‘पीरियड स्टेन वाली इंस्टाग्रामर’ रूपी कौर अपनी किताब ‘मिल्क एंड हनी’ में उपयुक्त रूप से प्रस्तुत करती है। घर पर कोई नहीं है? अपने आप को थोड़ा प्यार दो। वह वाइल्ड वीडियो सहन नहीं कर पा रही? अपने स्त्रव को बहने दो। ऊब रही हैं? कुछ कामुक आंहे नुकसान नहीं पहुंचाएंगी। उससे भी बेहतर, उसपर कविता लिख दीजिए, जैसे रूपी कौर करती हैं। या फिर रोसेलिन डी-मेलो की तरह, जो ‘ए हैंडबुक टू माय लवर’ में पूरा एक अध्याय हस्तमैथुन की क्रिया को समर्पित करती हैं जो इसे प्रकृति की सबसे रूमानी अभिव्यक्तियों में से एक बनाता है।
लेकिन पूरी तरह उपयुक्त संबंध विशेष रूप से विवाह में पूरी तरह उपयुक्त लोग स्वयं को आनंद देना क्यों चाहते हैं, जब हर 12 घंटे के अंतराल पर एक निश्चित संभोग उपलब्ध है।
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बोनबोलॉजी द्वारा शहरी लोग जो एक संबंध में है, पर किए गए एक सर्वेक्षण में, 43 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे स्वयं को नियमित रूप से संतुष्ट करते हैं जबकि 37 प्रतिशत ने कहा कि वे ऐसा कभी-कभी करते हैं। तब, जब सेक्स उनके जीवन में एक दुलर्भता नहीं है।
जहाँ स्वप्नदोष पुरूषों और स्त्रियों में क्रमशः कार्य के अनैच्छिक रूप हो सकते हैं, ये आँकड़े शायद बंद दरवाजे़ के तथ्य से बाहर आने वाले सबसे प्रमुख हैं, दुख की बात है कि भारत के एक बड़े भाग में अभी भी इसे वर्जित माना जाता है। हम पूछते हैं कि स्वयं को प्रेम करने में गलत क्या है!
मैं करती हूँ। जब हम साथ में होते हैं और मैं संतुष्ट नहीं हो पाती हूँ, मैं करती हूँ। और स्वयं को प्यार करना और दूसरे को प्यार करना दो भिन्न कार्य हैं, मुझे स्वयं को संतुष्ट करना पसंद है…..’’ हमारे सर्वेक्षण की एक महिला प्रतिभागी बताती हैं। दूसरों के लिए, आत्म संतुष्टि पूर्व लक्षण है ताकि उनके साथी उनकी आवश्यकताओं को बेहतर रूप से समझें। ‘‘यह मुझे यह समझने में सहायता करता है कि मुझे क्या पसंद है ताकि मैं इसे अपने पति के साथ भी कर के देखूँ,’’ एक पत्नी कहती है।
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लोगान लेवकॉफ, पीएचडी, एक सेक्सोलोजिस्ट तथा एक सेक्स शिक्षक, अपनी ई-गाइड में कहते हैं कि हस्तमैथुन के विषय में सबसे हानिकारक मिथक यह है कि यह संकेत है कि आपके संबंध में कुछ गड़बड़ है। ‘‘तथ्य यह है कि अधिकांश लड़के हस्तमैथुन करते हैं। वे हस्तमैथुन करते हैं भले ही वे अकेले हो, बुरे संबंध में हों, या फिर बेहतरीन संबंध में हों। ये एक ऐसी वस्तु है जो वे करते हैं जिसका उनके साथी से कुछ लेना-देना नहीं है। हस्तमैथुन केवल सेक्स के विषय में नहीं है। कई लोगों के लिए, यह तनाव मुक्त होने, काम करने से पहले दिमाग शांत करने, या फिर सोने से पहले का नियमित कार्य है,’’ वह लिखते हैं। लेवकॉफ का मानना है कि स्त्रियां भी अपने संबंधों में शारीरिक रूप से अधिक संतुष्ट होंगी यदि वे पुरूषों से सीखें और इस कार्य को अप्राकृतिक या अजीब मानना बंद कर दें।
लोकप्रिय संस्कृति की बात की जाए तो, मार्गरिटा विथ ए स्ट्रॉ फिल्म एक प्रमुख उदाहरण हो सकती है, जहाँ दो महिला मित्र एक डिल्डो खरीदने के लिए दिल्ली के पालिका बाज़ार में जाती हैं और दुकानदार जिसने अभी-अभी पूजा समाप्त की है, उन्हें बड़ी सहजता से इंतज़ार करने को कहता है जब तक वह दोहराता है कि किस तरह यह सबसे ज़्यादा बिकने वाली वस्तु है और वह अपनी पत्नी को भी इसका सुझाव देता है।
लीना यादव की सशक्त फिल्म पार्चड में, ग्रामीण महिलाएं भी सेलफोन के वाइब्रेट होने का आनंद महसूस करती हैं जो अपेक्षित (और अक्सर अनुपस्थित) यौन सुख के बदले में गृहस्थी की ज़िम्मेदारी के बगैर आता है।
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अन्य मामलों में, कारण यह हैं- क्या आपके साथी के साथ सेक्स बुरा है या है ही नहीं? अकेलापन या सेक्स होने के बावजूद रूमानी संपर्क की कमी? या फिर ऑफिस का वह क्रश जिसके साथ बिस्तर में होने की आप कल्पना करते हैं? या फिर आकर्शक अभिनेता या आपका पड़ोसी? क्या इसकी वजह से यह पूरा कार्य इतना ‘गलत’ प्रतीत होता है? यह तथ्य की स्वयं को प्रेम करने का कृत्य अक्सर मन में किसी के बारे में सोचकर किया जाता है, शायद इसिलिए कई लोग इसे धोखा देने और ग्लानी की भावना के साथ जोड़ते हैं। सच यह है कि यह नहीं है। यह एक प्राकृतिक व्यस्क आवेग है और कोई भी प्रेरणा इसके होने के लिए किसी अपरिहार्य साधन के रूप में देखी जानी चाहिए। इसकी बजाए, आपको स्वयं को शाबाशी देनी चाहिए कि प्रलोभन में बहने की बजाए आपने यह स्वयं कर लिया!
स्वयं को संतुष्ट करने में कोई बुराई नहीं है तब तक जब तक यह आपको आपके साथी के साथ सेक्स से दूर नहीं कर रहा है या फिर आपकी कामेच्छा को शून्य नहीं कर रहा हो। साथ ही, यह एक अच्छा उपाय है जब आपके साथी के साथ आपकी लड़ाई जारी रहती है या फिर उसका दूर होना संतुष्टि में बाधा डालता है।
जब आप स्वयं को प्रसन्न करने के लिए भीतर पहुंचती हैं, आप कई सारे अच्छे हार्मोन्स स्त्रावित करते हैं, दिल की धड़कन को तेज़ करते हैं और अपने शरीर की आवश्यकताओं और बारीकियों को बेहतर रूप से पढते हुए एक छोटी सी कसरत भी करते हैं। साथ ही एक दिन में इसे कितनी बार करना है इसकी कोई सही या गलत संख्या नहीं है, जब तक कि यह आपके कार्य या पारिवारिक ज़िम्मेदारियों में बाधा ना डाल रहे हों या फिर एक बाध्यकारी या प्रतिरोधी आदत ना बन रहे हों, ऐसा होने पर आपको सचेत हो जाना चाहिए और चिकित्सक से मिलना चाहिए। तब तक भीतर देखिए (और महसूस कीजिए)!
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