अब आप चाहें आदतों को दोष दो या भारतीय परंपराओं की दुहाई लेकिन जब प्यार की बात आती है तो लोगों ने हदें निर्धारित की हुई हैं। प्यार करो लेकिन उसके बारे में बात नहीं और जब उसमें उम्र का अंतर अधिक हो तो वह और भी अधिक चर्चा का विषय बन जाता है।
“प्यार जो उम्र की हदों को नजर-अंदाज करता हो”…
“प्यार जो हर परंपरा से आगे हो”…
प्यार का परंपरागत होना आवश्यक नहीं Image Source
इन वाक्यों को बोलते ही या पढ़ते ही एक फिल्म जो जेहन में दस्तक देती है वह है लम्हें….
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लम्हें, एक ऐसी कहानी है जहां दो लोगों का प्यार शर्तों से आजाद है। यहां बताया गया है कि प्यार का परंपरागत होना आवश्यक नहीं है।
लम्हें, वीरेन की कहानी है जिसे पल्लवी से प्यार है जोकि उससे उम्र में बड़ी है और वह वीरेन से प्यार भी नहीं करती है, जिस वजह से उसकी यह प्रेम कहानी पूरी नहीं हो पाती। फिर कहानी कुछ इस कदर मोड़ लेती है कि पल्लवी के एक दुर्घटना में आकस्मिक देहांत के कई साल बाद उसकी बेटी पूजा को वीरेन से प्यार हो जाता है। यहाँ कहानी थोड़ी उलझ जाती है और हमारी परंपरागत सोच को टक्कर देती है । वीरेन पूजा से उम्र में काफ़ी बड़ा है, तो ये प्यार सही नहीं है, संभव नहीं है। इसी तरह की अनगिनत बातें, जिन का सही मायनों में प्यार से लेना-देना भी नहीं है, आ जाती हैं। लम्हें एक प्रगतिशील सोच को प्रदर्शित करती है परंतु उस समय इस फिल्म पर कई सवाल उठाए गए। उस समय के हिसाब से यह एक निषिद्ध विषय था। अपने से इतनी बड़ी आयु के व्यक्ति से प्यार!!!
क्या वाकई यह एक निषिद्ध विषय था??
क्या यह असली जीवन में नहीं होता है??
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असल जीवन की बात करें तो दिलीप कुमार – सायरा बानो इस बात की पुष्टि करने का उत्तम उदाहरण है। उनके बीच उम्र का अंतर २२ वर्षों का है, जब उनका विवाह हुआ तब दिलीप कुमार साहब ५५ वर्ष और सायरा बानो जी २२ वर्ष की थी और उनका यह विवाह सफलतम विवाहों में से एक है। इसी श्रंखला को आगे बढ़ाते हुए धर्मेंद्र जी-हेमा मालिनी जी जिनका उम्र का अंतर १३ वर्षों का है, और संजय दत्त-मान्यता दत्त जहां अंतर १९ वर्षों का है आते हैं। साथ ही अभी एक नई जोड़ी जो दिमाग में आती है वह है मिलिंद सोमन-अंकिता की यहां यह अंतर २६ वर्षों का है। तो कैसी वर्जना।
यहां पर जगजीत सिंह जी के गाने की यह पंक्तियाँ सर्वथा उपयुक्त हैं।
ना उम्र की सीमा हो
ना जन्म का हो बंधन
जब प्यार करे कोई
तो देखे केवल मन…..
तो देखे केवल मन… हमनें हम उम्र लोगो में प्यार होते हुए देखा है और उसको अपनाना भी हमारे लिए काफी सहज है लेकिन यहां सवाल यह है कि, “क्या प्यार को उम्र का पता होता है”। उसे यह एहसास भी होता है क्या, कि यह भी एक शर्त है, जो उसे पूरी करनी पड़ेगी?
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प्यार एक एहसास है, जो किसी को, कभी भी, किसी के लिए भी, कहीं भी महसूस हो सकता है। हमें इसको उम्र, जात-पात, रीति रिवाज और परंपराओं की बेड़ियों से दूर रखते हुए निष्काम और निष्छल ही रहने देना होगा।
प्यार एक एहसास Image Source
जैसे कि किसी ने बहुत खूब कहा है…
पनाह मिल जाए रूह को जिसका हाथ छूकर,
उसी हथेली को घर बना लो…..
फिर कैसी उम्र की सीमा। प्रेम तो एक रूहानी रिश्ता है और रूह की कहां कोई उम्र होती है।
अजीब चीज़ें जो जोड़े साथ करते हैं जब उनका प्रेम सहज हो जाता है