“हेलो, मैं बोल रही हूँ. कैसे हो?”
“अरे तुम! मैं बढ़िया हूँ. और तुम?”
“मैं भी ठीक हूँ. अच्छा सुनो, कॉफी पीने चलें?”
“रात के एक बज रहे हैं!”
“तो?अब मुझे ये मत कहना की तुम बुड्ढे और बोरिंग हो गए हो.”
“अरे ऐसा कुछ नहीं है. बस असल में कल उसका बर्थडे था और मैं काफी देर से घर आया. और फिर कल सुबह भी नौ बजे ऑफिस पहुंचना है,”
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“कल मेरी शादी है.”
“ओह्ह!”
“इस ‘ओहह’ का मतलब?”
“कल तुम्हारी शादी है और तुम मुझसे आज मिलना चाहती हो?”
“क्यों?तुम्हे नहीं मिलना?”
“तुम मुझसे अभी क्यों मिलना चाहती हो?अभी?”
“पुराने दिनों के खातिर”
“मैं तुम्हे आधे घंटे में पिक करता हूँ.”
“ठीक है.”
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जब सब सो रहे होंगे, मैं आराम से चुपचाप निकल सकती हूँ.
मैंने खुद को शीशे में ध्यान से देखा. क्या इस तरह शादी के कुछ घंटे पहले अपने एक्स से मिलना सही था?
मेरे अंदर की अच्छी सुशिल लड़की ने मुझे फिर से कचोटा, “क्या तुम सही कर रही हो?”
मगर मेरे अंदर की शैतान उन्मुक्त लड़की ने जवाब दिया, “तुम्हे क्या लगता है. क्या ये बिलकुल गलत है?”
सुशिल लड़की ने पुछा, “तुम बताओ. तुम्हे क्या लगता है?”
“मुझे तो इसमें कुछ गलत नहीं लगता. आखिर वो बस एक कॉफ़ी पीने ही तो जा रहे हैं. उन्हें अलग हुए पांच साल हो चुके हैं. और याद है न दोनों कितनी कड़वाहट के साथ अलग हुए थे,” शैतान ने याद दिलाया.
“उसके लिए कहीं कोई दबी हुई चिंगारी तो नहीं है,” एंजेल ने पुछा.
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“बिलकुल नहीं. मैं इस बारे में निश्चित हूँ.”
“अच्छा अगर ये आईडिया इतना ही अच्छा है, तो तुम जैसी शैतान इसका इतना पक्ष क्यों ले रही हो?” उस सुशिल लड़की ने थोड़ी ज़ोरदार आवाज़ में पुछा.मैं तुरंत समझ गई की आखिर इस अचानक किये फ़ोन कॉल की असली वजह कहाँ है. उसी सुबह पार्लर में अपना पेडीक्योर करते हुए मेरी बातचीत कुछ लड़कियों से हुई जिनकी हाल ही में शादी होने वाली थी.
एक बहुत ही चुलबुली सी लड़की ने कहा, “या तो तुम्हारा मन अपने एक्स को किश करने का करेगा या फिर दोबारा कभी उसकी शक्ल नहीं देखने का.”
मैंने उससे पुछा था की ये भी तो हो सकता है की कुछ भी करने का मन न करे. मगर उसने जवाब में न में सर हिला दिया.
एक तीसरी लड़की जिसकी शादी भी जल्द ही होने वाली थी, उसने घबरा कर पुछा, “अगर मेरा मन उसे किस करने का करने करे तो?”
वो चुलबुली हंसने लगी और कहा, “हाँ क्यों नहीं. तभी तो कितनी शादीशुदा लड़कियां इस तरह ही अफेयर करने लगती हैं.”
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हमें कॉफ़ी सर्वे की गई और हमारी बात का विषय बदल कर कुछ और हो गया. मगर वो बात मुझे देर तक परेशां करती रही. और उस रात जब मैं लेती थी तो इस बात ने मुझे इतना परेशान कर दिया की मैंने अपने एक्स को फ़ोन कर दिया.
ये गलत होगा अगर मैं अपने भावी पति को आगए जाकर किसी भी तरह का धोखा दूँ. ये सवाल मेरे दिमाग में उस पार्लर वाली बातचीत के बाद बार बार आ रहा था और मुझे जब कुछ समझ नहीं आया तो मैंने अपने एक्स बॉयफ्रेंड को फ़ोन कर दिया.
मैं अब भी खुद को शीशे में देख रही थी. उस रात मुझे बहुत ही खूबसूरत लगना था और शीशे में मेरी छवि भी कुछ ऐसा ही कह रही थी. मैं ग्लो कर रही थी. मेरी दादी ने मुझे कहा था, “अरे पार्लर जा कर पैसे खर्च करने की क्या ज़रुरत. दुल्हन तो शादी के पहले वैसे ही सुन्दर लगती है. “
इस सोच भर से मुझे शर्म आने लगी. यूँ तो घर में हर कोई मुझे दुल्हन कह रहा था और इतने रीती रिवाज़ हो रहे थे मगर फिर भी खुद को दुल्हन सोचते ही मुझे शर्म आने लगी. मैंने कभी खुद को दुल्हन नहीं समझा था. अभी पहली बार इस बात का एहसास हुआ था.
मुझे एहसास हुआ की अगले कुछ घंटों में मेरी पहचान, मेरा नाम, मेरी पूरी ज़िन्दगी बदलने वाली है. सब कुछ उस एक व्यक्ति पर ही निर्भर होगा जो मेरा पति बनेगा. वो पूरी दुनिया के सामने ये वचन देगा की वो पूरी ज़िन्दगी मेरी हिफाज़त करेगा, मेरा ध्यान रखेगा. मुझे अचानक लगने लगा की मैं बहुत नाजुक हूँ, कांच की चूड़ियों जैसी नाज़ुक. वो चुडिया मेरीअलमारी में रखीं हैं, उन्हें मुझे कल पहनना है. मैंने जब उन्हें देखा तो वो चमक रहे थे, छोटे बच्चों की आतुर आँखों जैसे उन्हें और जानना था, और जानना था.
मुझे तभी एहसास हुआ की आज की मेरी हरकत उन्हें चकनाचूर कर सकती थीं. मैं ऐसा कैसे होने दे सकती थी.
मैंने फिर से उसे फ़ोन लगाया. चौदह बार बजने के बाद उसने मेरा फ़ोन उठाया.
“हाँ.. मैं ड्राइव कर रहा हूँ.”
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“तुम ड्राइव करते हुए क्यों बातें कर रहे हो?तुम्हे पता है न की ये गैरकानूनी है.”
“अरे किसे परवाह है इसकी! रात का समय है अगर पकड़ा ही गया तो घूस दे कर निकल जाऊँगा,”
“ये गैरकानूनी है.”
“अरे रनअवे दुल्हन, तुम मुझे जज कैसे कर सकती हो!”
“क्या मतलब?”
“ये मुझसे नहीं होगा. अरे शादी की एक रात पहले तुम मुझे इतनी रात अचानक बुला रही हो? मैं तुम्हे जज नहीं कर रहा!”
तभी अचानक मुझे किसी ने झंझोरा. पुरानी बातें याद आने लगी. उसकी यही छोटी सोच और घिनौनी मानसिकता के कारण ही तो मैं उससे दूर होती चली गई थी. मैं उस ब्रेक आप के बाद बहुत अकेली और दुखी थी और तब उस इंसान ने, जिससे मैं कल शादी कर रही हूँ, मुझे मरहम पट्टी लगाई थी. उसने मेरे आंसूं पोछे थे और मेरे लिए कॉफी लता था.
“सुनो, तुम हो न अब भी लाइन पे?मैं बस पहुंचने ही वाला हूँ.”
मैंने फ़ोन काट दिया, कम्बल के अंदर मुँह छुपाया और एक दूसरा नंबर डायल किया.
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मैंने उसे सब कुछ सच बता दिया.
“तो तुम अब भी कल मुझसे शादी करना चाहते हो न?” मैंने उससे पुछा.
मैं उस गर्म कम्बल में लिपटी होने के बाद भी उसके जवाब के इंतज़ार में अंदर तक कांप रही थी.
“जब मैंने तुमसे शादी का फैसला किया था, मुझे पता था की तुम थोड़ी सी सनकी हो. मगर आज तो मुझे पूरी तरह से समझ आ गया है की तुम कितनी सनकी हो सकती हो. ये दुनिया तो भेड़िओं से भरी हुई है और मुझे इस ईमानदार छोटी सी लड़की को उनसब से बचाना होगा न. अच्छा अब भी कॉफी पीने का मन है शादी के डर को मिटने के लिए.”
मैं एक ही पल में दोनों हंसने और रोने लगी और जो आंसूं लगातार बह रहे थे वो ख़ुशी और गिल्ट के मिले जुले आंसूं थे. मैंने फुसफुसा कर हाँ कहा. मुझे पता था की कल की फोटो में हम दोनों की आँखें काम नींद की वजह से शायद सूजी और थकी होंगी मगर मुझे ये भी पता था की उनमे एक दुसरे के लिए प्यार का सैलाब उमड़ रहा होगा.