व्यक्तिगत या पेशेवर कारणों से, अधिक से अधिक जोड़े लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में रहने का विकल्प चुनते हैं, और वे अपने रिश्ते को किस तरह बनाए रखते हैं, यह रूचि का कारण बन चुका है। मनोवेज्ञानिक जेसीना बेकर कुछ सवालों का जवाब देती हैं।
जब कपल में से एक व्यक्ति को परिवार से अलग होकर दूर जाना पड़ता है तो जोड़ों द्वारा सामना की जाने वाली मुख्य समस्याएं कौनसी हैं, जैसा कि विदेश जाने पर कई लोग करते हैं?
विवाह में दो लोग एक साथ आते हैं और एक दूसरे को समझना सिर्फ शादी के बाद ही होता है क्योंकि सगाई की अवधि तो सिर्फ रोमांस के लिए ही होती है। इसलिए, विवाह के तुरंत बाद अगर वे अलग रहते हैं, तो पारस्परिक समझ से आने वाली विवाह की नींव मजबूत नहीं होती है। कई वर्षों तक वे अजनबी होते हैं, क्योंकि वे वर्ष में एक महीने के लिए या उससे भी कम समय के लिए मिलते हैं। उन्हें संबंध बरकरार रखने के लिए अतिरिक्त प्रयास करना होता है, क्योंकि शायद वे एक दूसरे की पसंद नापसंद को नहीं जानते।
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लॉन्ग डिस्टेंस संबंध में जोड़ों को करीब आने में ज़्यादा समय लगता है।
जब पति छुट्टी के लिए घर आता है, तो वह अपने घर में आगंतुक जैसा होता है, जहां की स्थायी निवासी पत्नी है।
आजकल, फोन और इंटरनेट के माध्यम से संचार के कई साधन हैं। क्या आपको लगता है कि भावनात्मक दूरी अब पहले की तुलना में कम हुई है? या संचार के लिए बढ़ा हुआ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नए तरीकों से दूरी बढ़ाता है?
संचार के कई साधनों के साथ, संचार आसान और तेज़ हो गया है। अगर जोड़े किसी भी समय काम के दौरान बात नहीं कर सकते हैं तो वे आसानी से मैसेज भेज सकते हैं या वॉट्स एैप पर चैट कर सकते हैं। इसने जोड़ों के बीच दूरी कम कर दी है। कई मामलों में, जो जोड़े लॉन्ग डिस्टेंस संबंध बनाए रखते हैं, वे साथ रहने वाले जोड़ों से ज़्यादा संवाद करते हैं। हालांकि, यही संवाद कई मामलों में दूरी का कारण भी रहा है।
ज़्यादा संवाद जोड़ों के बीच की स्पेस नष्ट कर देता है।
उस व्यक्ति के दृष्टिकोण से जो बच्चों या बाकी के परिवार के साथ वहीं रहता है, भावनात्मक कीमत क्या होती है (भारत में यह आमतौर पर पत्नी होती है)? वह अकेलेपन या असुरक्षा का सामना कैसे करती है? क्या यह उसे मजबूत बनाता है?
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अगर उसके परिवार में उसकी माँ द्वारा भी ऐसा ही किए जाने का इतिहास है तो वह इस तरह के एडजस्टमेंट के लिए तैयार रहती है। इसके अलावा, अगर उसने शादी के बाद साथ में रहने का अनुभव नहीं किया है तो उसे पता ही नहीं होता है कि पूरे समय पति के साथ रहना कैसा होता है। उन महिलाओं के लिए यह मुश्किल है जो शुरू में पतियों के साथ रहती हैं और फिर पति नौकरी के लिए देश छोड़ देते हैं। अकेलेपन से निपटते समय भी उसे पति के घर में ही रहना होता है, भले ही उसे वहां आज़ादी हो या ना हो। चूंकि उसका पति विदेश गया है, वह किसी भी कारण से भावनात्मक उथल पुथल भी व्यक्त नहीं कर सकती है, क्योंकि इसे शिकायत माना जाएगा। और उसके बाद उसे स्वार्थी कहा जाएगा। अधिकांश मामलों में, उसका अकेलापन घर में एक महत्त्वपूर्ण कारक भी नहीं है। वह अपनी स्थिति स्वीकार करती है और खुद मजबूत बन जाती है। यहां तक की जब उसका पति छुट्टी पर घर आता है, तब भी उसका समय परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों के बीच सावधानी से वितरित किया जाता है, और इन दिनों में भी उसे कोई प्राथमिकता नहीं मिलती है।
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पत्नी सक्रिय अभिभावक बनती है जो व्यावहारिक रूप से एकल पेरेंटिंग करती है, और यह चीज़ भी दोनों साथियों के बीच उदासीनता का कारण बनती है।
पुरूष का (आमतौर पर) परिवार से दूर रहने के बारे में क्या? वह समायोजन के लिए किस तंत्र का उपयोग करता है और वह किस प्रकार की कीमत चुकाता है? विदेश में रह रहे पुरूष को भी बहुत सारे एडजस्टमेंट करने पड़ते हैं। काम के घंटों के बाद वह अकेला होता है। और चूंकि वह अपने सारे पैसे वापस घर भेज देता है, इसलिए उसके पास टीवी और यदा कदा साप्ताहंत की आउटिंग के अलावा मनोरंजन के कोई साधन नहीं होते हैं। वह भी अपनी पत्नी से दूर रहकर विवाहित जीवन के सर्वश्रेष्ठ वर्षों को गंवा रहा होता है। वह अपने बच्चों के बढ़ते चरणों को नहीं देख पाता। वह अपने ही घर में एक आगंतुक बना रहता है।
क्या थोपी गई दूरी किसी भी पक्ष में बेवफाई बढ़ाती है? रिश्ता टिकता कैसे है?
जब अकेलापन घर कर लेता है और अगर जोड़ा एक दूसरे को वर्ष में केवल एक बार या दो बार एक दूसरे को देखता है तो बेवफाई की संभावना उच्च होती है। यह भावनात्मक बेवफाई या शारीरिक बेवफाई या दोनों हो सकती है। परिवार के भीतर बेवफाई होना बहुत व्याप्त है। ऐसे अधिकांश मामलों में, संबंध बच्चों की वजह से जीवित रहता है।
आमतौर पर बेवफाई केसे उजीगर होती है? स्वेच्छा से या दुर्घटनावश? क्या फिर जोड़े परामर्श की सहायता लेते हैं? वे कौन से कदम उठाते हैं?
कोई भी बेवफाई स्वेच्छा से उजागर नहीं होती है। ज़्यादातर मामलों का पता दुर्घटना से चलता है, जिनमें से कुछ में स्वीकार कर लिया जाता है और कुछ में नहीं। अधिकांश मामलों में, जोड़े फीकी शादी जारी रखते हैं। बहुत कम लोग परामर्श के लिए जाते हैं क्योंकि उसका मतलब होगा और भी ज़्यादा उजागर करना। इसके अलावा, परामर्श प्राप्त करना अब भी हमारे देश में एक कलंक है।
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ऐसे जोड़े को आप क्या सलाह देंगे जिन्हें यह निर्णय लेना हो कि उनमें से एक व्यक्ति वित्तीय या व्यवसायिक कारणों से परिवार से दूर रहेगा?
ऐसे जोड़ों को एक दूसरे को समझने के लिए काफी समय बिताना सुनिश्चित करना होगा, क्योंकि ऐसे मामलों में गलतफहमी तेज़ी से हो सकती है।
रिश्ते में बहुत ईमानदारी होनी चाहिए। हर समय उन्हें अपनी शादी को सबसे पहले स्थान पर रखना चाहिए, खासतौर पर तब जब पति छुट्टी पर वापस आया हो।
भावनात्मक बॉन्डिंग बहुत ज़रूरी है, क्योंकि संबंध मुख्य रूप से विवाह की भावनात्मक ताकत पर काम करता है।
क्या आप कुछ गतिविधियां सुझा सकते हैं जिन्हें जोड़े भावनात्मक बॉन्डिंग बढ़ाने के लिए कर सकते हैं?
निरंतर और लगातार संवाद आवश्यक है। संवाद आमतौर पर वित्त, बच्चों और माता-पिता के आसपास घूमता है। लॉन्ग डिस्टेंस संबंधों में जोड़ों को एक दूसरे के बारे में जितना संभव हो सके बात करनी चाहिए ताकि वे एकता महसूस कर सकें। एक दूसरे के साथ सबकुछ चर्चा करें और एक आम निर्णय लें। अपने रिश्ते को प्राथमिकता दें।