प्रिय मल्लिका मैम
मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी का एक छात्र हूँ और इस समय एक बहुत ही ख़ूबसूरत रिश्ते में हूँ. मेरा रिश्ता बस एक साल ही पुराना है मगर इस एक साल में इतना करीब आ गए है की हमने फैसला किया है की हम दोनों एक दुसरे के जीवनसाथी बनेंगे. हमने हाल ही में अपनी पहली सालगिरह भी मनाई है.
सच कहूँ तो उसके बाद से ही हमारे बीच चीज़ें ख़राब होती जा रही हैं या फिर ये भी हो सकता है की मैं ज़्यादा सोच रहा हूँ. मेरी गर्लफ्रेंड का एक बेस्ट फ्रेंड है. वो मेरा भी मित्र है और इससे पहले मुझे कभी उससे कोई ईर्ष्या नहीं हुई थी. मगर अब पिछले दो महीनो से मुझे लगने लगा है की मेरी गिर्ल्फ्रेंड और वो दोस्त काफी करीब आ रहे हैं. मैं जब भी उन्हें साथ देखता हूँ, मुझे इस नज़दीकी का एहसास होता है.
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इसका कारण ये भी हो सकता है की शायद उस पार्टी के बाद से ही हम दोनों काफी काम बातें कर पा रहे हैं और वो शायद मुझसे नाराज़ है क्योंकि मैं उसकी बातें ध्यान से नहीं सुन रहा. मगर मुझे नहीं पता की उसके दिमाग में क्या चल रहा है क्योंकि उसने मुझे कुछ नहीं कहा है. अब मुश्किल इसलिए हो रही है क्योंकि मुझे हमारे उस दोस्त पर अब शक होने लगा है. मैं डर रहा हूँ की कहीं वो उसके करीब तो नहीं जा रही है और शायद मेरा ये डर हमारे रिश्ते को भी ख़राब कर सकता है.
कृपया सलाह दें की मैं क्या करूँ और कैसे अपनी मदद करूँ.
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मल्लिका पता कहती हैं
बहुत बहुत बधाई आप दोनों को एक साल के रिश्ते के लिए. ये एक बहुत ही महत्वपूर्ण पड़ाव है आप दोनों के रिश्ते के लिए.
सबसे पहले आपसे दो सवाल पूछना चाहूंगा. आपको अपने मित्र पर इस तरह शक क्यों हो रहा है? आपका वो खुद भी अच्छा दोस्त है, ऐसा आपने खुद बताया है. फिर तो उसे आपके और आपकी गर्लफ्रेंड के रिश्ते के बारे में सब कुछ पता ही होगा. दूसरी बात ये की आपने कहा की वो आपसे नाराज़ हैं क्योंकि आप उसकी बातें नहीं सुन पा रहे है. मगर ऐसा क्यों है की वो आपसे उम्मीद कर रही है की आप उसकी बातें सुनेंगे अगर आप इस समय ऐसी स्तिथि में नहीं हैं फिर भी.
आप खुद से ये सवाल पूछिए और अपने व्यवहार को आंकने की कोशिश करें। जैसा आपने खुद ही कहा है हो सकता है की आप इस पूरी स्तिथि को कुछ ज़्यादा ही सोच रहे हो.
साथ ही आप अपनी गर्लफ्रेंड से भी अपने मन की असुरक्षाओं को शेयर करें. अपनी इन बातों की जड़ तक पहुंचे और अपनी गर्लफ्रेंड के साथ उसे डिसकस करें. हो सकता है की आपके मन के डर का ही नतीजा आपकी ये सारी सोच हो. इसके अलावा आपने बताया की आप उन दोनों की नज़दीकियों से सहज नहीं महसूस करते हैं. आप दोनों साथ बैठे और इस बारे में भी बातें करें. हो सकता है की वो आइंदा अपने उस मित्र से बातें करते हुए कुछ दायरे बना ले.
मैंने हमेशा ही इस बात पर ज़ोर दिया है की किसी भी रिश्ते में ईमानदारी और बातचीत बहुत ही ज़रूरी होती है. आप उससे बातें करें और उसे मौका दें ताकि वो भी अपनी बातें व्यक्त कर सकती हैं. आप उनकी बातें ध्यान से सुने और समझने की कोशिश करें.
मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं,
मल्लिका