(जैसा संजुक्ता दास को बताया गया)
यह वास्तव में एक खुश, फिल्मी संयुक्त परिवार था
मैंने हमेशा एक बड़े, खुश संयुक्त परिवार की अवधारण को पसंद किया है। मैं एक एकल परिवार में बड़ी हुई – मेरी बहन, मैं और मेरे माता-पिता। तो जब मैंने बड़े परिवार वाले एक पुरूष से शादी की, मैं बहुत रोमांचित थी।
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शादी बहुत ठाठ-बाठ से हुई थी। मेरे पति अशोक का परिवार बहुत बड़ा था और झगड़ालू संयुक्त परिवार के रूढ़िवादी परिदृश्य के विपरीत था। हमारे यहां सद्भाव था। बहुओं की अपने ससुराल वालों के साथ बहुत अच्छी पटती थी। उनमें से एक नौकरी करती थी और एक गृहणी थी। मैंने खुद से कहा कि सद्भव और शांति के पीछे बहुत नफरत छुपी होंगी जो किसी दिन बाहर आएगी। मुझे विश्वास था कि हर चीज़ उतनी अच्छी नहीं हो सकती जितनी दिखती है।
और फिर मुझे सच पता चला। मैं गलत थी। मैं जिस परिवार के साथ रहने आई थी वह आदर्शवादी परिवार था। और सबसे बड़ी बात है कि मैं अपने नए परिवार में खुश थी।

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हम जहां भी देखते, कोई ना कोई परिवार वाला ज़रूर होता
मैंने बुराईयां ढूंढना बहुत समय पहले ही बंद कर दिया था। मैंने हम साथ साथ हैं जैसे फिल्मी परिवार की कल्पना की थी और मेरा परिवार वैसा ही था। परिवार की महिलाएं सुबह सैर के लिए साथ में जाया करती थीं। रविवार को हम रोड ट्रिप्स पर साथ में जाते थे। हमनें साथ में योगा क्लास भी ज्वाइन कर ली थी। पूरा परिवार हर चीज़ साथ में करता था। मुझे गलत मत समझना, विवाह के बाद इससे अच्छा घर मुझे मिल ही नहीं सकता था। लेकिन मेरे पति और मैं कुछ भी काम अकेले नहीं कर पाते थे।
और सेक्स हमेशा बिना आवाज़ के और जल्दबाज़ी में होता था। मैं नवविवाहितों वाले जिस पैशनेट, आहें भरने वाले सेक्स की उम्मीद कर रही थी, वह नहीं था। मैं वह नहीं पा सकती थी। किचन में हाथ पकड़ना या एक किस कर लेना भी बहुत बड़ी बात थी। ऐसा नहीं है कि हर कोई घूरता रहता था, लेकिन अपने खुद के घर में अंतरंग होने का मतलब था घर का हर कोना देखना कि कोई देख तो नहीं रहा है। परिवार के सामने गले लगना और किस करना थोड़ा असहज होता है, खासतौर पर जब बच्चे और किशोर आसपास हों।
शादी के प्रारंभिक वर्षों में सेक्स पागलपन भरा और जब मन करे तब कर सकें ऐसा होना चाहिए, है ना? हम वह नहीं कर सकते थे। हालांकि हमारी रातें शानदार होती थी। लेकिन तब नहीं कर सकते थे जब हम एक दूसरे में समा जाने की तीव्र इच्छा महसूस करते थे। हमें शारीरिक आग्रह को रोकना पड़ता था क्योंकि हमेशा किसी ना किसी समारोह में उपस्थित होना होता था या पिकनिक पर जाना होता था। शुरू में इससे बहुत चिढ़ महसूस होती थी। कई बार अशोक और मुझे झूठ बोलना पड़ता था कि हमें दूसरे शहर में कोई मीटिंग अटेंड करनी है सिर्फ इसलिए ताकि हम एक साथ कहीं जा पाएं।
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हम जो मनगढ़ंत कहानियाँ रचते हैं
हम बहुत समय से कहीं अकेले जाने के बारे में सोच रहे थे। मेरी दूसरी ननद का शुक्रिया। किसी साप्ताहंत कार्यक्रम में जानबूझ कर हमें शामिल ना करते हुए वह अक्सर मेरी मदद कर दिया करती थी। एक बार उसने परिवार को कह दिया कि हमें घर पर रूकना होगा क्योंकि एक ऑफिस पार्टी के लिए हमें 15 प्लेट बिरयानी बनानी है। परिवार साप्ताहांत के लिए चला गया और हमने नॉन-स्टॉप सेक्स किया। सोमवार सुबह हम इतने थके हुए थे कि हम ऑफिस नहीं गए और परिवार के साथ ही रूके। हमें इसके बारे में अपराधबोध महसूस होना चाहिए था, लेकिन सेक्स ने सारा अपराधबोध मिटा दिया।
मुझे लगता है कि हमारे परिवार में हर कोई जानता है कि जब सेक्स करने की इच्छा हो लेकिन कर ना सकें, तो कैसा महसूस होता है क्योंकि शादी के बाद वे सभी भी मेरी स्थिति में रहे हैं। और चूंकि मेरे परिवार के सदस्य काफी समझदार हैं, इसलिए वे मेरी थोड़ी मदद करने के लिए अपनी तरफ से थोड़ी कोशिश कर देते हैं। जैसे एक दिन, मेरी सास ने सुझाव दिया की सबको फिल्म देखने के लिए जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि हम लोग वह फिल्म पहले ही देख चुके हैं, तो शायद हमें घर पर ही रूकना चाहिए। (हमनें फिल्म नहीं देखी थी, लेकिन हम उनके साथ सहमत हो गए) तो हमें कुछ घंटों के लिए परिवार से मुक्ति मिली और निर्बाध अंतरंग समय मिल गया।
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परिवार का सहयोग कम कपल टाइम की भरपाई कर देता है
मैं उस परिवार से प्यार करती हूँ जिसमें मेरा विवाह हुआ है। बेशक, कभी ऐसा मुश्किल समय भी आता है जब मैं सोचती हूँ कि काश मैंने एक बड़ा परिवार ना मांगा होता। लेकिन हम सब साथ में खाना बनाते हैं और हर कोई एक दूसरे का सहयोग करता है। वे हमारी स्थिति जानते हैं और जब उन्हें लगता है कि हमें थोड़ा समय अकेले में बिताने की ज़रूरत है तो वे हमे अकेला छोड़ देते हैं। योजनाओं में शामिल ना करने की कोशिशें मेरे पति और मुझे थोड़ा अच्छा समय साथ में बिताने के लिए प्रोत्साहित करती हैं (हमें जितना भी थोड़ा बहुत समय मिलता है, हम उसके लिए आभारी हैं)