प्यार होना आपके हाथ में नहीं है, यह कभी भी, कहीं भी हो सकता है। मैं दीपशिखा हूँ और यह मेरी कहानी है कि मुझे अपने पति से प्यार कैसे हुआ।
मैं 27 वर्ष की थी। मेरी माँ मेरी शादी करवाने के लिए बेताब थी। और जैसा की हम सभी जानते हैं, 25 वर्ष के पहले एक लड़की को कुंआरी कहा जाता है और उसके बाद वह सिर्फ अविवाहित होती है।
जब मेरी माँ ने मुझसे पूछा कि क्या मेरा कोई बॉयफ्रैंड है, मैंने कहा नहीं और कुछ ही पलों में उन्होंने शादी डॉट कॉम की प्रोफाइल खोल दी जो उन्होंने मेरे लिए बनाई थी। वैवाहिक संभावनाओं को चैक करना मेरे लिए हर दिन का काम बन गया।
और फिर एक दिन, मेरे सामने यह प्रोफाइल आई। वह समृद्ध लग रहा था। मेरी माँ बहुत उत्साहित हो गई और उन्होंने प्रोफाइल पर लिखे नंबर पर फोन लगा दिया। उस कॉल ने मुझे एड्रेनालाईन रश दे दिया। मेरे दिमाग में सैकड़ों बार यह विचार आया कि शायद मेरी शादी इसी लड़के से हो जाएगी। पता नहीं क्यों लेकिन इस बारे में मेरी बहुत स्ट्रांग फीलिंग थी। तब तक, मेरी माँ उस लड़के से बात कर चुकी थी और उन्होंने कहा कि वह उस लड़के को मेरा नंबर दे चुकी हैं और वह 5 मिनट में मुझे फोन करेगा।
मेरी माँ एक एकल कामकाजी महिला हैं और उन्होंने मेरे लिए इतना किया है जितना मेरे पिता भी नहीं कर पाते अगर वे जीवित होते तो। उन्होंने हम दो बहनों को आत्मनिर्भर बनाया है और जीवन की व्यवहारिकता सिखाई है।
हमने लगभग एक घंटे तक बात की। वह एक सोलमेट की तलाश में था क्योंकि उसकी एक्स ने उसे धोखा दे दिया था। मैंने यह कह कर फोन रख दिया कि ‘‘पहले अपनी एक्स को भूलो उसके बाद शादी के बारे में सोचना।” फिर उसके माता-पिता ने फोन किया यह कहने के लिए कि वे मुझसे मिलना चाहते हैं और बात आगे बढ़ाना चाहते हैं। मैंने सोचा कि में प्रस्ताव ठुकरा दूंगी लेकिन नहीं, मैंने ऐसा नही किया!
हम उसके माता-पिता से मिलने, उसका घर देखने और सबसे महत्त्वपूर्ण, उससे मिलने के लिए उसके शहर गए। हमारी पहली मुलाकात काफी कैसुअल थी, हमने काम, दोस्तों आदि के बारे में बात की। जब मुलाकात खत्म हो गई और हम जाने वाले थे, उसने मुझे अपनी बाईक पर शहर घुमाने का प्रस्ताव दिया। उसके साथ घूमने के दौरान मुझे ऐसा महसूस हुआ कि वह लंबे समय से मेरा दोस्त था। घर लौटने के बाद, उसके पिता ने मेरी माँ को बताया कि उनका बेटा मुझसे शादी करना चाहता है। मेरी माँ मेरा जवाब जानने के लिए मेरे पास आई। मैं उलझी हुई थी। सिर्फ एक बार मिलने के बाद ही मैं कैसे हाँ कर दूँ? मैंने थोड़ा ज़्यादा समय मांगा। उन्होंने स्वीकार कर लिया।
एक महीने के बाद मैंने माँ को हरी झंडी दे दी क्योंकि उन्हें वह लड़का और परिवार बहुत पसंद था, और मेरे लिए मेरी माँ की खुशी महत्त्वपूर्ण थी। उसने हमारी एक साल लंबी कोर्टशिप में हर दिन फोन किया था।
मेरे मन में, मेरी ओर से प्यार नहीं था, मैं बस उसे पसंद करती थी। लेकिन अपनी माँ की खातिर, मैं आगे बढ़ी और शादी के लिए खरीदारी शुरू कर दी। खरीदारी से मुझे खुशी मिलनी चाहिए, हैना? लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
मैं अपने विचारों में खोई हुई थी। मैं नहीं जानती थी कि भावनाओं से कैसे निपटूँ। वे भावनाएं अत्यधिक तीव्र थीं। माँ को अकेले छोड़कर एक नए शहर में जाना। वह विचार मेरे पूरे बदन को कंपकंपा देता था।
अंततः शादी का दिन आ गया। मैं शादी के बारे में बिल्कुल भी डरी हुई नहीं थी। बल्कि, वह डरा हुआ था! अचानक, सभी अत्यधिक तीव्र भावनाएं और उदासी जिनसे मैं पिछले एक साल से गुज़र रही थी, वे अपने आप पूरी तरह गायब हो गई थीं। हालांकि, मुझे अब भी प्यार नहीं हुआ था। लेकिन कम से कम मुझे यह आशा थी कि मुझे जल्द ही प्यार हो जाएगा।
जैसा कि आप सभी जानते हैं, भारतीय शादियों में धूम-धाम और शोरशराबा बहुत होता है। रस्म और रिवाज़ कभी खत्म ही नहीं होते हैं। फिर बिदाई हुई। मैं बुरी तरह रो रही थी और फिर मैंने देखा कि मेरा पति भी मेरे साथ रो रहा है। उस समय कामदेव ने मुझपर बाण चलाया और मुझे मेरे पति से प्यार हो गया।
आप कभी नहीं कह सकते कि आपको उस समय या उस विशेष दिन या अगले साल या इसी महीने प्यार हो जाएगा। आप कभी नहीं जान सकते कि यह कब होगा। लेकिन जिस दिन आपको प्यार होगा, मैं गारंटी दे सकती हूँ कि वह आपके जीवन का सबसे अच्छा दिन होगा।
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Nice story