जैसा जोई बोस को बताया गया
मुझे हमेशा लगता था कि हमारा परिवार आदर्श परिवार है। जब आपका बेटा आईआईटी में पढ़ रहा हो, बेटी स्कूल में एक सितारा खिलाड़ी हो, और आपके पास लेबराडोर हो तब आपको ऐसा ही लगता है। मेरे पति की नौकरी अपेक्षाकृत शानदार है जिसके चलते उन्हें हर महीने न्यू यॉर्क जाना होता है, और मैं भी कभी-कभी उनके साथ जाया करती थी। और फिर कुछ महीनों पहले, सब कुछ ध्वस्त हो गया।
यह किसी फिल्म की तरह हुआ और कुछ समय तक मैं विश्वास ही नहीं कर सकी कि यह मेरे साथ हो रहा है। जब मैं मेरे बेटे का बैग खाली कर रही थी मुझे एक पैकेट मिला, जिसमें तंबाकू जैसा कोई पदार्थ दिख रहा था। मुझे पता चला कि वह गांजा है। मैं बीमार पड़ गई। क्या मेरा बेटा नशीले पदार्थों का सेवन कर रहा था? मैंने अपने पति को बताया जिन्होने इसे हल्के में लिया, यह कहते हुए कि ईंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने वाले लड़कों के लिए यह आम बात है। मैं कुछ देर शांत रही लेकिन मेरे अंदर की माँ यह सहन नहीं कर पा रही थी।
कुछ घंटों की कठोर चुप्पी के बाद मैं उस पर बरस पड़ी। वह शांत रहा और उसने कहा, ‘‘मॉम आपको लगता है कि यह बुरा है? तो फिर एलिज़ा के बारे में आप क्या कहेंगी?’’
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एलिज़ा न्यू यॉर्क में मेरे पति की सहकर्मी थी और पिछले पाँच वर्षों से मैं उसको जानती तक नहीं थी, शक करना तो दूर की बात है। स्पष्ट रूप से वह उनकी गर्लफ्रेंड थी! मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। ज़ाहिर है कि मेरा बेटा एलिज़ा के बारे में जानता था फिर भी चुप रहा था क्योंकि उसके पिता ने भी उसकी गांजे वाली बात गुप्त रखी थी! जब मेरी आँखों से आंसू बरस रहे थे, मेरे बेटे ने मुझे एक और सच से अवगत कराया। मेरी बेटी समलैंगिक (लेस्बीयन) थी और उसकी एक गर्लफ्रेंड थी! अब मेरी सहनशक्ति जवाब दे चुकी थी। मैं चीखी या चिल्लाई नहीं। मैं स्तंभित रह गई थी।
मैंने अपने कमरे का दरवाज़ा और अपना फोन बंद कर दिया। मेरे पति, बेटे या बेटी ने दरवाज़ा खटखटाया भी नहीं। मुझे लगा कि मैं अचानक से उनके लिए एक बाहरी व्यक्ति बन चुकी थी। शायद वे शर्म की वजह से मेरे पास नहीं आ पा रहे थे, लेकिन मुझे लगा कि शायद मैं उनके पाप के रास्ते में एक बाधा थी।
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आधी रात गुज़र चुकी थी लेकिन मैं अब भी तथ्यों का सामना नहीं कर पा रही थी। मैं समझ नहीं पा रही थी कि मुझसे कहाँ चूक हो गई। मेरा श्रेष्ठ जीवन अचानक से इतना अपूर्ण कैसे हो गया? उस समय मैंने अपने जीवन का सबसे नाटकीय काम किया, यह सोचकर कि यह उनका मुँहतोड़ जवाब होगा। मैंने वह सारी दवाईंया निगल लीं जो मेरे घर में थीं: एक्सपायर्ड हो चुकी एंटीबायोटिक दवाईयां, एंटी एलर्जी दवाईयां, गेस्ट्रिक दर्द की गोलियां, सब कुछ! हालांकि मेरे पास नींद की गोलियाँ नहीं थी, लेकिन मैंने सोचा इन सभी दवाईयों का संयोजन निश्चित रूप से मेरे प्राण ले लेगा। धीरे- धीरे मुझे घबराहट महसूस होने लगी। मेरे मन में जलन महसूस होने लगी। मैंने उल्टी करना शुरू कर दिया और फिर मैं होश खो बैठी।
जब मैं जागी तब अस्पताल में थी। सब कुछ सफेद था। एक क्षण के लिए मुझे लगा कि मैं स्वर्ग में हूँ और खुशी या डर की बजाए मेरा मन आशंका से भर गया। लेकिन फिर एक नर्स आई। मैंने बोलने की कोशिश की लेकिन मैं बोल नहीं पाई। बाद में मुझे पता चला कि मेरे बोलने की शक्ति समाप्त हो चुकी है।
शुरूआत में मेरे पति, बेटा और बेटी प्रतिदिन मुझसे मिलने आया करते थे। वे बहुत कुछ कहते थे लेकिन मेरी समझ में कुछ नहीं आता था।
वे सब मुझे अजनबी लगते थे। मेरे मामले में रीकवरी धीमी थी।
मेरा भाई बिहार में अपने गृहनगर में रहता है और बाद में मुझे भी यहाँ लाया गया। उन सबसे कोसों दूर। धीरे-धीरे मेरे बोलने की शक्ति वापस आ गई। यहाँ कोई नहीं जानता कि मेरे साथ क्या हुआ सिवाए मेरे बचपन के दोस्त रूस्तम के। वह दर्शनशास्त्र का प्रोफेसर और परामर्शदाता है। वह सच्चाई का सामना करने में मेरी मदद कर रहा है। मैं स्वयं को उसके करीब पाती हूँ। कई बार मुझे लगता है जैसे कि मैं उसे प्यार करती हूँ। मैंने उसे भी यह बताया, लेकिन उसने मुझे आश्वस्त किया कि ऐसा कुछ नहीं है। सप्ताह में एक बार मेरी बात मेरे परिवार से कराई जाती है। मैंने पिछले तीन महीनों से उनमें से किसी को नहीं देखा है और मैं देखना भी नहीं चाहती। पिछले सप्ताह मैंने रूस्तम से पूछा कि मैं वापस कब ठीक हो सकूंगी और उसने कहा, ‘‘जिस दिन तुम उन सभी से वापस मिलना चाहोगी।” पता नहीं शायद मैं कभी ठीक हो सकूंगी या नहीं।
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