मैं असाइनमेंट को पूरा करने की कोशिश करते हुए हॉट चॉकलेट के एक मग के साथ लैपटॉप के सामने बैटी थी। सिप और स्क्रिबल्स के बीच में, मैं हाल ही में हुई बारीश की वजह से हुए कन्जेस्शन को कम करने के लिए भाप इन्हेल कर रही थी। मुझे बिमार जैसा महसूस हुआ! मुझे इस तरह के समय में अपने पापा की याद आती है। नहीं, सिर्फ इसलिए नहीं क्योंकि वह डॉक्टर थे, बल्कि इसलिए क्योंकि वह ऐसा दिखाते थे जैसे सबकुछ बिल्कुल ठीक है।
एक देखभाल करने वाले पिता
हाँ, अगर वह पास होते थे तो बिमार होना भी बहुत अपनत्व भरा लगता था। गर्म खाना, ज़बरदस्ती गर्म पानी में पैर धोना, हर थोड़ी देर में पूछना कि क्या मैं ठीक हूँ, मुझे इतना वांछित और लव्ड महसूस करवाता था। उनकी चिंता हमेशा इस बात पर समाप्त होती थी ‘तुम्हें अपनी देखभाल करना सीखना चाहिए’ लेकिन मुझे उनकी तवज्जो पाना इतना अच्छा लगता था कि मैंने उनकी बात पर कभी ध्यान ही नहीं दिया। खैर, मैंने कभी सोचा नहीं था कि चीज़ें बदलेंगी। अब जब मैं उनसे दूर हूँ और अपनी लापरवाही की वजह से हुई सर्दी से निपटने की कोशिश कर रही हूँ, तब मुझे अहसास हो रहा है कि वे ऐसा क्यों कहते थे।
मुझे लगता है कि अगर किसी ने पिता का प्यार पाया है, तो वह कभी प्यार से संतुष्ट नहीं हो सकता। मेरे पिता की बेटी होने के नाते, प्यार का बैंचमार्क इतना उच्च हो गया है कि मैं कभी संतुष्ट ही नहीं होती।
वे मेरी छोटी से छोटी जीत का उत्सव मनाते थे
जब भी मेरे पापा मुझे देखते थे, उनकी आँखों में गर्व, प्यार और अनगिनत भावनाएं उमड़ आती थीं। जब मैं किसी कारण से बिखरने लगती थी, तब मुझसे पहले उनकी आँखों में दर्द उमड़ आता था। मैंने उन्हें अपनी छोटी असफलताओं पर उत्साहित होते और उन्हें सेलिब्रेट करते देखा है। मेरे द्वारा पहली बार सफलतापूर्वक अंडा उबालने जैसी छोटी सी चीज़ भी उनके द्वारा प्रशंसा प्राप्त करने के लिए पर्याप्त थी। लेकिन वे सेलिब्रेट करते कैसे थे? और ज़्यादा अंडे उबालकर और उनपर मसाले छिड़क कर उन्हें बास्केट में भर कर लॉन में ले जाते थे और एक तात्कालिक पिकनिक मना लेते थे। हमारे साथ और कौन होता था? घर की नौकरानी, निश्चित रूप से मेरी माँ और बगीचे के पक्षी। बस इस अवसर को यादगार बनाने के लिए।
मैं जो भी करती थी वह उनके लिए विशेष होता था। हर छोटी जीत, हर छोटी हार, मैं जो भी कुछ करती थी वह उनके लिए महत्त्वपूर्ण होता था। जब मैं बात करती थी तब वे सुनते थे, जो मैं बोलती थी उसे महसूस करते थे और मैं खुश होती थी तो वे भी खुश होते थे। अगर मैं कुछ भी मांगती थी, जैसे की चॉकलेट का एक पैकेट, तो वे तीन ले आते थे और पूछते थे कि क्या मुझे और चाहिए। जब मैं छुट्टियों में घर पर होती थी तो वे पूरा किचन काजू और बोरबोन बिस्किट से भर देते थे क्योंकि वे मेरे फेवरेट थे। यह सिर्फ एक झलक है कि मेरे पिता कैसे थे।
अपने माता-पिता से हम जो पहली भावना सीखते हैं वह है प्यार और मैंने इस तरह का प्यार सीखा है। और मैं भी इसी तरह प्यार करती हूँ क्योंकि मैं इसी तरह के प्यार को जानती हूँ, मैं और किसी तरह के प्यार से संतुष्ट नहीं हो सकती।
मेरे पति के बारे में क्या?
लेकिन क्या यह मेरे पति के साथ अनुचित नहीं है? अनजाने में यह तुलना करना?
नहीं, यह नहीं है।
मैंने हमेशा अपने साथी में अपने पिता का प्यार ढूंढा है, कभी यह नहीं समझा कि वह एक अलग व्यक्ति है। मैं कभी भी उसकी पूरी दुनिया नहीं बन पाउंगी, जिस तरह मैं अपने पापा के लिए थी। वह सब काम छोड़ कर तुरंत मेरे पास नहीं आ जाएगा। क्योंकि मैं उसकी ‘साथी’ हूँ और साथी वो लोग होते हैं जो बराबर होते है। मेरी बेटी के जन्म के बाद मुझे अहसास हुआ कि ना तो मैं कभी अपने पति की पूरी दुनिया थी और ना कभी हो पाउंगी। उसकी पुरी दुनिया मेरी बेटी है।
हर दिन जब मैं उसे अपनी बच्ची के साथ देखती हूँ, मैं एक अलग ही पुरूष को विकसित होते हुए देखती हूँ। एक पुरूष जिसमें इतना गहरा प्यार करने की योग्यता है, और जब वह अपने प्यार की गहराई में पहुंच चुका है, वह उससे भी ज़्यादा कर सकता है। लेकिन वह प्यार सिर्फ हमारी बेटी के लिए आरक्षित है। मुझे बस इसी बात से तसल्ली मिल जाती है कि वह मेरे जैसी दिखती है। मैंने एक ज़िद्दी पुरूष को, अपनी बेटी पर नज़र पड़ते ही मक्खन की तरह पिघलते देखा है, और उन मामलों में मैं उसमें अपने पिता की छवि देखती हूँ।
शायद एक और रास्ता है
जब मैं अपना असाइन्मेंट पूरा करने की कोशिश कर रही थी, मेरा ऑफिस बॉय एक पार्सल लेकर अंदर आया।
“मैंने कुछ ऑर्डर नहीं किया है,’’ मैं उसे मना कर रही रही थी कि मेरा फोन बजा।
ऑफिस बॉय को पार्सल के साथ खड़ा छोड़कर, मैंने अपने पति का मेसेज चैक किया।
“सूप पी लो। तुम्हें बेहतर महसूस होगा।”
एक छोटे बच्चे की तरह उत्साहित और आभरी होते हुए जिसे एक सरप्राईज़ ट्रीट मिल गई हो, मैंने पार्सल ले लिया और ऑफिस बॉय ने चैन की सांस ली।
जैसे ही मैंने हॉट एंड सॉर सूप का पहला घूंट भरा, मसाले, मिर्च और खट्टे स्वाद वाले गर्म रसे ने ठीक वहीं आराम दिया जहां मुझे तकलीफ थी। सुखद रूप से बाकी का सूप पीते हुए, मैंने सोचा, ‘‘जो मैं ढूंढ रही हूँ उस तरह का प्यार मुझे कभी नहीं मिल सकता। मेरा बैंचमार्क बहुत उच्च है। लेकिन फिर, मैं हमेशा प्यार के अपनेपन का आनंद ले सकती हूँ जो सर्दी में एक गर्म सूप के बाउल की तरह महसूस होता है। यह वह प्यार है जो उपयुक्त और पर्याप्त लगता है।”