“तुम अब नहीं कहते कि मैं सुंदर हूँ। तुम इन दिनों रोमांटिक नहीं हो। यह अच्छा नहीं लगता। तुम्हें बस सेक्स चाहिए और मेरी भावनाएं कोई मायने नहीं रखती। तुम आत्म केंद्रित हो,’’ मेरी पत्नी ने जाते हुए कहा और फिर मेरे प्रति एक शयनकक्ष का युद्ध घोषित कर दिया।’ इस तरह राजेश ने पत्नी साजी के साथ वैवाहिक विवाद के बारे में बातचीत शुरू की।
यह घटना वैवाहिक विवाद पर एक अलग रूख थी। जोड़े के विवाहित जीवन में दृश्य रूप से कुछ भी गलत नहीं था। दोनों आईटी सेक्टर में काम करते हैं और दोनों घर लौटते हैं और घरेलू काम साथ में करते हैं। उनके विवाह में जो चीज़ सही नहीं है वह है उनकी सेक्स टाइमिंग, जिसकी वजह से एक अन्यथा अद्भुत जीवन उनके हाथ से निकल रहा है।
पूर्वनिर्धारित बनाम स्वाभाविक सेक्स
वह चाहती है कि उनका सेक्स पूर्वनिर्धारित हो, लेकिन पति को स्वाभाविक पसंद है, और वे एक मध्य मार्ग नहीं ढूंढ पा रहे हैं। साजी को रात और माहौल के लिए अच्छे से तैयार होना पसंद है, जबकि उसे साजी के आटे से सने हाथ कामुक लगते हैं और वह उसे बिस्तर पर खींच लेता है। साजी ने आरोप लगाया कि वह हमेशा सेक्स के बारे में ही सोचता है और डिनर खत्म होने तक का इंतज़ार नहीं करता। पति के अनुसार, खाना पकाने, सफाई करने, नहाने और फिर बिस्तर पर पहुंचने में और 2-3 घंटे लग जाएंगे, उसके पास उतना धैर्य नहीं है, वह कहता है। वह हैरान था कि वह बस आवेग में जुड़ क्यों नहीं जाती।
पति के लिए दिन के अंत में सेक्स और अपनी पत्नी के साथ उसका संपर्क तनाव मुक्ति का एक श्रेष्ठ साधन है। लेकिन उनका सेक्स जीवन हमेशा असंतोष और झगड़े पर समाप्त होता था। साजी हर बार एक योजनाबद्ध और पूर्वनियोजित सेक्स पसंद करती थी, वह चाहती थी कि वह अच्छी दिखे और अच्छी सुगंध दे। उसके पास अवसर की प्रतीक्षा कर रहे विशेष ढीले गाउन, संगीत और सुगंधित मोमबत्तियां हैं। वह ऐसी सेटिंग बनाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने को भी तैयार है, लेकिन पति की स्वाभाविकता को समझने और सहयोग करने में विफल है।
सरप्राइज़ नहीं चाहिए
वह अनियोजित आश्चर्य नहीं चाहती थी। राजेश तात्कालिक, कहीं भी और कभी भी किस्म का था। राजेश के मुताबिक, पत्नी ने सेक्स की समयसारणी बनाई थी और चीज़ें तदानुसार होनी चाहिए थी; दिन के समय और टाइमिंग को समय सारणी का पालन करना होता था। ‘‘भले ही मैं कितनी भी कोशिश कर लूँ, मैं नियमितता के मामले में मात खा जाता था। मैंने पूर्वनिर्धारण करने की कोशिश की, लेकिन हम दोनों काम करते हैं, इसलिए तकनीकी रूप से हमारे पास सोने से पहले सेक्स करने का बहुत कम अवसर बचता है, इसलिए पूर्वनिर्धारण करना हमारे कार्यक्रम में ठीक नहीं बैठता,’’ राजेश बताता है।
अब यह इस स्थान तक पहुँच गया है कि टकराव से बचने के लिए, राजेश सेक्स शुरू ही नहीं करता और पत्नी पर छोड़ देता है। लेकिन फिर पूर्वनिर्धारण यदा-कदा ही हो पाता है और उनका जीवन फीका हो गया है। ‘‘मैं जानता हूँ कि पूर्व निधारित और स्वाभाविक के बीच एक संतुलन होना चाहिए। सेक्स की योजना बनाना पहले ही मेरा मन उचाट कर देता है। स्वाभाविकता में एक आकर्षण है, ऊर्जा निर्मित होती है और अनियोजित जुनून उत्पन्न होता है। यह वास्तविक और मज़ेदार है, और सरप्राइज़ हमेशा ऐसे उपहार हैं जिनका स्वागत किया जाता है तो इसकी योजना क्यों बनाना?’’ राजेश का प्रश्न है।
संतुलन कैसे बनाएं?
राय का अंतर इस जोड़े पर बहुत दबाव डाल रहा था क्योंकि वे अपने- अपने विकल्पों पर टिके हुए थे। ‘‘मुझे लगता है कि हमें पूर्व निर्धारण को अपनाना होगा ताकि हम दबाव को कम कर सकें और उसे पूर्व निर्धारित स्वाभाविकता को स्वीकार करना शुरू करना होगा,’’ यह उसका सुझाव था। लेकिन वे इसे व्यवहारिक कैसे बनाएंगे?
अधिकतर संबंधों में, सेक्स और उसके समय पर राय में अंतर होता है। इसके अलावा, एक साथी की कामेच्छा दूसरे से ज़्यादा होगी। यह मायने नहीं रखता कि किसकी कामेच्छा ज़्यादा है लेकिन समय और निरंतरता के संबंध में समझौता किया जाना चाहिए। आदर्श रूप से, कम यौनेच्छा वाले साथी की आवश्यकता से ज़्यादा, और उच्च कामेच्छा वाले साथी की इच्छा से कम सेक्स करना चाहिए। इस मामले में, एक पूर्व निर्धारित स्वाभाविकता निर्मित करने की समझ भी आदर्श रहेगी। इसका अर्थ है कि कुछ सेक्स को रखरखाव सेक्स होना होगा ताकि जीवन सुचारू रूप से चलता रहे। इसके लिए दोनों साथियों द्वारा काफी समझ और प्रयास की आवश्यकता होगी। जब कोई डिनर डेट्स और फिल्में पूर्व निर्धारित कर सकता है, तो सेक्स जीवन क्यों नहीं?
sach me pahle planing kiya hua sex natural nhi hota. vo to asa hoga jese hmne sex arrang kiya.per koi feelings kase arreng kr skta h sex bs vsa hi h.bilkul jangli vo sincear nhi ho skta ????