मेरे पति अक्सर कहते हैं, ‘‘यदि आप वस्तुओं को रख कर भूलने की कला सीखना चाहते हैं, तो वह सिखाने के लिए मेरी पत्नी सबसे सही व्यक्ति हैं।” फिर वे यह भी स्वीकार करते हैं कि इस उद्देश्य के लिए वे एक विद्यालय भी खोलेंगे। फिर जब उनके मित्र हैरानी से ऐसी कला का उद्देश्य पूछते हैं वे उत्तर देते हैं, ‘‘आप घर पर गुम हो चुके सामान ढूँढने में जीवन बिता सकते हैं। आप फाइलें गुम करके कार्यालय में उथल-पुथल मचा सकते हैं। और इन खोई हुई वस्तुओं को पाने का आनंद ले सकते हैं। अगर आपके पास यह कला है तो आपके सहकर्मी कभी आपकी टेबल पर कोई फाइल नहीं भूलेंगे और घर पर आपकी पत्नी आप पर विश्वास नहीं करेगी और सभी व्यक्तिगत वस्तुएँ स्वयं संभाल कर रखेगी।” मैं समझ गई कि वे मुझपर टिप्पणी कर रहे हैं और मुझे भी बुरा नहीं लग रहा क्योंकि मैं जानती हूँ कि इसके पीड़ित वही हैं।
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यह रहस्यमय है
यह मज़ेदार है कि वस्तुएँ केसे गायब हो जाती हैं और जब हम मान चुके होते हैं कि वे खो गई हैं तब वे वापस मिल जाती हैं। एक बार जब मैं स्कूल में पढ़ती थी तब मैंने एक नोटबुक गुम कर दी, जो मुझे याद था मैं पिछली रात बिस्तर पर पढ़ रही थी। मैंने बहुत ढूँढा लेकिन सब व्यर्थ गया। परीक्षा के बाद, वह मुझे पलंग के नीचे मिली। वह पलंग के नीचे एक ट्रंक के एक किनारे पर झूल रही थी। जब मैं पलंग के नीचे अलग-अलग जगहों से देखकर उसे ढूँढ रही थी, तब वह दिखाई नहीं दी थी। उन दिनों मेरे पास सामान भी कम होता था। मेरी वे वस्तुएँ जो गुम होती रहीं वही मेरी माँ की बदौलत वापस भी मिलती रहीं। लेकिन विवाह करने के बाद मुझे अहसास हुआ कि मेरी विकलांगता गंभीर थी।
हर बार जब मेरे पति और मैं बाहर जाने की योजना बनाते थे, हम चाबी, पर्स, लायसेंस आदि ढूँढने में दस मिनट बिताते थे। जब भी मुझे अत्यंत आवश्यकता होती है, अन्य महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ पता नहीं कहाँ छुप जाते हैं। और बहुत लंबे समय तक ढूँढने के बाद जिन परिस्थितियों में मुझे वे वस्तुएँ आसानी से मिल जाती हैं वे मेरे बेचारे पति को पागल कर देती हैं।
एक और घटना तब घटी जब हम एक ऐसे घर में रहते थे जो पूरी तरह अलमारी रहित था। कुछ भी छुपाने के लिए कोई जगह नहीं थी। मेरी चेकबुक खो गई। मेरे पति ने मुझे सलाह दी कि मैं बैंक, किराने की दुकान और अपने दोस्त के घर वापस जाकर उसे ढूँढू। कुछ नहीं मिला। फिर मैंने उसे ढूँढने के लिए पूरा घर उथल-पुथल कर दिया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मुझे याद है कि आमतौर पर मैं महत्त्वपूर्ण वस्तुएँ गद्दे के नीचे रखती हूँ। मैंने दर्जनों बार गद्दे को उलट-पलट कर देख लिया लेकिन वह नहीं मिली। एक सप्ताह बाद, जब मैंने धोने के लिए गद्दे की खोल उतारी, मेरी प्रिय चेकबुक उसमें से गिर पड़ी। इस घटना के बाद, मेरे पति ने सुनिश्चित किया कि वे उनकी सभी महत्त्वपूर्ण फाइलें, पैसे और बैंक संबंधी वस्तुएँ एक अटैची में रखेंगे और यह भी कि चाबी उनके पास रहेगी।
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क्या यह नौकरानी ने किया है?
मेरे घर में कम महत्त्वपूर्ण वस्तुएँ भी रहस्यमय तरीके से गायब होती हैं और फिर मिल जाती हैं। एक बार मेरे फ्रिज में सब्जियों की ट्रे का ग्लास टॉप गुम हो गया। मैंने एक हफ्ते तक ढूँढा और फिर हार मान ली। तब मैंने अपना दिमाग दूसरी तरफ दौड़ाया कि क्या वह टूट गया था और उसे किसने तोड़ा। शक नौकरानी पर जा कर रूका लेकिन उसे नकार दिया गया क्योंकि जब वह फ्रिज साफ करती है तब मैं हमेशा उपस्थित रहती हूँ। यह करस्तानी मेरे बेटे की हो सकती है क्योंकि वह नाश्ता ढूँढने के लिए हमेशा फ्रिज में झांकता रहता है। मेरी पूछताछ का बहुत विरोध हुआ। एक वर्ष बाद जब मैं फ्रिज से सटी अलमारी साफ कर रही थी तब मुझे किताबों के बीच पारदर्शी ग्लास टॉप मिला। उसे वहां किसने रखा इसका अनुमान कोई भी लगा सकता था। मेरे पति ने मेरे हाथ जोड़े कि बच्चे को छोड़ दूं और अपने भूलने की बिमारी और चीज़ें गुम करने की आदत का कुछ करूं।
हाल ही में मेरे पति उनकी एक विदेश यात्रा के लिए तैयार हो रहे थे। उन्हें अपने सूटकेस की चाबी नहीं मिल रही थीं। मेरी विशेषता जानते हुए, वे हमेशा अपनी वस्तुओं का ध्यान स्वयं ही रखते थे। फिर उन्हें याद आया कि अटैची का आखरी बार इस्तेमाल करने वाली मैं थी। लगभग दो घंटों तक पूरा परिवार चाबी ढूँढता रहा। जब सबने हार मान ली तब मेरे पति ने नयी अटैची खरीदने का फैसला किया। मैंने उन्हें पैसे देने के लिए अलमारी खोली और अटैची की चाबी दरवाजे के अंदर लटक रही थी।
ऐसा मेरे साथ होता क्यों है?
मैं अपना दोष स्वीकार करती हूँ। मैं वस्तुएँ इधर-उधर रखने और फिर उनके बारे में पूरी तरह भूलने की ज़िम्मेदार हूँ। मेरी कमज़ोरी वस्तुओं को उनके उपयुक्त स्थान पर ना रखना है। मैं यह निर्धारित नहीं कर पाती कि उनको रखने का सबसे अच्छा स्थान क्या है; उदाहरण के लिए, घर की चाबियाँ। मैं स्थान बदलती रहती हूँ और इसके कारण हाथ ना आने वाली चाबियों की तलाश जारी रहती है। मेरे पति ने मुझे मूलभूत नियम सिखाने का प्रयास किया, जो है, ‘‘वस्तुएँ वापस वहीं रखो जहां से तुमने उठाई हैं।” उन्होंने मुझे आगाह किया कि अगर मैंने इस नियम का पालन नहीं किया तो मैं अपना आधा जीवन वस्तुओं को ढूँढने में ही व्यर्थ कर दूंगी। लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न है कि क्या मुझे यह याद रहेगा कि मैंने वह वस्तु कहाँ से उठाई है। साधारण काम करते समय मेरा दिमाग अधिक महत्त्वपूर्ण वस्तुओं पर होता है और फिर वही मेरी वर्तमान दुविधा का कारण बनता है। आवश्यकता के समय साधारण वस्तुएँ अधिक महत्त्वपूर्ण बन जाती हैं।
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अब हम एक बड़े 3-बेडरूम वाले घर में रहते हैं जिसमें बहुत सारी अलमारियां, दराज और शोकेस हैं। मैं अपना समय दस्तावेज़, फाइलों, और महत्त्वपूर्ण वस्तुओं को ढूँढने के लिए इन अलमारियों को खोलने और बंद करने में बिताती हूँ। ज़रा सोचो अगर मैं किसी महल में रहती तो क्या होता। मैं एक भूत की तरह हर कमरे में भटकती रहती। मैंने अपने परिवार की सहनशक्ति देख ली है। मेरे पति सलाह देते हैं कि मुझे एक झोपड़ी में बहुत कम आवश्यक सामान के साथ किसी सन्यासी की तरह रहना चाहिए ताकि मेरा जीवन उन वस्तुओं को ढूँढने के संघर्ष में ना बीते जिन्हें गुम करने की ज़िम्मेदार मैं स्वयं ही हूँ। खोई हुई वस्तुओं के इस नरक से बाहर निकलने के लिए क्या कोई पाठक मुझे सुझाव देना चाहेगा?
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