यह समुद्र के किनारे एक अच्छे रिसॉर्ट में जाने का एक अचानक बना कार्यक्रम था। हम 6 स्त्रियों का एक समूह था। मैं इस क्लोज़्ड समूह जो कि बचपन के दोस्तों का समूह था, की अंतिम शामिल सदस्य थी। लेकिन क्योंकि मैं इस समूह का भाग बनना चाहती थी मैंने उनकी खातिरदारी की, उन्हें शराब और भोजन दिया इसलिए उन्होंने मुझे समूह में जोड़ लिया, हालांकि अनिच्छा से ही।
जब मैंने मेरे पति को अपनी यात्रा की योजना बताई, वे हँस दिये। ‘‘क्या तुम्हें चिंता और अनिद्रा विकार नहीं है? तुम दो रातों के लिए छह स्त्रियों को कैसे सहन करोगी?’’
मैं चिंतित नहीं थी। मुझे महिला मित्र उनके दांव-पेंच, दुर्भावना, प्यार के संयोजन के साथ पसंद है, वे कभी नहीं बताती हैं कि उन्होंने बिल्कुल असली जैसा दिखने वाला नकली ब्रांड का बैग कहाँ से लिया और दर्शाती हैं कि वह असली है। पुरूष उबाऊ होते हैं; स्त्रियाँ जटिल और मज़ेदार हैं।
हमने एक निजी पूल वाला विला बुक किया था।
मज़े के साथ खाना और पीना
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सुबह जिस भी समय सब जागे, वे सब हॉल में जमा होते गए। कुछ अपना दिन वाइन के साथ शुरू करना चाहते थे, कुछ चाय के साथ और कुछ वोडका के साथ। हम सब अपनी-अपनी स्विमिंग कॉस्ट्यूम्स में थे। किसी को भी किसी के मोटापे की परवाह नहीं थी, कोई भी एक-दूसरे के शरीर के प्रति आलोचनात्मक नहीं था। किसी के पैर वेक्स किए हुए थे, किसी के पैर बालों से भरे थे। एक सहेली केवल मसाज करवाना चाहती थी और कम बोलना चाहती थी। एक सखी केवल पूल के पास लेटी रही और वोडका के शॉट्स लेती रही। वह लगभग मदहोश हो चुकी थी लेकिन इतनी भी नहीं की दोपहर के भोजन का मज़ा ना ले सके।
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शाम के समय जब हम बाहर जाने के लिए तैयार थे, वह सहेली जिसने भारी मात्रा में शराब पी थी और विशाल मात्रा में भोजन किया था, बोली, ‘‘मुझे बुरा लगा कि किसी ने भी मुझे दोपहर के भोजन के लिए नहीं बुलाया।” वह शराबी विस्मरण से पीड़ीत थी। और हम सब हंस पड़े।
हम सड़क किनारे शॉपिंग करने और उसके बाद पब में शराब पीने और नाचने गए।
सभी पक्की सहेलियां साथ में
हमारा दूसरा दिन भी लगभग वैसा ही था। ना कोई दिवाली के बम छूटे और ना ही पटाखे। हम सब पक्की सहेलियां थीं। एक स्त्री पूरे समय फोन पर थी, लेकिन उसने कहा कि वह अपनी बीमार दादी से बात कर रही थी। किसी ने उसका विश्वास नहीं किया। वह नखरे के साथ मुस्कुराई पर उसने वह मुस्कान तुरंत दबा ली, और बाकी किसी ने भी ज़िक्र नहीं किया।
हम थक कर वापस आ गए और सोना चाहते थे, लेकिन हमने निरंतर वोडका शॉट्स लेते हुए आधी रात तक गप्पे लड़ाए। जिन लोगों को हम बहुत कम जानते थे उनके तक गड़े मुर्दे उखाड़ दिए। हम प्रेम प्रसंगों की चर्चा करते हुए हँसते रहे और अपने भाग्य पर दुख प्रकट करते रहे क्योंकि हमारा कोई प्रेम प्रसंग नहीं था। यह सब कितना मधुर था।
नशे में धुत्त
कौन कहता है कि लड़कियां कपटी होती हैं? हमनें एक दूसरे को बहुत पसंद किया और हम एक दूसरे के प्रति बहुत प्रशंसात्मक थे। अचानक ही, उनमें से एक स्त्री ने दूसरी से पूछा, तुम्हें यह समूह ज़्यादा पसंद है या वह जिनके साथ तुम घूमती हो? मैं बुदबुदाई ‘‘कुछ ज़्यादा ही मार्गरीटा हो गई?’’
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और फिर उसने ऊँचे स्वर में एक जवाब दियाः ‘‘क्या मैं कभी तुमसे पूछती हूँ कि तुम्हें कौन से दोस्तों का समूह अच्छा लगता है? तुम्हारे 500 समूह हैं और तुम जल रही हो क्योंकि मेरे केवल दो ही समूह हैं, सच में, हद है यार मैं यार मैं क्यों इतना सहन करूं?’’ और उसने दरवाज़ा धम से बंद कर दिया और बाहर चली गई। वाह, मैंने सोचा, यह वास्तव में एक सफल पार्टी है! ऐसा कहते हैं कि कोई पार्टी तब तक सफल नहीं होती जब तक कि कोई विवाद ना हो। और कहा जाता है कि सभ्य स्त्रियाँ कभी इतिहास नहीं रचती।
डायजीन से बेहतर!
इतना पीने के बाद मैं अपने एसिड रिफलक्स को भूल गई। यह डायजीन से बेहतर था जिसे मैं अपने मुँह में चटकाती रहती थी और यह बोटोक्स इंजेक्शन से बेहतर था जिसे मैंने अपनी फ्रॉन रेखा छुपाने के लिए पिछले साल लिया था। इतनी अधिक उत्तेजना से मेरी फ्रॉन रेखा गायब हो गई थी। मेरा चेहरा इतना मुलायम महसूस हुआ जैसे कि मैंने अभी एक पील इस्तेमाल किया हो। मैंने प्रार्थना की ‘‘भगवान, मुझे और दे दो,’’ और भगवान हमेशा मेरी घरेलू इच्छाओं को पूरा करते हैं।
एक अन्य स्त्री ने अपने पास बैठी स्त्री से पूछा, ‘‘मैंने सुना कि तुम्हारे भाई का प्रेम प्रसंग चल रहा है।” वास्तव में हमने यह सुना था कि उसका भाई द्विलिंगी (बाइसेक्सुअल) था, लेकिन यह बताने से वह डरती थी। जिस स्त्री से यह पूछा गया वह बहुत क्रोधित हो गई और ज़ोर से चिल्लाई, ‘‘अपने भाईयों और पति की चिंता करो, और हाँ, मैंने सुना है कि तुम्हारा पति तुम्हारी नौकरानी के साथ सोता है। अपना पति बदल लो!’’ उसने धमकी भरी उंगली दिखाई और दरवाज़ा धम से बंद कर के बाहर चली गई। मैंने सोचा ‘‘क्या यह गलत सलाह नहीं थी?’’ ‘‘यह ऐसा होना चाहिए कि अपनी नौकरानी बदल लो।” मुझे लगता है कि नौकरानियाँ त्यागने योग्य नहीं हैं, लेकिन पति हैं। उसके जाने के बाद हम चारों यह चर्चा करते हुए हंसते-हंसते लोटपोट हो गए कि कौन बेहतर है, हमारी नौकरानियां या हमारे पति। हमने मत लिए लेकिन एक-दूसरे को वचन दिया कि इसके बारे में नहीं बताएंगे।
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हमारी घर की वापसी की फ्लाइट सुबह जल्दी की थी। ‘‘भगवान का शुक्र है?’’ मैंने सोचा, ‘‘नहीं तो समुद्रतट पर मुक्केबाजी होने ही वाली थी।” लेकिन सुबह, जब हम लैंड हुए और आंसू भरी आँखों से हमने एक-दूसरे को अलविदा कहा, तब हर कोई एक-दूसरे को फ्लाइंग किस दे रहा था और ज़ोर से गले लगा रहा था, हालांकि हम एक ही शहर में रहते थे।
बिल्कुल मेरे पति के साथ होने की तरह!
मेरे पति ने मुझसे पूछा, ‘‘तुम्हारी छुट्टियां कैसी रहीं?’’
“बहुत प्यारी” मैंने कहा।
“तुम अच्छी दिख रही हो। तुमने क्या किया है?’’
मैं हँसी, ‘‘मैं इसलिए अच्छी दिख रही हूँ क्योंकि मैंने सोचा मैं तुम्हारे साथ छुट्टियां बिता रही हूँ।”
“मेरे साथ, क्यों?’’ उन्होंने हैरानी से पूछा।
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“वही प्यार, नफरत, गहनता, झगड़े, सहजता का सामान्य संबंध जो मेरा तुम्हारे साथ है….’’ फिर मेरे शब्द कम पड़ गए।
वे हँसे। ‘‘तुम कितनी दाशर्निक हो गई हो। क्यों, क्या यह एक बड़ा सीखने योग्य अनुभव था?’’
“इससे ज़्यादा कुछ नहीं कि मुझे अहसास हुआ कि हम सब मानव ही हैं,’’ और मैं खिलखिला पड़ी।
कहने की आवश्यकता नहीं कि हम अब भी अच्छे दोस्त हैं और हमने एक और शाम पियक्कड़ों की तरह बिताने का फैसला किया है। और हर कोई एक-दूसरे को वॉट्स एप पर मैसेज कर रहा था, ‘‘चलो मिलते हैं, सब लोग कौनसा ड्रिंक लाने वाले हैं? और इसके बाद ढेर सारी गपशप!’’
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