(जैसा जोई बोस को बताया गया)
मेरी रगों में खून इतना तेज़ी से दौड़ने लगा कि मेरा पूरा बदन दर्द करने लगा। ऐसा लगा जैसे मैं अपनी धड़कन महसूस कर सकती थी। मैं अपने फेफड़ों द्वारा सांस लेना और छोड़ना, मस्तिष्क द्वारा चित्र दर्ज करना और उनमें अर्थ भरना महसूस कर सकता था। दुनिया मेरे लिए धीमी पड़ गई थी। यह खूबसूरत था। बहुत लंबे समय बाद मुझे इतना जीवंत महसूस हुआ था। मैं हवा द्वारा पेड़ों की पत्तियों का हिलना देखने के लिए बैठ गई, मेरे पैर अचानक दर्द करने लगे थे। यह बहुत ज़्यादा था, अचानक से अपने आस पास सबकुछ महसूस करने में सक्षम होना और उससे भी ज़्यादा महत्त्वपूर्ण बात, जो सुनील ने किया वह।
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मैं सुनील से पार्क में मिली, जहां मैं सुबह की सैर के लिए जाती हूँ। वह अपनी सैर के बाद अपनी बेटियों को स्कूल छोड़ कर आता है और मैं अपनी बेटी को बस स्टैंड पर छोड़ने के बाद सैर पर जाती हूँ। मैं अपनी सैर के दस राउंड में से उसके साथ केवल एक या दो राउंड करती थी। वह हमेशा मुझे देखकर मुस्कुराता था और मैं उसे देखकर वापस मुस्कुरा देती थी। यह 10 वर्षों तक चला। हम संक्षिप्त रूप से अपनी बेटियों के बारे में बात करते थे, और हालांकि शुरूआत में यह यदा-कदा होता था, वह मेरी तारीफ किया करता था और मैं शर्मा जाया करती थी। पिछले अप्रेल, उसने अपनी बेटियों को स्कुल बस में बिठाया और हम पार्क में साथ आने लगे।
वास्तविक दोस्त नहीं
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आप जानते हैं, कई सालों बाद, मैंने अपनी आयु वर्ग वाले व्यक्ति के साथ बगैर किसी कारण समय बिताना शुरू किया था। मैं एक गृहणी हूँ और हर दिन, हर समय, मैं अपने मकान को घर बनाने में लगी रहती हूँ। मैं यह करने में इतनी व्यस्त रहती हूँ कि मेरे पास और किसी के लिए समय नहीं होता और मेरे पति पिछले 15 वर्षों में पूरी तरह अजीब हो गए हैं।
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उनके पास यह कहने का समय था कि मेरे बाल सफेद हो गए हैं, लेकिन उन चिंताओं को बाटंने का समय नहीं था जिसने मेरे बाल सफेद कर दिए। मेरे स्कूल और कॉलेज के दोस्तों को मेरी चिंताएं उबाऊ लगीं क्योंकि या तो वे नौकरी करते थे या फिर नौकरों का खर्च उठा सकते थे।
मेरी अंशकालिक नौकरानियां, माली, दूधवाला ये सभी एक तरह से मेरे मित्र बन गए थे। फिर सुनील आया, जो अचानक से ना केवल मुझमें रूचि लेने लगा बल्कि अपनी ऑफिस की समस्याएं भी मेरे साथ साझा करने लगा। आश्चर्यजनक रूप से, मेरे पास समाधान होते थे। जब मेरे पास नहीं भी होते थे, मैं सुनती थी और फिर उनके बारे में ऑनलाइन अध्ययन करती थी। फिर मैं उसे अपनी राय बताती थी।
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मेरे मन को उत्तेजित करना
वह मानव संसाधन विभाग में था और वह लोगों को कैसे संभालता था यह मुझमें जिज्ञासा उत्पन्न करता था। वह कई बातें साझा करता था। यहां तक की गोपनीय बिक्री रिपोर्ट भी। घास पर बैठकर रिपोर्ट पढ़ते हुए और उसकी मदद करते हुए मैंने कई सुबहें बिताई हैं। उसे मेरा नया परिप्रेक्ष्य पसंद था। मेरे भीतर का एक हिस्सा स्वयं पर विश्वास खो चुका था, लेकिन सुनील वह जोश वापस ले आया, जिससे मुझे लगा कि मैं उन सभी जटिल चीज़ों को समझने में सक्षम हूँ।
पिछले कुछ महीने अद्भुद रहे हैं। मैं उद्योग की अंतर्दृष्टि पढ़ रही थी और उसे समझने में सुनील मेरी मदद कर रहा था। वह मुझसे वित्त और शेयरों के बारे में बात कर रहा था। संख्याओं और समाचारों की दुनिया जो पहले इतनी नीरस प्रतीत होती थी, अब समझ आने लगी। यहां तब कि गुलाबी इकोनोमिक टाइम्स भी जिसकी कद्र मैं इसलिए करती थी क्योंकि वह बहुत अच्छे से तेल सोखता था, अब ज़्यादा महत्त्वपूर्ण बन गया। मैं उसे पढ़ने लगी और आश्चर्य की बात है, मैंने एक डीमैट खाता खोल लिया और शेयर खरीदना शुरू कर दिया। मैंने देखा की जीवन में कितना कुछ था।
तुमने जीवन के प्रति मेरा दृष्टिकोण बदल दिया
“सुनील, मैंने सोचा था कि मैं गंभीर, जटिल चीज़ें नहीं कर सकती। तुमने मुझमें एक नया आत्मविश्वास भरा है। मैं पत्रव्यवहार से प्रबंधन में डिग्री कोर्स करने की सोच रही हूँ,’’ मैंने आज सुबह सैर करते समय सुनील को कहा था। सुनील रूक गया, मेरा हाथ थाम कर बोला, ‘‘तुम बहुत तेज़ी से सीखती हो। तुम इससे अधिक मूल्यवान हो….” फिर वह आगे बढ़ा और उसने मेरे माथे को हल्के से चूमा। रक्त दौड़ कर मेरे माथे तक आ पहुंचा और यकीन मानों, मुझे रत्ती भर भी बुरा नहीं लगा। मुझे बुरा लगना चाहिए था, लेकिन मैं खुश थी। बल्कि खुश ही नहीं मैं रोमांचित हो गई थी!
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शायद मैं बहुत ज़्यादा शर्मा रही थी क्योंकि सुनील का चेहरा सफेद पड़ गया और वह तुरंत वहां से चला गया। मैं बस कुछ देर के लिए वहां खड़ी रही और संसार मुझे कहीं अधिक स्पष्ट नज़र आने लगा।
मैं अपने पति और बेटियों के संकलन से ज़्यादा भी कुछ हूँ, है ना?
एक उम्मीद है
मैं नहीं जानती कि सुनील के साथ क्या होगा। क्या उसमें हमारी दोस्ती को आगे बढ़ाने की हिम्मत होगी? क्या यह हम दोनों को एक खतरनाक रास्ते पर नहीं ले जाएगा? मैं उसकी पत्नी को जानती हूँ और मैं जानती हूँ कि उसकी पत्नी सुनील के इस रूप के बारे में नहीं जानती। वह सोचती है कि वह मेरे पति जितना ही उबाऊ और शुष्क है। लेकिन सुनील मेरे लिए कहीं अधिक है और मुझे लगता है कि मैं इतनी स्वार्थी हूँ कि मैं उसके पास होना चाहती हूँ, क्योंकि उसकी वजह से अब मैं जीना चाहती हूँ, केवल विचारहीन होकर अस्तित्व में होने की बजाए।
मुझे पता नहीं कि कल सुनील वापस आएगा या नहीं, लेकिन मैं निश्चित रूप से आऊंगी। मैं उम्मीद करती रहूंगी कि वो आएगा। और भले ही अगर वह कल या परसों ना आए, मैं जानती हूँ कि अंततः वह आ जाएगा। हमारे बीच की उस बिजली को अनदेखा करना आसान है लेकिन उसे स्वीकार करना बहुत साहसिक है। मैं सोचती हूँ कि अगर वे मेरी जगह पर होते तो ऐसा करने की हिम्मत कितने लोगों में होती। मैं सोचती हूँ कि कितने लोगों में जीने और जीवित होने की हिम्मत है।