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जब अनजाने में आये बिजली के ज़बरदस्त बिल ने झटका दिया हो
रविवार की एक खूबसूरत सुबह मैं और मेरे पति गर्म कॉफ़ी का आंनद उठा रहे थे कि तभी दरवाज़े की घंटी बजी। दरवाज़ा खोला तो बिजली के बिल के साथ हमारे मकानमालिक खड़े थे। मेरे पति ने बिना लिफाफा खोले बिल मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा “हनी, प्लीज कल यह बिल जमा कर देना।”
मैंने लिफाफा खोला और दस हजार की राशि देख कर मेरे होश उड़ गए। मैंने शांति से बिल पति को वापस देते हुए कहा, “हनी, मेरे खाते में इतने पैसे नहीं, इसीलिए आप ही भुगतान कर दीजिये।
“मेरे पास भी इतने पैसे नहीं हैं।” उन्होंने धीरे से कहा।
और फिर हम दोनों के बीच बहस छिड़ गई और शुरू हो गया आरोपों-प्रत्यारोपों का सिलसिला। “आप ग़ैरज़िम्मेदार हैं,” “तुम बहुत खर्चीली हो …” अच्छी ख़ासी बहस और विचार-विमर्श के बाद हम दोनों फिर से एक-एक कॉफ़ी का प्याला ले कर शांत हो कर बैठ गए।
हमने मदद मांगी
“अब एक-दूसरे के साथ लड़ने और दोषारोपण की बजाय हमें इसका समाधान खोजना चाहिए। हमारे क्रेडिट कार्ड की सीमा भी समाप्त हो गई है । हम इसका उपयोग नहीं कर सकते हैं। मुझे लगता है कि हमें किसी से उधार लेना होगा,” मैंने सलाह दी। मेरे पति इससे सहमत थे। हमने अपनी बड़ी बहन से मदद मांगी। उसने हमारी मदद की पर साथ में हमें अच्छी-ख़ासी डांट भी लगाई। उसने कहा, “तुम दोनों पिछले 3 वर्षों से शादी-शुदा ज़िन्दगी बिता रहे हो और ज़िम्मेदार पदों पर काम कर रहे हो । तुम लोग इतने लापरवाह कैसे हो सकते हो? क्या तुम्हे पता नहीं कि अपनी आमदनी का सुचारू रूप से प्रबंधन कैसे करें? जल्द ही तुम लोग परिवार बढ़ेगा, बच्चे होंगे। यदि तुम लोग अपनी आमदनी का समुचित प्रबंधन नहीं करोगे तो अपने और उसके भविष्य की योजना कैसे बना पाओगे?”
बात यहीं खत्म नहीं हुई। दीदी ने हमारे पिताजी को भी यह बात बता दी और उन्होंने भी हमें जमकर डाँट पिलाई। मेरे पिताजी एक इन्वेस्टमेंट सलाहकार थे। उन्होंने हमारे क्रेडिट कार्ड का बिल, शॉपिंग बिल और सभी प्रकार के बिल देखे और एकदम सकते में आ गए। सच कहूँ … यह सब काफी शर्मनाक था। उन्होंने हमसे हमारी तनख्वाह की जानकारी भी माँगी। (मेरा यदि वश चलता तो मैं ऐसा कभी नहीं होने देती, लेकिन हमारे पास कोई विकल्प नहीं था) और फिर आख़िरकार जब उन्होंने हमसे हमारी सेविंग के बारे में पूछा तो हमारे होशोहवाश उड़ गए। कौन-सी सेविंग? कैसी सेविंग?
मरता क्या न करता? हम दोनों ने बहुत गर्व के साथ उन्हें उत्तर दिया, “हमने कभी सेविंग के बारे में सोचा ही नहीं।” यह हमारे जीवन में सेविंग के बारे में अंतिम कथन था। उस दिन से हमने सेविंग और अपने वित्त प्रबंधन की शुरुआत कर दी। अन्य विवाहितों के विपरीत, हम दोनों एक दूसरे के मासिक वेतन के बारे में जानते थे। मेरे पति मेरा बैंकिंग विवरण जानते थे और मुझे उनका पता था; हमारे बीच में एक विश्वास और पारदर्शिता थीI इसलिए, जब वित्त के प्रबंधन करने की बात आई, तो हम दोनों ने मिलकर इसकी ज़िम्मेदारी ली।
सेविंग की शुरुआत कैसे करें?
अपने पिताजी की सलाह के अनुसार हमने निम्नलिखित तरीकों से वित्त प्रबंधन की शुरुआत की और आज तक हम पूरी ईमानदारी और निष्ठा से इसका पालन कर रहे हैं:
1. महीने की शुरुआत में, अपने नियमित खर्चों की एक लिस्ट बना लें और उसके अनुसार खर्च करने का प्रयास करें। यह आदत आपकी आय को नियोजित करने में मदद करेगी।
2. एक ही वेतन से खर्च करें और दूसरे से सेविंग करें । यह तरीका न केवल एक आपातकालीन खाता बनाने में मदद करता है, बल्कि बैंक बैलेंस बनाए रखने में भी मदद करता है।
3. खरीददारी, फ़िल्म देखने और मनोरंजन के लिए क्रेडिट कार्ड का उपयोग न करें। कोशिश करें कि क्रेडिट कार्ड का उपयोग केवल आपातकालीन परिस्थितियों में ही हो।
4. कम से कम किसी भी दो योजनाओं में इन्वेस्टमेंट शुरू करें।
अब सवाल यह था कि इतनी सारी योजनाओ में से बेहतरीन का चुनाव कैसे करें और उसमें इन्वेस्टमेंट कैसे करें? इन्वेस्टमेंट की अवधि पूरी होने पर किन महत्त्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए? कब इन्वेस्टमेंट समाप्त कर देना चाहिए या कब पुनर्निवेश करना चाहिए? इन सभी प्रश्नों का सही उत्तर क्या है?
इन्वेस्टमेंट योजना का चयन कैसे करें?
हमारे शुभचिंतक सलाहकार, मेरे पिताजी ने कहा, “हां, यह थोड़ा मुश्किल काम है, लेकिन तुम दोनों को इन्वेस्टमेंट योजनाओं के बारे में शिक्षित होना होगा। इसके लिए निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए”:
1. जिन बैंकों में तुम्हारे वेतन खाते हैं वहाँ अवश्य जाओ और उनसे उनके सेविंग के विकल्पों के बारे में पूछो।
2. बैंकों के अलावा, नॉनबैंकिंग वित्तीय संस्थाओं के पास भी जाओ। इन संस्थाओं के पास वास्तव में बहुत अच्छे सेविंग विकल्प हुआ करते हैं।
3. बीमा देने वाली प्रमुख कंपनियों की बीमा पॉलिसियों की तहक़ीक़ात करो। और एक भरोसेमंद संस्थान का चयन करो।
4. कभी जल्दबाजी मत करो; हमेशा नियम और शर्तों को काफी ध्यान से पढ़ा करो।
5. सारी गणना स्वयं भी किया करो और इस बात की तसल्ली अवश्य कर लिया करो कि क्या वित्तीय सलाहकार तुम्हें सही राशि बता रहा है।
6. उन लोगों से सलाह-मशविरा अवश्य किया करो जो कई वर्षों से इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं।
7. इसके अलावा प्रत्येक को एक-एक पीपीएफ खाता जरूर खोलना चाहिए।
हम अपने पिता की सलाह आज्ञाकारी छात्रों की तरह सुन रहे थे, बिना एक भी शब्द कहे।
और इस तरीके से शरुआत हुई मेरे और मेरे पति के अपने वित्तीय इन्वेस्टमेंट की; आखिरकार, यह हमारी अथक मेहनत की कमाई है।
कर्ज़दार मुझे धमकी भरे फ़ोन करते है क्योंकि पति का कुछ पता नहीं