों को गंदा रखना पसंद नहीं करती। कहती है कि उससे किटाणु और कीड़े पैदा होते हैं। वह सफाई के लिए सनकी है और इतने वर्षों में मैंने सीख लिया है कि उसे अपनी इच्छानुसार काम करने दूँ। इसके अलावा, आखिर कौन एक साफ-सुथरे घर में रहना नहीं चाहता!
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मैं अपने अंतिम ईमेल पर था, जब वह लीविंग रूम में आई, उसका चेहरा पसीने से चमक रहा था और उसकी लटें उसके तीखे नैन-नक्श को बढ़ा रही थी। मैंने उसे देखा और वह मुझे देख कर मुस्कुराई, ‘‘व्यस्त हो टाइगर?’’ मेरी धड़कने तेज़ हो गईं। हे भगवान! ऐसा लग रहा है यह आज रात कुछ करने के मूड में है। ‘‘हां, कुछ ईमेल भेजने थे। लेकिन काम लगभग खत्म हो चुका है।” ‘‘अच्छा है,’’ उसने कहा और पीछे मुड़े बगैर हमारे बैडरूम में चली गई।
मूड में!
ऐसे थकाऊ दिनों में जब भी वह संकेत देती है कि वह कुछ करना चाहती है, मैं उलझन में पड़ जाता हूँ। मेरे दिमाग का एक भाग उत्तेजित हो जाता है और परवाह करने लगता है और मुझे याद दिलाता है कि अपनी प्यारी पत्नी के लिए पति के रूप में अपने कर्तव्यों को पूरा करना कितना महत्त्वपूर्ण है; जबकि दूसरा भाग यह तर्क देते हुए विरोध करता है कि कुछ ही देर पहले मेरी थकी हुई मांसपेशियां उसमें नहीं बल्कि बिस्तर में डूबना चाहती थीं। हैरानी की बात नहीं है कि जो भाग मुझे पति के कर्तव्यों की याद दिलाता है, वह जीत जाता है। आखिर एक पुरूष को वही करना होता है जो उसकी पत्नी उससे अपेक्षा रखती है। मेरे कज़िन ने मुझे यह ठोस सलाह दी थी, भले ही अलग संदर्भ में!
शयनकक्ष में प्रवेश करने पर, मेरे लिए एक और प्यारा सरप्राइज़ था।
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छत की क्रत्रिम लाइट के अलावा, अन्य सभी लाइटें बंद थीं। इसका अर्थ था कि वह आज रात को कुछ कल्पनाओं के लिए तैयार थी।
वह चादर के नीचे थी और नग्न कंधे बाहर निकल रहे थे, मुझे अंदाज़ा था कि चादर के भीतर भी अधिक कपड़े नहीं थे।
कल्पना लाना
मैं उसके साथ चादर के भीतर सरक गया। वह मुझसे दूर देख रही थी। मैं उसके कान में बुदबुदाया, ‘‘हाय स्वीटहार्ट! आज शरद ने फोन किया था। वह चाहता है कि इस सप्ताहांत पर हम उसके घर डिनर पर जाएं।” ‘‘हां, स्वाति ने भी मुझे फोन किया था,’’ उसने कहा। शरद मेरा करीबी दोस्त है और स्वाति उसकी पत्नी है। वे अच्छा, सुंदर, मज़ेदार जोड़ा है और हम इतने वर्षों में उनके साथ कई बार छुट्टियों पर गए हैं। उनके साथ हमारी अच्छी घनिष्ठता है। ‘‘तो तुम क्या पहनने वाली हो?’’ मैंने पूछा। ‘‘हम्म्, शायद वह डेनिम स्कर्ट और क्रॉप टॉप पहनूंगी जो तुम मेरे लिए न्यू यॉर्क से लाए थे। क्या तुम्हें लगता है शरद को वह पसंद आएगा?’’ मैं सुन सकता था कि उसके प्रश्न में शरारत की झलक थी। यह वह ट्रिगर था जिसकी आवश्यकता मुझे अपनी थकान मिटाने के लिए थी। प्रत्युत्तर में मैंने उसे चूमा और जल्द ही हम संभोग के बहुत रोमांचक और प्यारे सत्र में संलग्न थे।
इतने वर्षों में, हमने पाया है कि जब भी हम हमारी प्रेम वार्ता में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी अन्य व्यक्ति या उपन्यास की स्थिति प्रस्तुत करते हैं, जिसे हमारा समाज वर्जित मानता है, हमारे प्रेम संबंध बहुत गहन और अविस्मरणीय होते हैं।
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यह लगभग ऐसा है कि अन्य व्यक्ति या नई स्थितियों का उल्लेख हमारे बिस्तर पर नवीनता का कारक लाता है, जो नैतिक रूप से भ्रष्ट है, फिर भी, बहुत स्वाभाविक रूप से, आनंददायक है।
मैंने कई बार सोचा है कि क्या ऐसी चीज़ों के बारे में कल्पना करने पर हम सही हैं? क्या वास्तविकता में नहीं बल्कि विचारों में किए गए हमारे कार्य भी बेवफाई माने जाते हैं? हम खुशकिस्मत हैं कि हमारे बीच इतना भरोसा और आत्मविश्वास है कि हम अपनी कल्पनाओं के बारे में खुले तौर पर बात कर सकें। हमारे बीच कुछ खास है जो हमारे मज़बूत संबंध का हिस्सा है। लेकिन क्या हो अगर यह हमें स्वच्छंदता या अनौपचारिक क्षेत्रों में ले जाए? क्या हो अगर किसी दिन वह या मैं अपनी कल्पनाओं में कुछ ज़्यादा ही दूर निकल जाएं?
मैं जानता हूँ कि ऐसे कई नैतिकतावादी व्यक्ति हैं जो हमारे ही भले के लिए कहेंगे कि हम कुछ ज़्यादा ही कामुक हैं। लेकिन फिलहाल मैं सिर्फ इतना जानता हूँ कि संभोग करते समय यह हमारी उत्तेजना और आनंद को बढ़ाता है। यह हमें जीवित बनाता है। यह हमारे विवाह और जुनून को जीवित रखता है। और हर बार जब हम कल्पना करते हैं, यह हमें एक व्यक्ति के तौर पर पुनर्जीवित करती है, भले ही सीमित समय के लिए। यह एकरसता और अरुचि को दूर कर देता है। इन कल्पनाओं की बदौलत हमारे लिए संभोग कभी नीरस नहीं रहता। आखिर अंत ही सबसे महत्त्वपूर्ण होता है ना की तरीका। मेरे बॉस की ठोस सलाह, हालांकि पुनः एक भिन्न संदर्भ में।