“मैंने तो पहले ही कहा था”
कितना गुस्सा आता है न जब हमारे माता पिता सही साबित होते हैं? मगर दुःख की बात तो ये है की वो अक्सर सही ही साबित होते हैं. खासकर तब जब बात हमारे ज़िन्दगी के फैसलों की होती है, उनकी बातें अक्सर हमारा पीछा करती हैं और सच भी हो जाती हैं मगर कभी कभी ज़रूरी है की हम उनकी चेतावनी के बावजूद भी आगे बढे और कुछ खतरे मोल लें क्योंकि क्या पता कहाँ वो गलत और सही हो जाए.
जीवनसाथी कैसा हो, ये बात हमारे दिमाग में हमारे माता पिता के हिसाब से ही बैठी हुई होती है. हमने अपने परिवार से इस विषय में इतना कुछ सुना होता है की बिना जाने भुझे भी हम उन्ही की राह पर चल रहे होते हैं. और अगर नहीं चलते तो फिर अक्सर मुश्किल में पड़ जाते हैं. तो यहाँ हम लिस्ट कर रहे हैं ऐसी कुछ बातें जो जीवनसाथी और रिश्तों के बारे में हमारे भारतीय माता पिता अक्सर बोलते हैं.
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रिश्ते में पुरुष उम्र में बड़ा होना चाहिए
मेरी माँ मुझसे ये एक बात हमेशा ही कहा करती थी. वो कहती थी की एक पुरुष और स्त्री के रिश्ते में पुरुष की उम्र स्त्री से हमेशा थोड़ी ज़्यादा होनी चाहिए. उनका कारण बहुत ही सीधा था. वो मानती थी की अक्सर स्त्रियां पुरुषों की अपेक्षा कहीं ज्यादा समझदार होती हैं और अगर दोनों की उम्र बराबर हुई या पुरुष उम्र में छोटा हुआ, तो दोनों के बीच का तालमेल बिलकुल गड़बड़ा जाएगा. सिर्फ एक बड़ा पुरुष ही अपने से कम उम्र की स्त्री को संभाल सकता है और उसकी मनसिक उम्र से उसकी उम्र मैच कर सकती है.

शायद वो सही ही कहती हैं. मेरे पिता मेरी माँ से पांच साल बड़े हैं. मैंने कई लड़को से दोस्ती की मगर अंत में अपने से १२ साल बड़े लड़के से प्रेम करने लगी.
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हम सब अपने माता पिता ही बन जाते हैं
आपने तो सुना ही होगा न की सेब अपने पेड़ से ज़्यादा दूर नहीं गिरता. मेरे माता पिता ने हमेशा इस बात को सही माना है. मेरे सभी बॉयफ्रेंड को इस बिनाह पर अच्छा या बुरा समझा जाता था की उनकी परवरिश कैसी हुई है और उनका परिवार कैसा है. अगर मेरे बॉयफ्रेंड इन मुश्किलों को पार कर पाते, तभी मेरे माता पिता उन्हें घर तक आने की इजाज़त देते थे. उनका कहना था की वो लड़का हो सकता है की खुद को आधुनिक और खुले विचारों वाला समझे मगर कमज़ोर पलों में वो अपनी परवरिश के हिसाब से ही सोचेगा। इसलिए ज़रूरी है की परवरिश आपके विचारों से मेल खाती हो वरना रिश्ते लम्बी दूरी तय नहीं कर पाते.
मेरी कजिन की शादी एक रूढ़िवादी परिवार में हुई थी मगर जिस लड़के से उसने शादी की, वो एक आधुनिक विचारों का लड़का था. शादी के छह महीने बाद ही मेरी कजिन घर वापस आ गई क्योंकि उसके पति ने उसे धमकी दी थी की अगर उसने नौकरी नहीं छोड़ी तो वो उसे जान से मार देगा.
कशिश से ज़्यादा आदर चाहिए
भारतीय माँ बाप हमेशा कहते हैं की जीवन साथी को आपसे प्यार से ज़्यादा आपकी इज़्ज़त करनी ज़रूर है. उनका कहना है की इस तरह के पैशन की तो शायद एक सिमित समय सीमा हो, मगर इज़्ज़त की कोई ऐसी सीमा नहीं होती. किसी के सुन्दर चेहरे या शानदार डीलडोल से प्रभावित होना गलत है क्योंकि आगे चल कर ये सब बातें मायने नही रखते. एक ज़िन्दगी भर के सुखी साथ का सबसे सटीक नुस्खा है एक दुसरे के प्रति प्यार, समझ, और एक दुसरे का मान.
एक बार जब शुरुवाती हनीमून वाले दिन ढल जाते हैं और एक दुसरे के प्रति शारीरक आकर्षण की शक्ति भी कम होने लगती है, जो दम्पति एक दुसरे का मान नहीं करते, वो साथ खुश नहीं रह पाते हैं. सिर्फ वो ही साथी एक दुसरे के साथ खुश रह सकते हैं जो समय के साथ शारीरिक आकर्षण से आगे भावनात्मक सम्बन्ध की तरफ बढ़ें।
गैरज़रूरी विषयों पर समझौते करो
हमारे माता पिता की माने तो एक सफल रिश्ते की कुंजी है समझौता. वो हमसे हमेशा कहते हैं की जीवन में छोटी छोटी बातों को नज़रअंदाज़ कर ही हम खुद भी खुश रह सकते हैं और अपने साथी को भी खुश रख सकते हैं. शायद इस सोच के पीछे का कारण ये है की वो उस ज़माने के हैं जब लोग कुछ टूटता था, वो उसे फेंक नहीं देते थे बल्कि संभाल कर रख देते थे और उसे फिर से जोड़ने के तरीके ढूंढते थे. वो हमें भी यही सीख देना चाहते हैं. मगर हम तो हर चीज़ को बदलने की आदत से मजबूर हैं और हमारे तो सामने हमेशा ही कई रास्ते होते हैं. मगर हाँ, जब कोई ऐसा इंसान मिलता है जिसके लिए सब कुछ छोड़ दिया जाए, तब हम अपने माता पिता की सीख ही मानते हैं.
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समय सबसे अच्छी दवा है
समय को हम जैसे देखते हैं, वो हमारे माता पिता की सोच से बिलकुल ही अलग है. हमारी पीड़ी रफ़्तार को बहुत ही महत्त्व देती है. हमारे पास दिल टूटने तक का समय नहीं है मगर हमारे माता पिता हमेशा ही हमसे कहते हैं की हमें सच्चे प्यार का इंतज़ार करना चाहिए, सब्र के साथ किसी टूटे रिश्ते से टूटे दिल को जुड़ने का वक़्त देना चाहिए और में यूँ ही फिर से बिना सोचे समझे एक नए रिश्ते में नहीं बंधना चाहिए. उनके लिए इंतज़ार समय की बर्बादी नहीं होता है मगर वो ऐसा समय होता है जब हम अपने अंतर्मन में झाँक कर देख सकते हैं और समझ सकते हैं की हमें क्या चाहिए.
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