जब मैंने एक संयुक्त परिवार में विवाह किया तो यह एक कल्चर शॉक था
“ये है मेरी बड़ी बहू!’’ मेरी सास ने मुझे पचासवे रिश्तेदार से मिलवाते हुए पचासवी बार कहा। और पचासवी बार मैं किसी के पैर छूने के लिए झुकी। मेरे पति पर एक ईर्ष्यापूर्ण नज़र डालते हुए, मैंने देखा कि वह हर किसी को खुशी-खुशी गले लगा रहा था। उसने मुझे अपनी सबसे शरारती मुस्कान दी और आँख मारी, जैसे की कह रहा हो, ‘परिवार में स्वागत है!’
अमित, जो एक सिंधी था उससे शादी करना मेरे लिए इंद्रियों का जागना था, चूंकि मैं मुस्लिम थी। ऐसा लग रहा था जैसे मुझे दसवीं क्लास के परीक्षा हॉल की पिन ड्रॉप शांति से एक पूरी मस्ती भरी बारात में खींच लाया गया हो! मेरा मायका हम चार लोगों का परिवार था – दो कामकाजी व्यक्ति और दो पढ़ाकू बच्चे। बढ़ते हुए, हमने अनुशासन और संयम का जीवन जीया था। काम के सिलसिले में मेरे माता-पिता के दूर होने पर, मुझे अकेले रहने, अपने खाली समय में पढ़ने और आम तौर पर खुद का ख्याल रखने की आदत थी। शादी के बाद, धर्म और संस्कृति से ज़्यादा मुझे संयुक्त परिवार प्रणाली में सबसे ज़्यादा एडजेस्ट करने की ज़रूरत थी।
शादी के बाद, धर्म और संस्कृति से ज़्यादा मुझे संयुक्त परिवार प्रणाली में सबसे ज़्यादा एडजेस्ट करने की ज़रूरत थी।
ये भी पढ़े: क्या एक संयुक्त परिवार में अंतरंग होना असहज है?
लोगों का एक समुद्र
मेरे द्वारा संयुक्त परिवार कहने पर, इसे केवल पति के माता-पिता समेत एक संक्षिप्त संस्करण ना समझें। मेरे नए परिवार में छोटा भाई और बहन भी थी। इसके अलावा, विस्तरित परिवार की एक पूरी लीग थी। नाना-नानी, दादा-दादी, मामा-मामी, दीदी-जीजाजी और हाँ, कज़िन्स की एक पलटन। हम निरंतर एक दूसरे के घरों में आते-जाते थे (हम अब भी ऐसा करते हैं!)। बल्कि, मैं यह कहानी अमित के मामा के घर पर बैठ कर लिख रही हूँ।
अमित का परिवार बहुत प्यार और देखभाल करने वाला था और अमित बहुत समझदार था, लेकिन मेरे भीतर हर चीज़ के साथ एडजेस्ट करने का अंतहीन संघर्ष चल रहा था। मेहमानों के निरंतर प्रवाह के साथ हमारा घर एक व्यस्त स्थान था – कुछ मिलने आते थे, कुछ रूक जाते थे – हर तरफ लोग थे! हालांकि मैंने शादी करने के कुछ महीनों के भीतर ही काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन मुझे घर की बहू के रूप में अपने कर्तव्य पूरे करने की भी ज़रूरत थी। मनोरंजन करना और मिलना जुलना ज़रूरत बन गई थी। मैं खाना पकाना और घर संभालना भी सीख रही थी। यह सब मेरे लिए बहुत थका देने वाला था। लेकिन अमित मेरे बचाव में आया। उसने अपनी माँ को मेरे परिप्रेक्ष्य और मेरी नौकरी की मांगों के बारे में समझाया। इसके बाद, मैं एक संभालने योग्य दिनचर्या बनाए रखने में कामयाब हो गई थी।
हमारे घर में, पार्टी, बाहर जाने और छुट्टियों की योजना पहले से बनाई जाती हैं। भोजन की योजना ‘दावत’ की तरह बनाई जाती है। शॉपिंग वास्तव में एक अभियान होती है। फोन कॉल घंटों तक चलते हैं। एकांत एक लक्जरी है। सूची और भी लंबी है….
ये भी पढ़े: काश मैं अपने पति के साथ कभी भी सेक्स कर सकती लेकिन हम एक संयुक्त परिवार में रहते हैं
प्यार का मतलब कभी-कभी हस्तक्षेप भी होता है
एक और पहलू जिसका मुझे सामना करना पड़ रहा था वह हर किसी का निरंतर हस्तक्षेप था। अकेले रहने की आदी होने के कारण, मैं निरंतर पूछताछ और बिन मांगी सलाह को समझ नहीं पाती थी। हर बार जब मैं एक बैग या ड्रेस खरीद कर लाती थी, तो मुझसे इसके बारे में हर विवरण पूछा जाता था और अंत में फैसला सुना दिया जाता था -‘तुम्हें यह महंगा पड़ा।’ और अगर मैं किसी भी बिमारी का ज़िक्र करती थी तो मुझे घरेलू उपचार और नुस्खे सुझा दिए जाते थे। ना सिर्फ परिवार बल्कि विस्तरित परिवार भी फोन पर सलाह देने में व्यस्त हो जाता था। मैं समझती थी कि वे मेरे बारे में चिंतित थे, लेकिन पहली बार यह बहुत तीव्र था।
बिना आलोचना सुने मैं एक भी काम नहीं कर पाती थी। मेरे कपड़ों की पसंद से लेकर मेरे कैरियर के कदमों तक हर चीज़ जांच का विषय होती थी। हनीमून अवधि खत्म होने के बाद, हर कोई मुझसे ‘खुशखबरी’ की उम्मीद करने लगा। जेसे-जैसे समय बीतता गया, पूछताछ अधिक अक्रामक होती गई। यह बात मुझे परेशान कर रही थी और मैंने अमित को अपने विचार बताने का फैसला किया।
“तुम्हारी हर महिला रिश्तेदार बच्चे पैदा करने के लिए मेरी जान क्यों खाती है? मैं बस 22 साल की हूँ! हर बातचीत बच्चे और बच्चे पैदा करने के बारे में होती है। अब मेरा दिमाग खराब हो रहा है। अगर एक बार और मैंने सुना कि खुशखबरी कब दे रही हो तो मैं चिल्ला दूंगी!’’
ये भी पढ़े: सुखी विवाह से पुनर्विवाह तक – एक स्त्री की दिल को छू लेने वाली यात्रा
“शांत हो जाओ स्वीटी! मुझे पता है यह निरंतर पूछताछ खीझ दिलाने वाली है, लेकिन वे लोग यह मेरे लिए कर रहे हैं। उन्हें तुमसे कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन मैं परिवार का सबसे बड़ा बेटा हूँ। हर किसी को मुझसे बहुत अपेक्षाएं हैं, मेरे कैरियर, पत्नी और बच्चों के बारे में। तुम्हें किसी को भी उल्टा जवाब देने की ज़रूरत नहीं है, बस उन्हें एक विनम्र उत्तर दे देना। हम अपने जीवन की योजना अपनी शर्तों पर बनाएंगे, लेकिन हम अपने शुभचिंतकों को प्रश्न पूछने से नहीं रोक सकते।”
तुम्हे एडजेस्टमेंट और स्वीकृति की ज़रूरत है
हालांकि मैं पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हुई थी, मुझे अहसास हुआ कि उसका परिवार उससे बहुत प्यार करता है और कभी-कभी प्यार थोड़ा सा हस्तक्षेप भी कर सकता है।
संयुक्त परिवार की मुख्य आवश्यकता यह है कि आप सबके बारे में सोचते हैं और सबके द्वारा स्वीकृत योजनाओं के साथ जाते हैं। हर कदम पर समझौता करना आसान नहीं है। उदाहरण के लिए, मुझे घर खरीदने की अपनी योजना को थोड़ा रोकना पड़ा क्योंकि शुरू में हम सिर्फ दो कमरों का घर मैनेज कर सकते थे। दूसरे घर में जाने के विचार के संकेत को भी अस्वीकार कर दिया जाता था। या तो यह चार कमरों का घर हो या फिर यहीं रहो!
संयुक्त परिवार में अपने पति के साथ झगड़ा करना भी आसान नहीं है। उसके माता-पिता अक्सर गवाह होते हैं और पक्षपात करने से खुद को रोक नहीं पाते हैं। सौभाग्य से, वे हमेशा मेरा पक्ष लेते थे! मैं अक्सर मेरे साथ पर्याप्त समय ना बिताने के लिए उससे उलझ पड़ती थी; यहां तक की सप्ताहंत भी दोस्तों के साथ बिताए जाते थे। उसकी वजह से हमारे बीच काफी झगड़े होते थे। तभी उसके माता-पिता बीच में पड़ते थे और उसे समझाते थे कि उसे अपनी पत्नी और दूसरी सामाजिक प्रतिबद्धताओं के बीच अपने समय को संतुलित करने की ज़रूरत है।
ये भी पढ़े: ७ महिलाएं हमसे साझा करती हैं ससुराल की कुछ मीठी बातें
उथल पुथल से प्यार
सहन करने की आपकी प्रक्रिया वास्तव में इस बात पर निर्भर करती है कि आपके परिवार के सदस्य कितने एडजेस्टिंग हैं, और मेरे परिवार वाले बहुत सहयोगी थे। मैं हर चीज़ एक मज़ेदार तरीके से सीख पाई। जेसे कि हर बार जब मेरी सास मेरे द्वारा बनाए भोजन को खराब होता देखती थी तो डांटने की बजाए उस पल को हल्का करने के लिए और आवश्यक जानकारी देने के लिए अपने किस्से सुनाती थी। सबसे महत्त्वपूर्ण सीख रिश्तों के प्रबंधन की थी – मेरी सास जो मेरे परिवार की मुखिया थी, उनसे और विस्तरित परिवार से निपटना, मेरे ससुर की देखभाल करना जो मेरी ताकत हैं और मेरे पति के छोटे भाई बहनों के साथ प्यार से पेश आना। जैसे समय बीता, बच्चे आ गए – दो शरारती लड़के- और मेरा जीवन पूरी तरह बदल गया। इस सब के दौरान, अमित मेरे साथ था।
संयुक्त परिवार में रहने के सामान्य लाभ जैसे मजबूत सहयोग प्रणाली, ज़िम्मेदारियों को साझा करना और कभी अकेले नहीं होना आदि के साथ, मैं खुशकिस्मत रही हूँ कि मुझे एक अनोखा लाभ और मिला है। अमित के अलावा, परिवार में मैंने बहुत अच्छे दोस्त बनाएं हैं -मेरे पति का कज़िन नवीन, उसके भाई की पत्नी कृषा, उसकी बहन और मेरी लॉन्ग डिस्टेंस बेस्ट फ्रैंड टीना। मुझे इस संयुक्त परिवार में कदम रखे 15 साल हो गए हैं। मेरे सामने कई समस्याएं भी आई हैं, और अब भी आती हैं, लेकिन किसी भी वजह से मैं अपने प्यारे, मज़ेदार, विचित्र परिवार को नहीं छोड़ूंगी!