(जैसा जोई बोस को बताया गया)
हमारी शादी धीरे धीरे बिखरना शूरु नहीं हुई थी. वो शुरू हुई थी चिंगारियों के साथ, अपशब्दों के बीच और बहुत सारे आंसुओं में बहते हुए. मैं अपने पति से हमेशाही असंतुष्ट रहती थी क्योंकि उनका हर काम मुझे तकलीफ ही देता था. जब भी मैं उससे कुछ भी कहती, वो यही सफाई देता की “मैं कोई जानबूझ कर ऐसा थोड़े ही करता हूँ.” और इसके जवाब में मैं हमेशा यही जवाब देती, “अच्छा, तो मुझे तकलीफ देना तुम्हारे लिए इतना आसान है.”
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मैं हमेशा खुद को काम में झोंक कर रखती थी. उम्र के कारण अब वज़न बढ़ रहा था. खैर कारण सिर्फ उम्र नहीं था, डिप्रेशन में आ के मैं बहुत ज़्यादा पीने और खाने लगी थी. दोनों ही आदतें बुरीथी. मगर जिस तरहमेरे पति मुझसे दूर हो रहे थे, मुझसे ये सब बर्दाश्त नहीं हो रहा था. और उससे ज़्यादा दुःख की बात ये थी की क्यों नहीं वो कोशिश कर रहा था सब कुछ पहले जैसा करने की. रात को हम प्यार नहीं करते थे, वो अक्सर मुझे अपने पास खींचता, और बहुत ही रूखे तरीके से हमारा सेक्स होता. धीरे धीरे तो मुझे उसके इस रवैये से इतनी घृणा होने लगी थी की जब भी वो ऐसे मेरे पास आता तो मैं उसे मारने लगती थी.
मैं कितना थक जाती थी. एक तो ऑफिस का काम इतना ज़्यादा होता था और फिर घर की ये परेशानियां. हम दोनों साथ ही ऑफिस के लिए निकलते थे. वो मुझे ऑफिस छोड़ कर अपने ऑफिस जाता था. सुन कर आपको शायद अजीब लगे मगर जब भी मैं उससे कहती थी की ऑफिस में कुछ ज़रूरी काम है, उस दिन वो निश्चित ही लेट कर देता था.
वो हमेशा फ़ोन पर व्यस्त रहता
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मेरे पति को सोशल मीडिया की लत है. आप उनको हमेशा अपने स्टेटस अपडेट करते, या किसी की फोटो को लाइककरते या कहीं कमेंट करते पाएंगे. उनकी एक महिला मित्र हैं जो एक नामी पत्रिका की कौंसलर है. वो दोनों कुछ ज़्यादा ही ख़ास दोस्ती शेयर करते हैं. एक दिन अपने पति का मैसेज पढ़ लिया जो उन्होंने उसके लिए लिखा था.
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उस मैसेज में लिखा था की मेरे पति को वो महिला उनके सपनों में दिखी थी. दूसरी बात जब मैंने उस महिला को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा (हम दोनों के बहुत सारे कॉमन मित्र थे) तो उसने उसे स्वीकार नहीं किया. अगर उसके मन में कुछ नहीं होता तो उसे मेरी दोस्ती स्वीकारने में क्या आपत्ति हो सकती थी, ऐसा मेरा मानना था.
मेरे पति अभी भी अपने पुराने प्रेमिकाओं से संपर्क में थे. मैं एक आधुनिक नारी हूँ और मुझे इन बातों से ज़्यादा असर नहीं पड़ता. मेरे खुद के कई पुरुष मित्र हैं जो फेसबुक पर मेरी फोटो को दिल दे देकर पसंद करते हैं. हम दिन भर अक्सर काफी बिजी रहते हैं तो अक्सर हमारी बातें रात को ही होती है. अब मैंने अपने पति को यह बात बहुत बार समझाने की कोशिश की है अगर पुरुषों के बदले ये मेरी महिला दोस्त होती, तब भी मेरी बातचीत इनसे ऐसे ही और इसी समय होती. मगर मेरे पति को मेरी ये बात समझ नहीं आती है. हमारी इस बात पर अक्सर हम दोनों की लड़ाई होती थी. फिर मैंने सोच लिया की मैं अब इन बातों को मान नहीं दूँगी.
ठीक इसी तरह मैंने और भी कई बातों से अपना मन हटाने का फैसला कर लिया. जैसे ये बात की वो अक्सर अजीब नाम की अजीब लड़कियों के नाम लेते थे या आधी रात को उनका फ़ोन जब वयब्रेट करता है तो वो हौले से फ़ोन लेकर टॉयलेट में चले जाते थे. कभी कुछ पूछना चाहा तो उन्होंने मुझे ही उलटे जवाब में कहा मैं ये सब मानघडन्त बातें बना रही हूँ. उन्होंने मुझे ये उलाहना दिया की मैं उनके ऊपर मानसिक प्रताड़ना करती हूँ. बस इसके बात में बिलकुल शांत हो गई. मुझे सबूत मिल गया था. ” मानसिक प्रताड़ना –ये शब्द मेरे हट्टे कट्टे पति की शब्दकोष में तो आजतक नहीं था.
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बच्चे परेशां होने लगे थे
इन सारी बातों से सबसे ज़्यादा प्रभावित हमारे दो बेटे थे. उनकी आँखों में मुझे डर दिखने लगा था. छोटा वाला तो अक्सर रोने लगे लगा था. बड़ा बेटा अक्सर यही प्रार्थना करता था की आज उसके माता पिता न लडे। और जब मैंने चीज़ों पर ध्यान देना बंद कर दिया, तो सब बेहतर लगने लगा. अब मुझे नहीं पता की वो सचमुच बेहतर था या नहीं मगर मेरे बेटों के लिए अब स्तिथि बेहतर हो गई थी.
मैंने सबसे पहले ये फैसला किया की अब दोनों बेटे हमारे ही कमरे में सोयेंगे. बच्चे इस फैसले से हमेशा खुश ही होते हैं. उन्हें ये तो नहीं पता होता की माँ बाप के बीच में क्या चल रहा है मगर उन्हें बहुत गर्व होता है अगर वो कुछ योगदान कर सकें. उन्हें नहीं पता की कैसे मेरा बॉयफ्रेंड आज बस मेरा रूममेट मात्र बन गया था.
बहुत सारे विषयों पर हमारे बीच मतभेद है
एक दिन मैंने पति को कुछ अच्छे गाने लगाने को कहा. शादी के २० साल बाद आप इतना तो विश्वास करोगे अपने साथी पर की उसे आपकी पसंद नापसंद याद होगी. मगर मेरे पति कुछ अलग ही निकले. जहाँ मुझे ग़ज़ल सुनने का शौक था, वही उन्होंने अलीशा चिनॉय लगा दिया.
एक दिन हम दोनों को किसी पार्टी में आमंत्रित किया गया. जब हम दोनों वहां पहुंचे और मैंने अपने पति के दोस्तों को देखा तो मैं दंग रह गई. यह उन लोगों का गुट था जिनसे मुझे सख्त नफरत थी. और जब मेरे पति अपने उन दोस्तों के साथ बैठे थे, मैंने कुछ और भी देखा. मुझे ये सब लोग, जो नागवार थे, अब मेरे पति में नज़र आने लगे थे. मेरे पति धीरे धीरे उन्ही लोगों जैसे बनते जा रहे थे. इसलिए अब हम दूर जा रहे थे. हमें सेक्स किये महीनो बीत चूका था. प्यार.. वो तो अब हमें याद भी नहीं था.
मुझे अब भी प्रेमी का इंतज़ार है
अब हम लड़ते नहीं हैं. अब हम बातें भी नहीं करते हैं. मेरा मतलब है हम बोलते हैं, मगर बातें कहाँ होती हैं. अब हम बस घर के बारे में, बच्चों के बारे या खाना डिसकस करते हैं, मगर हम दोनों के दिल की बातें अब हम साझा नहीं करते. उसके बहुत सारे दोस्त हैं, आखिर वो एक बहुत ही मशहूर व्यक्ति है. उसे सब पसंद करते हैं, मगर दुर्भाग्यवश मैं “सब” नहीं हूँ.
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पहले मैं किसी दोस्त को बहुत मिस करती थी जिसके साथ मैं आने मन की बात कर सकूं मगर अब जब अपनी दूसरी सहेलियों को देखती हूँ, तो लगता है हर पुरुष शायद दुसरे से और बदतर ही होता है.
अब मेरा प्यार पर से विश्वास उठ गया है. मैं अब किसी राजकुमार का इंतज़ार नहीं कर रही हूँ. मैंने इस बात से समझौता कर लिया है की इसलिए न अब मेरी उम्र है न मेरी खूबसूरती. एक समय था जब कभी कभी आत्महत्या करने तक का मन होता था, मगर अब नहीं. अब मेरे लिए मेरे दो बेटे बहुत ज़रूरी हैं और मैं उनके लिए.
इतना कुछ कहने के बाद अब मैं जो बोलूंगी तो आप शायद सोचोगे की मैं दो बिलकुल विरोधी बातें कर रही हूँ. मैं शादीशुदा भी हूँ और मैं सिंगल भी हूँ. मुझे प्यार भी है और प्यार से मेरा विश्वास भी उठ चूका है. शादी मुश्किल होती है और ऐसी शादी जो हर रोज़ थोड़ा सा और टूट रही हो, वो और भी मुश्किल होती है.
कितनी बार मैंने कल्पना की है की काश हमने शादी नहीं की होती और आज तक बस दो प्रेमियों की तरह ही रहते जो चुपचाप सामाजिक समारोहों से निकल जाते एक दुसरे के साथ कुछ पल बिताने. चीज़ें कैसे बदल जाती हैं. वक़्त कैसे बदल जाता है.
मगर फिर भी मुझे ये उम्मीद है की वो मेरे पास वापस आ जायेगा. वो फिर से एक दिन वही पहले वाले हांथों से मुझे छुएगा। मैं इंतज़ार करती रहेंगी क्योंकि प्रेमी की वो जगह आज भी उसी लड़के की है जो पता नहीं कब प्रेमी से पति में बदल गया.