मैं मिल्स एंड बून्स, बार्बरा कार्टलैंड और उन उपन्यासों टॉल, डार्क, हैंडसम, अमीर, सभ्य, गुस्से वाले पुरूष के मेरे प्यार में पड़ने के रोमांटिक सपनों की बड़ी खुराख के साथ पली-बढ़ी। मेरे सपनों में मैं इतनी सम्मोहक होती थी कि वह मुझे दुनिया में सबसे ज़्यादा चाहता था। मेरे सपनों में मैं बेहद स्वतंत्र और मजबूत स्त्री होती थी, जो पहले उस तीव्र आकर्षण से लड़ती थी जो मैं उस रहेट बटलर जैसे पुरूष के लिए महसूस करती थी, जो मुझे प्यार का असली मतलब सिखाता था। वह मेरे सपनों में मुझे थाम लेता था और मेरी आँखों में गहराई से देखकर कहता था, ‘‘नहीं, मुझे नहीं लगता मैं तुम्हें किस करूंगा, भले ही तुम्हें किस की बहुत ज़रूरत है। तुम्हारे साथ यही खराबी है। तुम्हें अक्सर किस किया जाना चाहिए, और ऐसे व्यक्ति द्वारा जो जानता हो कैसे।”
हे भगवान! क्या सपने थे! पागलों जैसे प्यार की कितनी चाह, जो इतनी शक्तिशाली होती थी कि मेरे हर विचार और काम के बीच में आती थी! किसी के प्रति इतनी निकटता महसूस करना जैसे आप दो जिस्म और एक जान हों। आप किसी और के हो और कोई आपका हो और साथ मिल कर आप पूर्ण हों।
आप किसी और के हो और कोई आपका हो और साथ मिल कर आप पूर्ण हों।
हाथ थामना और लंबी सैर के लिए जाना। वह मेरी गोदी में सिर रखे और एक छोटी सी झपकी ले, और मैं एक रोमांटिक किताब पढ़ते हुए उसके बालों के साथ खेलूं। जब मैं किसी बात से परेशान हूँ तब वह मुझे बाहों में भर ले। जब मैं खाना बनाने में व्यस्त हूँ तब वह पीछे से आकर मुझे अपनी बाहों में लपेट ले और मुझे मेरी गर्दन पर किस करे। उसके साथ हाज़िर जवाबी के साथ बहस करूं। पूरी तरह खुल कर हसूं। उसके साथ दूर दराज के इलाकों में रोमांटिक यात्रा करूं। उसके साथ एक बहुत बड़ा परिवार बनाउं। कुछ मेरे अपने बच्चे हों, कुछ गोद लिए हुए। कुछ 2 पैरों वाले हों और कुछ 4। उसके साथ बुढ़ापा देखूं। हमारे जीवन की शाम की ओर जाते हुए उसके साथ बहुत से काम करूं।
लेकिन सपने तो सिर्फ सपने हैं। चाह तो सिर्फ चाह है। अगर आपमें स्वयं को इस योग्य मानने का और दुनिया की परवाह ना करते हुए स्वंय को इस तरह का प्यार देने और लेने की स्वतंत्रता देने का साहस नहीं है, तो आप की भी ज़िंदगी मेरे जैसी हो जाएगी। एक समझौते भरा जीवन, सिर्फ उस वचनबद्धता के लिए।
फिर वास्तविकता से सामना हुआ
मेरी शादी 21 वर्ष की उम्र में एक ऐसे पुरूष से हो गई थी जो मुझ से 13 वर्ष बड़ा था, और वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि उसका भविष्य सुरक्षित दिखाई देता था, लेकिन वही मेरे जीवन का सबसे बड़ा स्वांग बन गया।
मेरे उन सभी रोमांटिक सपनों के बावजूद या शायद उन्हीं के कारण, मेरी सुहाग रात पर ही पहली बार मुझे किसी पुरूष ने किस किया और थामा। एक निश्चित शारीरिक और मानसिक रूपरेखा के पति का सपना देखने के बाद, मैं एक ऐसे व्यक्ति से विवाह करने के लिए तैयार हो गई जो पूरी तरह विपरीत था। बस रस्मों और परंपरा के स्वांग में अपनी विधवा माँ को खुश करने के लिए क्योंकि वे डरती थीं कि कहीं मेरी शादी ऐसे घर में ना हो जाए जहां पैसों की तंगी हो।
हमारी सुहागरात और हनीमून के दौरान वह मेरे साथ इमानदार होना चाहता था इसलिए उसने मुझे उसकी सभी गर्लफ्रैंड और रोमांटिक कार्यों के बारे में बता दिया। मेरे लिए यह कुछ नई चीज़ थी जो मैंने सिर्फ किताबों में ही पढ़ी थी। तो मैं उसके सभी रोमांटिक एडवैंचर्स को आश्चर्य के साथ सुन रही थी। मेरा इस अजनबी के साथ कोई कनेक्शन नहीं था जिसके साथ अब मैं जीवनभर के लिए बाध्य थी।
वह गुस्से वाला था और शराब पीता था
मेरे सपनों के नायक और मेरे पति में ये दो चीज़ें समान थीं। एक शारीरिक रूप से उसका व्यापक अनुभव और दूसरा वह निश्चित रूप से गुस्से वाला था।
और हे भगवान! वह शराब कितने चाव से पीता था! हर दिन! कभी-कभी दोपहर में भी! आप जानते हैं जब अच्छे दोस्त लंच के लिए आएं तो आप क्या कर सकते हैं? एक के बाद एक बीयर की बोतलें खाली कर सकते हैं! जबकि युवा मूर्ख पत्नी यानी मैं मटन रोगनजोश और ढेर सारी रोटियां बनाती थी!
पति, क्योंकि वह पति है, अपनी इच्छा अनुसार रात या सुबह किसी भी समय नशे में धुत्त होकर आता था। और मैं, आज के जमाने की शिक्षित और मुक्त विचार वाली लड़की, जिससे अपेक्षा की जाती है कि वह अपने जीवन में अधिकारों और सीमाओं को जाने, एक डोरमेट में बदल जाती थी जिस पर वह अपने गंदे पैर पोंछता था। मैं किसी को कानों कान खबर नहीं होने देती थी क्योंकि मैं अपनी माँ को परेशान करने से डरती थी।
हमारा यौन जीवन खामोश था। मैं नहीं जानती कि इसका कारण क्या था। क्या मैं उसकी गर्लफ्रैंड्स जितनी आकर्षक नहीं हूँ? क्या इतने वर्षों में इतनी लड़कियों से उसका पेट भर गया है कि अब उसके पास मेरे लिए कुछ नहीं बचा है? या फिर उसके पीने की वजह से उसकी यौन आवश्यकताओं में समस्या उत्पन्न हो गई है? मैं पूरी तरह नुकसान में थी। मैंने इसके बारे में पढ़ा और मैं जानती थी कि उसे मदद की ज़रूरत है, लेकिन उसे इसके लिए मनाउं कैसे?
आगे जाना और फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखना
जीवन इसी तरह चलता रहा। यह हमारे रिश्ते का 27 वर्ष से चला आ रहा अंतहीन दुर्व्यवहार है। जब हमारी शादी हुई, उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी थी, या ऐसा हमें कहा गया था। लेकिन, जैसा कि उसने मुझे बार-बार बताया कि जिस पल मैंने उसके घर में कदम रखा, उसकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई। तो कुछ महीनों बाद हमारे पास मकान का किराया देने के लिए भी पैसे नहीं थे और हमें दो घरों से निकाल भी दिया गया था। दूसरे घर से, मकान मालिक ने हमें डराने के लिए गुंडे तक भेज दिए थे।
मैं अब एक ऐसे स्थान पर आ पहुंची थी जहां मैं अपनी माँ के पास लौटने में असमर्थ थी क्योंकि मेरा पूरा परिवार मेरी ज़िंदगी बिगाड़ने के लिए मेरी विधवा माँ को ही ज़िम्मेदार ठहराता। मेरे दादा-दादी बार-बार मुझे बताते रहते थे कि एक लड़की के रूप में मुझे अपने विवाहित जीवन में बस एडजेस्ट और समझौता करने की ज़रूरत है। शादी होने के बाद, अब मैं उनकी ज़िम्मेदारी नहीं हूँ। घर में मेरा स्वागत सिर्फ तभी होगा जब मैं हंसते चेहरे के साथ आउंगी। अगर मैं अपनी विवाहित ज़िंदगी की समस्या उन्हें बताने लगूं, तो मुझसे मुंह मोड़ लिया जाएगा। इसलिए मैं किसी को इस बारे में बता नहीं पाई थी। मैंने एक नौकरी कर ली थी ताकि कम से कम हमारे बुनियादी खर्चे निकल जाएं।
मेरे रोमांटिक सपने उस प्रतिष्ठा के बोझ तले बहुत संवेदनहीनता से कुचले गए जो मुझे बनाए रखना पड़ती है।
मेरे रोमांटिक सपने उस प्रतिष्ठा के बोझ तले बहुत संवेदनहीनता से कुचले गए जो मुझे बनाए रखना पड़ती है।
मैं इस सब से डेस्परेटली मुक्त होना चाहती थी।
मैं क्यों रूकी रही?
मैं इतने वर्षों से प्रयास कर रही हूँ इसका विश्लेषण करने का और इस पर चर्चा करने का कि हम क्यों किसी चीज़ को छोड़ते नहीं है, यह जानते हुए भी कि यह गलत है और हमें और हमारे प्रियजनों को नुकसान पहुंचा रहा है। हमें दर्द का यह रिश्ता तोड़ना और उस से खुद को मुक्ति देना इतना मुश्किल क्यों लगता है? मैं उस स्थिति तक पहुंच चुकी थी जहां मुझे सामाजिक अस्वीकृति, या अज्ञात होने या आर्थिक कारणों से कोई फर्क नहीं पड़ता था, क्योंकि वैसे भी मुझे अपनी शादी में वे प्राप्त नहीं हुए थे। तो यह था क्या?
मैंने सलाहकारों से मदद ली और उन्होंने मुझे बताया कि मुझे जो चीज़ रोक रही थी, वह मूल रूप से मेरा रवैया था। मैंने अब तक अपने जीवन की चुनौतियों का सामना सिर्फ इस तरह किया था कि जो चल रहा है उसे चलने दो। मैंने बहाव के विरूद्ध जाकर कुछ भी नहीं किया था। मैंने अपने जीवन के अच्छे पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करके और तनावों को नज़रंदाज़ करके ही अब तक अपने जीवन के तनाव को संभाला था। तो फिर यह मेरे पति के लिए एक फायदा बन गया जो अपनी सारी ज़िम्मेदारियों को मुझ पर डालता रहा और ज़्यादा से ज़्यादा एब्यूसिव बनता गया, क्योंकि मैं उस पर ध्यान नहीं देती थी और बस उसके द्वारा बताए गए काम करती रहती थी। और जैसे-जैसे समय बीतता गया, वह और ज़्यादा निर्भीक होता गया।
अंततः मुझमें हिम्मत आई
और फिर मैंने अंततः बंधन तोड़ दिया! और ऐसा करने के लिए मुझे जिन्होंने प्रेरित किया वे मेरे बच्चे हैं जो तब तक बड़े हो चुके थे और अपने और मेरे भले-बुरे का फैसला खुद कर सकते थे। उन्होंने काफी कुछ किया ताकि मैं यह अंतिम कदम उठा पाउं।
मुझे आगे बढे अब डेढ़ साल हो चुका है। मैं तलाकशुदा और सिंगल हूँ, एक बेटी अमेरिका में पढ़ रही है और छोटी बेटी मेरे साथ है। अकेले रहना डरावना तो है, लेकिन अब मैं आज़ाद हूँ!
मेरे वे सपने अब भी बरकरार हैं जिनमें मुझे एक पुरूष बचाता है और कहीं दूर ले जाता है जहां मैं उसके साथ हैप्पिली एवर आफ्टर रहती हूँ…