हैलो सर,
मेरी शादी एक साल पहले हुई थी। मेरे ससुराल में अपने पहले दिन, मैं सुबह सात बजे जाग गई थी। मेरी सास ने देर से जागने के लिए मुझे डांटा। मैं चिंतित हो गई। अगले दिन से ही वे चाहती थीं कि घर के सभी काम मैं करूं। दो महीने तक खाना पकाना और सफाई मैंने ही कि और वह भी किसी की मदद के बिना। वे मुझे मेरे पति के बिना घर से बाहर नहीं निकलने देती थीं। मैं एक ऐसे परिवार में पली बढ़ी हूँ जहां हमारे घर पर काम करने के लिए घरेलू नौकर थे और जब हम बाहर जाना चाहते थे हमारे पिता हमेशा हमें बाहर ले जाते थे।
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अब मुझे अहसास हुआ है कि मेरे पति के परिवार वाले मुझे अपना नौकर समझते थे। इस वजह से मैं तनावग्रस्त हो गई थी। जब मैंने अपने पति से शिकायत की, उन्होंने कहा, ‘‘सारा काम करना तुम्हारा फर्ज है। मैं चाहता हूँ कि मेरी माँ आराम करे।” मैंने हर उम्मीद छोड़ दी।
एक दिन मैं अपने माता-पिता के घर गई और उन्हें सबकुछ बता दिया। उन्होंने कहा, ‘‘तुम्हें अपने ससुराल वालों के पास वापस जाना होगा।”
मेरे पति आए और मुझे ले गए। उन्होंने कहा कि वे मुझे वास्तव में प्यार करते हैं। इन सब के बाद, कुछ भी नहीं बदला। मेरी सास अब भी मुझे मेरे पति के बिना बाहर नहीं जाने देती हैं। वे हमेशा खाना बनाने/सफाई करने के लिए मुझे घर पर ही रखना चाहती हैं।
मेरे विवाहित जीवन के बारे में मेरे कई सपने हैं; जैसे की एक कॉफी शॉप में एक साथ काफी पीना, उनके साथ किसी थिएटर में एक फिल्म देखना, बाइक पर घूमना…लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला। मुझे दूर-दूर तक कोई उम्मीद की किरण नज़र नहीं आती। जब कोई मेरा साथ ही नहीं देता तो अपने सपनों को सच कैसे करूं?
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डॉ गौरव देका कहते हैं:
हैलो!
इससे पहले कि मैं इस स्थिति से निकलने के समाधान पर आउं, मैं चाहता हूँ कि आप कुछ समझें। हम सभी एक प्रकार के त्रिकोण में रहते हैं। एक त्रिभुज जिसमें तीन कोण होते हैं -बल्कि तीन भुमिकाएं:
1. पीड़ित
2. अपराधी
3. बचावकर्ता
और चाहे हमारे जीवन में जो भी हो रहा हो, हम कहीं ना कहीं एक नाटक में फंसे हुए हैं। नाटक भूमिकाओं की मांग करता है। ये भूमिकाएं क्लासिक भूमिकाएं हैं जो फ्लिप-फ्लॉप होती रहती है। इसलिए इस त्रिकोण को नाटक का त्रिकोण कहा जाता है। आपको यह समझने की ज़रूरत है कि अभी आप पीड़ित की भूमिका में हैं।
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वास्तव में, पीड़ित होना सबसे आसान विकल्प है। पीड़ित निष्क्रिय हो सकता है और शिकायत कर सकता है, इसलिए इसे सक्रिय कार्यवाही की ज़रूरत नही है। अगर आप पीड़ित हैं, तो अपराधी आपकी सास हुई। आपका पति संभावित बचावकर्ता हो सकता है, लेकिन इस मामले में वह नहीं है। लेकिन क्या आप वास्तव में सक्षम बचावकर्ता का इंतज़ार कर सकती हैं? शायद नहीं!
आपके आसपास की दुनिया शायद आपकी खुशी, आपकी इच्छाएं, आपके सपने और आपकी उम्मीदें छीन सकती है। लेकिन वह आपकी इच्छाशक्ति नहीं छीन सकती। इसलिए हाँ, इसी का अभ्यास करें अपनी सास को जवाब दें कि आप इस तरह जीना नहीं चाहतीं।
अपने पति और अपनी सास को अपनी पसंद के बारे में बताएं। पसंद से मेरा मतलब है, इस तरह के वाक्यः मैं इसे स्वीकार करने से इन्कार करती हूँ| मैं इस चर्चा में हिस्सा नहीं लूंगी| आप जो भी मुझसे करने के लिए कहेंगे मैं वह नहीं करूंगी। ‘ना’ कहें और अपनी इच्छा के बारे में बताएं, क्योंकि आपकी पसंद आपकी इच्छा का एकमात्र अनुस्मारक है। और इच्छाशक्ति ही एकमात्र उपकरण है जिसका उपयोग करके आप इस नाटक के त्रिकोण से बाहर निकलने में सक्षम होंगी।
जब तक आप बाहर नहीं निकलतीं, शिकायतों का यह लूप जारी रहेगा, क्योंकि आपकी सास हमेशा दोषी बनी रहेगी और आप हमेशा पीड़ित बनी रहेंगी।
शुभेच्छा,
गौरव