(जैसा कि जॉय बोस को बताया गया)
खुद के साथ प्रेम करने को आम तौर पर नियमहीनता माना जाता है, परन्तु स्पष्ट रूप से, मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पढ़ता| मुझे इस विश्व से कोई फ़र्क़ नहीं पढ़ता है और मैं खुद से अत्यधिक प्रेम करती हूँ| यही कारण है कि मेरे बारे में बहुत सारी अफवाहें हैं| ऐसा नहीं है कि मैं नहीं चाहती हूँ कि लोग मेरे बारे में अच्छी बातें करें, परन्तु मैं सदैव मूल्य को तौल लिया करती हूँ| और वह मूल्य क्या है? दिखावा| इस प्रकार, यह घाटे का सौदा है| मैं किसी भी प्रकार के संबंध में संयुक्त नहीं हूँ, मैं आर्थिक रूप से सुरक्षित हूँ और भावनात्मक रूप से स्थिर हूँ| मेरा अस्तित्व अपमान-जनक है|
मुझे कभी भी रूमानी प्रेम में विश्वास नहीं रहा है| मुझे ऐसा लगता है कि यह मोह माया है| दो लोग कभी एक दुसरे के साथ निस्सवार्थ रूप से नहीं रह सकते हैं| यह सदैव एक व्यापार जैसा हुआ करता है| मैं देख भाल के बदले अपने तन या अपने व्यक्तित्व का सौदा करती हूँ| मेरा पहला प्रेम संबंध अच्छा नहीं था|
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उसे केवल भौतिक पहलुओं (सेक्स) में दिलचस्पी थी |
शुभो (इसे शुभो ही बुलाएं, क्योंकि मैं उसका असली नाम प्रकाशित नहीं करना चाहती हूँ) को सेक्स का जूनून था| उसे सदैव सेक्स चाहिए होता था, उस समय भी जब मैं वह करने कि परिस्थिति में नहीं हुआ करती थी| उसने मेरे साथ उस समय भी सेक्स किया जब मैं पीड़ादायक और मासिक धर्म के दिनों में थी| उसने मेरे साथ उस समय सेक्स किया जब मैं खुश और उत्तेजित थी| वह यौन संबंध में इतना संयुक्त था की उसके कारण मैं उदासीन हो गयी|
उस से दूर हो जाना मेरे लिए कठिन था और हमारा संबंध सात सालों तक जीवित रहा| परन्तु जब, कलकत्ता के बाहर नौकरी के कारण, मैं उस से दूर हुई, तो उसने मुझसे बेवफ़ाई की, क्योंकि वह सेक्स के बिना जी नहीं सका| मैं तहस नहस हो गयी| वह सेक्स के बिना रह नहीं पाया और मैं विश्वास के बिना रह नहीं पायी|
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उस के बाद से मुझे प्रतिबद्धता से भय हो गया और मैं दोबारा कभी भी एक स्थिर संबंध में रह नहीं पायी| असल में, उसके कारण रूमानियत पर से मेरा विश्वास उठ गया और उसने मुझे सत्य का सामना करवाया| संबंध के बाहर, खुद से, मुझे इस बात का एहसास हुआ कि किसी साथी के बिना जिया जा सकता है, परिवार के बिना जिया जा सकता है, परन्तु कभी भी पैसों के बिना जिया नहीं जा सकता है| उस दिन के बाद से मेरा पेशा ही मेरे जीवन का किरण-केन्द्र बन गया| मैं कभी भी किसी मर्द को मेरे और मेरे पेशे के बीच आने नहीं देती हूँ| मेरे जीवन में ऐसा कोई भी नहीं है जिस पर मैं विश्वास कर सकूं, परन्तु मेरे पास बहुत पैसे हैं| मेरी आयु की बहुत कम ही महिलाओं ने इतनी सफलता प्राप्त की है|
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मैं लालसा कर सकती हूँ, परन्तु प्रेम नहीं|
मैं मर्दों को आकर्षित करती हूँ| मैं यह कर सकती हूँ| मेरी शक्ति और मेरी सफलता ऐसा कर सकती है| और मैं इसका उपयोग अपने अहंकार को संतुष्ट करने के लिए किया करती हूँ| मेरे भीतर एक अजीब चीज़ है| मैं तब ही किसी डेट पर जाया करती हूँ, जब मुझे छोटेपन का एहसास हुआ करता है| जब मर्द मेरे अहंकार की मालिश करते हैं, तो मुझे अच्छा लगता है|
मुझे अच्छा लगता है जब वे खुद को मेरी ओर फेंका करते हैं| मुझे यह स्वीकार करने में कोई शर्मिंदगी नहीं है| कभी कभी मैं लालसा के आगे अपने घुटने टेक दिया करती हूँ और इस लालसा में एक बूँद भी प्रेम की भावना नहीं हुआ करती है| सेक्स के दौरान की जाने वाली भावुक बातें भी मुझे झुंझुला दिया करती हैं| जब मर्द इसका प्रयत्न किया करते हैं, तो मैं उन्हें उनके मुंह पर सच बोल दिया करती हूँ| वे इसे संभाल नहीं सकते हैं| जो ये मर्द समझते हैं, मैं उस से अधिक खुद से प्रेम करती हूँ, इसीलिए मैं उन्हें सच बता दिया करती हूँ| इसीलिए वे मेरी पीठ पीछे मेरा मज़ाक उड़ाया करते हैं|
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मैंने पिछले कुछ वर्षों में कई सारे मर्दों के साथ रातें गुज़ारी हैं और हर मर्द में कुछ न कुछ ऐसा था जिस से इस चीज़ की पुष्टि हो जाया करती थी कि वे, शुभो कि तरह, प्रतिबद्धता के क़ाबिल नहीं हैं| और मैंने खुद को निराश नहीं किया|
मेरे माता पिता मेरे अविवाहित होने के कारण काफी चिंतित थे|
मेरे लिए उचित दूल्हा ढूंढ़ने के लिए मेरे पिता जी ने मुझे एक वैवाहिक वेबसाइट पर दर्ज कर दिया था| मैंने अपने पिता जी की इच्छा को स्वीकार करते हुए कई लोगों से मुलाक़ातें भी की| एक वर्ष की खोज के बाद, उन्होनें मान लिया कि वह अपनी खोज में असफल रहे, क्योंकि उन्हें ऐसा कोई मर्द नहीं मिल पाया जो कि मेरी कमाई से निश्चिन्त था| शुक्र है कि पिता जी ने उस वेबसाइट के सब्सक्रिप्शन को रेनू नहीं करवाया| अपने पिता जी के साथ मर्दों की खरीदारी में बहुत मज़ा आया| मेरी माँ को लगता है कि मैं ‘क्लोसेट लेस्बियन’ हूँ| वह सोचा करती हैं कि उनके गुज़र जाने के बाद मेरा क्या होने वाला है| मुझे इस बात कि चिंता नहीं है|
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हम सब ही अकेले हैं| यही सत्य है| कभी कभी मैं सोचा करती हूँ कि लोग संबंधों के बारे में इतनी हलचल क्यों मचाया करते हैं|
मेरा कोई दोस्त या कोई सहेली नहीं है, क्योंकि मैं लोगों पर विश्वास नहीं करती हूँ| मेरे जीवन में वह लोग हैं जिन से मैं बातें किया करती हूँ, वह लोग हैं जिन से मैं अपने निजी जीवन के बारे में बातें किया करती हूँ, वह लोग हैं जिनके साथ मैं पार्टी किया करती हूँ और यह सब ही लोग अलग अलग हैं| मुझे किसी से कोई अपेक्षा नहीं है| मैं किसी के लिए अपने पथ से बाहर जा कर भी कुछ नहीं किया करती हूँ, मैं दिन के १४ घंटे काम किया करती हूँ, मैं हर महीने ४ अलग अलग देशों में घूमा करती हूँ, शहर के सर्वश्रेष्ठ में से एक इलाक़े में मेरा एक डुप्लेक्स है| मैं छुट्टियों में अकेले जाया करती हूँ| यदि मेरे माता पिता बीमार पड़ जाएँ, तो मैं उन्हें विश्व की सब से श्रेष्ठ चिकित्सा दे पाउंगी और यदि मैं बीमार पड़ गयी तो मैं खुद के लिए भी वही कर पाउंगी| मुझे अविवाहित होने का कोई पछतावा नहीं है| मेरी मानिये, यह एक आशीर्वाद है|