मेरी एक अरेंज मैरिज थी। मेरी सगाई से तीन दिन पहले, मेरे मंगेतर ने मुझे खरीदारी करने के लिए बुलाया। मैं रोमांचित हो गई थी कि उसने मुझे याद किया। हालांकि, उसने मुझे कुछ इस तरह ग्रीट किया, ‘‘मुझे लगता है तुम्हारे दांत काफी बड़े हैं। वे कभी-कभी भयानक लगते हैं। क्या तुम ब्रेसेज़ लगवा सकती हो? और अगर तुम यह कल ही कर लो तो बहुत अच्छा होगा। प्लीज़ मुझे गलत मत समझना। मैं बस इतना चाहता हूँ कि तुम और भी सुंदर दिखो।”
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मैं दंग रह गई थी। जब मैं घर लौटी तो मैंने उसे फोन कर के बताया कि मैं बुरी तरह आहत हुई थी, जिसके जवाब में उसने कहा, ‘‘मैं कुछ नहीं कर सकता। जैसे ही मैं तुम्हें तुम्हारे दातों के साथ मुस्कुराता हुआ देखता हूँ, मेरा प्यार गायब हो जाता है। तुम ब्रेसेज़ लगवा लो, फिर सब कुछ ठीक हो जाएगा।” मैं चकित रह गई थी। मैंने बताया कि समय के साथ मेरे लुक्स बदल जाएंगे; अगर उसका प्यार मेरे लुक्स से प्रभावित हो रहा है तो उसे इस रिश्ते पर पुनर्विचार करने की ज़रूरत है। हम शादी तोड़ देंगे। उसने विरोध किया और मुझसे कहा कि मैं उसके माता पिता को कुछ ना बताउं। मैंने उसे और अपने रिश्ते को दूसरा मौका दे दिया। वह मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती थी।
मेरे माता-पिता और मेरे दोस्त मुझे बहुत प्यार करते थे। हर कोई मेरे कद, मेरी मुस्कान की तारीफ किया करता था। मैं कॉलेज फैशन शो में मॉडलिंग किया करती थी। मैंने अंग्रेज़ी में बारहवीं बोर्ड में टॉप किया और कैंपस प्लेसमैंट्स के लिए अंग्रेजी सीखने में एक दोस्त की मदद की।
मेरा मंगेतर हर दिन नई कमियां निकाल कर अपनी परवाह दिखाता था। ‘‘जब हम खरीदारी करने जाते हैं तो तुम सेल्समेन के साथ अंग्रेज़ी में बात क्यों नहीं करती?’’ ‘‘प्लीज़ अपने सारे दांत दिखा कर मत मुस्कुराया करो, यह बहुत भद्दा दिखता है! होंठ बंद कर के मुस्कुराने की कोशिश किया करो।” ‘‘प्लीज़ वज़न कम करने के लिए जिम ज्वाइन कर लो।” ‘‘जब हम मेरे दोस्तों के साथ बाहर जा रहे हों, तो प्लीज़ ढंग के कपड़े पहना करो, वो लोग कितने अच्छे से तैयार होते हैं!’’ ‘‘मैंने कल तुम्हें ट्रेन में सोते हुए देखा। जब तुम सोती हो तो तुम्हारा मुंह खुला क्यों होता है? यह कितना भद्दा दिखता है!’’ वह हमेशा यह बात जोड़ता था, ‘‘यह तुम्हारे ही भले के लिए है।”
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धीरे-धीरे मुझे अहसास हुआ कि वह मुझे बेहतर व्यक्ति में नहीं बदल रहा था बल्कि मेरे आत्म मूल्य को कम कर रहा था। लेकिन तब तक मैं सारा आत्म विश्वास खो चुकी थी और एक स्टैंड नहीं ले पाई और उससे शादी कर बैठी।
हमारे हनीमून में झगड़ा हो गया था क्योंकि मैं ब्रेसेज़ नहीं लगवा रही थी। झगड़े और तर्क जारी रहे और दो महीनों के भीतर मेरी सेहत पर असर पड़ने लगा। एक दिन मेरी तबीयत ठीक नहीं थी और उसने पूछा, ‘‘तुम इतने तनाव में क्यों हो? क्या यह दांतों को लेकर हमारी बहसों के कारण है?’’ मैंने हामी में सिर हिलाया। उसने उत्तर दिया, ‘‘ठीक है, मैं यह मामला कभी नहीं दोहराउंगा!’’ मैं खुश हो गई लेकिन फिर उसने कहा, ‘‘तुम ब्रेसेज़ लगवा कर हमारी बहस को हमेशा के लिए खत्म क्यों नहीं कर देती?’’ मेरे पास कोई शब्द नहीं थे।
वह उसके दोस्तों और परिवार के सामने मेरा मज़ाक उड़ाया करता था (‘‘तुम्हें बुरा नहीं मानना चाहिए। मैं तुम्हारा साथी हूँ। तुम्हारी बुराइयों के बारे में बताने का मुझे हक है”) लेकिन मेरे परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के सामने प्यार जताया करता था।
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मैं हमेशा सह लेती थी क्योंकि मैं इमोशनल फ़ूल थी और उससे प्यार करती थी; शुरू में मैं कभी नहीं बताती थी कि मुझे बुरा लगा है। मैं चाहती थी कि उसे अहसास हो कि वह मुझे चोट पहुंचा रहा है। लेकिन वह बस अनदेखा कर देता था।
शादी के चार महीने बाद, मैंने उसे यह बताने के लिए बहुत साहस इकट्ठा किया कि अब सब खत्म हो चुका है। वह रोने लगा, ‘‘भले ही मेरे तरीके गलत रहे हों लेकिन मेरा इरादा ठीक था। प्लीज़ मुझे मेरा प्यार साबित करने का एक आखरी मौका दे दो, अगर मैं तुम्हें कभी दोबारा चोट पहुंचाउं तो तुम मुझे छोड़ देना।” मैं उसे दूसरे मौका देते हुए आगे बढ़ गई और वह मुझे नए तरीकों से चोट पहुंचाने लगा।
वह मुझे एक ग्लास दूध के लिए जगा देता था। उसने मेरा डेबिट कार्ड ले लिया और मुझे मेरे ही पैसों में से हर हफ्ते खर्च करने के लिए सिर्फ 500 रूपये देता था, यह कह कर कि मेरी तनख्वाह हमारी बचत में जाएगी। मुझे मेरे हर खर्च का हिसाब देना होता था, जबकि वह गुस्सा हो जाता था अगर मैं उसके खर्च के बारे में एक बार भी पूछ लूं। इसलिए मैंने मेरा कार्ड वापस ले लिया और उसका इस्तेमाल शुरू कर दिया।
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आज, हमारे विवाह के दस महीने बाद, जब मैं यह लिख रही हूँ, वह आज भी मेरी कमियां निकालने में व्यस्त है। लेकिन मैं एक दूसरे शहर में रहने लगी हूँ और मैंने अपनी पीएचडी शुरू कर दी है।
करवा चौथ अंतिम कड़ी थी। जब मैं अकेली थी और उपवास कर रही थी, मुझे एक मैसेज मिला, ‘‘हैप्पी करवा चौथ!’’ और रात में मुझे एक फोन आया, ‘‘चांद निकल आया है। अब तुम खा सकती हो।” यह बात मुझे अहसास दिलाने के लिए काफी थी कि मुझे आगे बढ़ना होगा। मैं कभी भी सब कुछ सुधार नहीं पाउंगी और वह कभी रूकेगा नहीं।
मैंने उत्तर दिया, ‘‘मुझे तलाक चाहिए।” मैं एक बहुत प्यार करने वाला पति पाने के योग्य हूँ। मैंने अपनी सारी ताकत इकट्ठा की, मेरे माता-पिता को सब कुछ समझाया और उसका घर छोड़ आई।
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