(पहचान छुपाने के लिए नाम बदल दिए गए हैं)
बार की महिला
यह वर्ष 2013 था और मैं अपनी पहली किताब ‘दि रिबन ट्रैप ’ पर काम कर रहा था। लेखन के बीच में, पता नहीं कहां से राइटर्स ब्लॉक आ गया। मेरी नायिका की राह में अवरोध आ गया था।
मैंने एक उद्देश्यहीन बाइक राइड पर जाने का फैसला किया। लेकिन हर उद्देश्यहीन यात्रा के पीछे एक उद्देश्य होता है। मेरी बाइक सीधे गोआ के वद्देम में मारिया रत्ना के बार पर पहुंच गई थी। उसके तीन बच्चे थे, दो लड़कियां और एक लड़का। मैं वहां एकमात्र ग्राहक था। मारिया ने एक मुस्कान के साथ मेरा स्वागत किया।
“अकेले?’’
मैंने सोचते हुए कहा, ‘‘कभी-कभी हमें अपनी आत्मा की आवाज़ सुनने के लिए अकेले होना चाहिए।”
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मुझे पता नहीं था कि वह मेरी बात समझी थी या नहीं। उसने हामी में सिर हिलाया और मेरा नियमित कॉम्बिनेशन, गोअन काजू फैनी और लैप्पो रवा फ्राई लेने के लिए अंदर चली गई। मैंने वह सवाल पूछने का फैसला किया जो मैं उससे लंबे मसय से पूछना चाहता था।
“तुम्हारा नाम अनोखा है!’’ मैं मुस्कुराया। जब वह वापस आई तो मैंने कहा ‘‘मारिया एक ठेठ ईसाई नाम है और रत्ना हिंदू नाम है।
काउंटर में बैठते हुए उसने हामी में सिर हिलाया।
मैंने एक सेकंड के लिए इंतज़ार किया और फिर पूछा, ‘‘क्या कोई विशेष कारण है? या यह बस सामान्य है।”
उसने कंधा उचका कर कहा, ‘‘कुछ भी असामान्य नहीं है। मैं हिंदू थी। कुछ साल पहले मैंने धर्म परिवर्तन कर लिया।”
“ओह” स्पष्ट रूप से स्वार्थी कारणों की वजह से मैं चाहता था कि वह और ज़्यादा बताए। मारिया वह कहानी हो सकती थी जिसका मुझे इंतज़ार था। ‘‘तुम्हारे नाक नक्श और उच्चारण दक्षिण भारतीय है।”
वह हंसी, ‘‘और मेरे बच्चों का क्या? क्या वे गोउन दिखाई देते हैं?’’
मैंने कोई जवाब नहीं दिया।
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जिस पुरूष ने उसे धोखा दिया था
“मैं आंध्र से हूँ।” उसने मुझसे नज़रें चुराईं फिर उसने भावनात्मक आवाज़ में मुझे अपने जीवन की कहानी सुनाई।
रत्ना सिट्टी किशोरावस्था में थी जब उसे नागराजू से प्यार हुआ जिसका ‘विदेश में व्यापार’ था।
वह गांव की अधिकांश लड़कियों के लिए सपनों का राजकुमार था। वह यदा-कदा ही गांव आता था। वह सिगरेट पीता था, पॉलिस्टर के ट्राउज़र, चमकीली शर्ट और गॉगल्स पहनता था। लड़कियां उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए सजती संवरती थी। लेकिन, वह इतना व्यस्त होता था कि उनपर ध्यान ही नहीं देता था।
उसने रत्ना को छोड़कर बाकी सबको नज़रंदाज़ कर दिया।
वह उसे देखकर मुस्कुराया। यह रत्ना की बदकिस्मति थी कि वह उसे देखकर मुस्कुराया था। उसे सिर्फ एक मुस्कान की वजह से ही उससे प्यार हो गया। कुछ ही दिनों में, वह उसके साथ भाग गई। उसने अपने दोस्तों से कहा कि वह नौकरी की तलाश में शहर जा रही है।
उसकी यात्रा गोआ के रेड लाइट क्षेत्र की एक झोपड़ी पर जाकर खत्म हुई। उस दिन वह उसकी ज़िंदगी से गायब हो गया। उसने कड़वा सच निगल लिया कि उसके व्यापार का निवेश वही थी। जनता के लिए पेश होने से पहले, एक माह तक विशेष मेहमानों द्वारा उसका क्रूरतापूर्वक बलात्कार किया गया। उसका बलात्कार करने वाले हर पुरूष में उसे नागराजू का ही चेहरा नज़र आता था। रत्ना का तन और मन दोनों टूट चुके थे।
उसके पास लड़ने के लिए कोई साहस नहीं बचा था। उसे खुद से नफरत हो गई थी और वह मृत्यु की प्रार्थना करती थी। फिर एक दिन, उसे अहसास हुआ कि वह गर्भवती है। और वह उलझन में पड़ गई कि वह अपनी मौत की कामना करे या अपने बच्चे के साथ शांतिपूर्ण जीवन की।
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बच्चे से छुटकारा पाउं या!
उसने केयरटेकर मैडम जी से यह बात छुपाए रखी। लेकिन ज़्यादा समय तक नहीं! उस महिला को सच पता चल गया जब रत्ना पांच महीने की गर्भवती थी। रत्ना की गर्भावस्था से ज़्यादा, वह महिला नागराजू से नाराज़ थी क्योंकि उसने यह दावा करके अत्यधिक राशि ली थी कि वह कुंवारी है।
“इस अनचाहे बच्चे से छुटकारा पा लो वरना मैं तुम्हें मार डालूंगी,’’ मैडम जी ने कहा।
रत्ना ने दृढ़ आवाज़ में कहा ‘‘अगर आपने मेरे बच्चे को कुछ भी किया, तो मैं आत्महत्या कर लूंगी।”
मैडम और उनकी असिस्टैंट्स ने उसे मनाने के लिए हिंसक तरीके अपनाए, हालांकि वे उसके चट्टान जैसे दृढ़ संकल्प के सामने विफल रहे।
अंत में, मैडम ने प्रस्ताव रखा। उन्होंने गुस्से में कहा ‘‘बच्चे को मत मारो, लेकिन भले ही तुम्हारी स्थिति कैसी भी हो, तुम किसी भी ग्राहक को मना नहीं करोगी। काम से बचने के लिए यह बहाना नहीं होना चाहिए।”
“आप तो ऐसे कह रही हैं जैसे कि मेरे शरीर पर आपका अधिकार है।” रत्ना इस तरह उनकी बात मानने के लिए तैयार नहीं थी। ‘‘अगर मुझे इच्छा हुई तो मैं तैयार हो जाउंगी, अन्यथा नहीं। आप चाहे तो मुझे जीते जी नर्क में ले जा सकती हैं। लेकिन मुझसे अपना गुलाम बनने की उम्मीद मत रखना।”
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मैडम हक्की-बक्की रह गई। वह दांत पीसते हुए कमरे से बाहर निकल आई। उसके बाद वह भूखों मरने लगी। उन्होंने उसे एक छोटे से कमरे में बंद कर दिया। हालांकि, रत्ना स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थी। उसने सोचा कि हर रोज़ मरने से तो अच्छा है एक बार मरना।
उसे तब तक ग्राहकों के सामने प्रस्तुत किया जाता रहा जब तक उन्होंने उसे चुनना बंद नहीं कर दिया, जब उसके भीतर का बच्चा सात महीने का हो गया। बच्चा आठ महीने और बीस दिन में इस दुनिया में आ गया। यह देखकर उसका दिल टूट गया कि उसकी संतान एक लड़की थी। कोठे में जन्मी बच्ची और कुछ नहीं बल्कि एक वैश्या ही बन सकती थी!
एकमात्र रास्ता था वहां से भाग निकलना।
उस पुरूष ने कहा कि मैं तुम्हारी आत्मा से प्यार करता हूँ
कोठे में रहने वाली लड़कियों के पैरों में अदृश्य बेड़िया होती हैं। उनकी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया जाता है। वे लड़कियां जहां भी जाती हैं कुछ नज़रें उनका पीछा करती रहती हैं। उन्हें शहर में जाने या बाहरी लोगों के साथ घुलने-मिलने की अनुमति नहीं थी। उस क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले गुंडे यह सुनिश्चित करते थे कि उनकी व्यावसायिक संपत्ति समाज से पूरी तरह दूर रहे।
तभी उसके पास लगभग 30 साल की उम्र का एक आकर्षक ग्राहक अमन आया। वह उसकी परवाह करता था। उसकी आंखों में एक ऐसी सच्चाई थी जो उसके किसी और ग्राहक में नहीं थी। उसने कहा, ‘‘मैं तुम्हारा ग्राहक नहीं हूँ, तुम्हारा दोस्त हूँ। मैं एक शरीर की नहीं बल्कि एक प्रेमपूर्ण आत्मा की तलाश में आया था।”
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उसके श्ब्दों ने रत्ना के चिंतित दिमाग को शांत कर दिया। शायद यह आज़ादी की ओर मेरा प्रवेश द्वार है। रत्ना को तुरंत उससे प्यार हो गया। अमन के स्नेही आलिंगन रत्ना को बिना कहे सुरक्षा का वादा करते थे। रत्ना ने उसके लिए अपना दिल खोल दिया।
उसने अपने दूसरे बच्चे, एक लड़के को जन्म दिया।
समय बीतने के साथ उसका कारोबार घट गया। बदले में, उसे नियंत्रित करने वाली लगाम गायब हो गई। वह एक दर्जन लड़कियों के लिए मैडम जी बन गई। उसे उस नौकरी से घृणा थी और वह वहां से भाग निकलने के अवसर का इंतज़ार कर रही थी। तब उसका रक्षक आ गया।
एक चाय बेचने वाला।
वह सत्तर वर्ष की उम्र का पुरूष था जिसने अपना परिवार खो दिया था। वह कमज़ोर और निराश था। रत्ना समझ सकती थी कि वह कितना तन्हा होगा। उसकी मोतियाबिंद से प्रभावित आंखों ने शायद रत्ना को ठीक से देखा नहीं होगा।
उसने यह नहीं कहा कि रत्ना की आत्मा सुंदर है, फिर भी वह उससे प्यार करने लगी। हो सकता है उसका अवचेतन मन किसी ऐसे व्यक्ति को पाकर खुश हो गया हो जो उसका साथ चाहता था। आखिर मैं इतनी भी बेकार नहीं हूँ। वह उसके साथ वहां से भाग गई।
वह उसकी तीसरी संतान का पिता था जो एक लड़की थी।
अंततः वह मुक्त हो गई
उसे नन द्वारा चलाए जाने वाले एक अनाथालय में कुक की नौकरी मिल गई। कुछ हफ्तों बाद, उसने धर्म परिवर्तन कर लिया। उसे अहसास हुआ कि गोअन लोग चाय से ज़्यादा शराब पीते हैं और उसने चाय की दुकान को एक बार में बदल लिया। उसने अनाथालय की नौकरी छोड़ दी।
पिछले वर्ष उसके पति की मृत्यु हो चुकी थी।
वह हंसी, ‘‘क्या तुम मुझ पर एक किताब लिखने के बारे में सोच रहे हो? मारिया रत्ना की कहानी।”
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“शायद किसी दिन। मैं उससे नज़रे चुराता हुआ वापस अपने ड्रिंक पर लौट आया।” मैं उससे झूठ नहीं बोलना चाहता था। ‘‘मैं निश्चित नहीं हूँ।”
उसने आंख मारते हुए कहा, ‘‘इसे मसालेदार बना कर लिखना, यह बहुत बिकेगी।”
मेरे होंठ बंद ही रहे।
वह बिना रूके हंसती जा रही थी। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। फिर वह उठकर अंदर चली गई। वह लैप्पो की एक और प्लेट के साथ लौटी। उसने अपनी आंखे पोंछ ली थी और अपने चेहरे पर एक मुस्कान चिपका ली थी।
मैंने कहा ‘‘नहीं, एक प्लेट पर्याप्त थी।
उसने हंस कर कहा, ‘‘यह मेरी तरफ से मुफ्त है। मेरी उबाऊ कहानी सुनने वाले धैर्यवान व्यक्ति के लिए।”