डॉ. रीमा मुखर्जी एमबीबीएस, डीपीएम, एमआरसी साइक (लंदन)
यूके में 7 साल का अनुभव प्राप्त करने के बाद, डॉ मुखर्जी ने कोलकाता में क्रिस्टल माइंड्स, एक मानसिक कल्याण केंद्र (सभी आयु वर्गों के लिए मनोवैज्ञानिक सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रस्तुत करने वाली एक बहुआयामी टीम) की स्थापना की। पिछले 20 वर्षों में उन्होंने अपने जुनून और एक सुरक्षित समाज की उनकी परिकल्पना, जो कलंक के डर के बगैर जीने की दिशा में अग्रसर है, जो जागरूकता का अनुभव करे, और सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा दे, उसके लिए उन्होंने कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं।
शादी में अनसुलझा असंतोष
प्रत्येक विवाह में शामिल दोनों लोग असंतोष पालने के लिए कोई ना कोई चीज़ ढूंढ ही लेते हैं। लंबे समय तक दिल, दिमाग और विवाह में अनसुलझा असंतोष विवाह में विनाश का कारण बन सकता है। यह अंततः आरोप, सफाई, प्रत्यारोप, चीखने चिल्लाने और भी बहुत बुरी स्थिति में पहुंच जाता है। अनसुलझी समस्याएं अपने आप नहीं सुलझ जाती हैं। वे वहीं रहती हैं और सड़ने लगती हैं।
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विवाह में असंतोष पैदा करने वाली मुख्य समस्याएं:
एक बाहरी समस्या
कई बार परेशानी बाहरी समस्या के कारण होती है, जो पति या पत्नी से उत्पन्न नहीं हुई है। उदाहरण के लिए, शायद पत्नी को उसका सास द्वारा कहे गए कुछ शब्दों की वजह से पीड़ा हुई है। अपने पति के साथ चर्चा करने पर, पत्नी ने पाया कि वह उसका साथ नहीं दे रहा है या फिर पूरी तरह से अपनी माँ का पक्ष ले रहा है और इस प्रकार द्वेश की शुरूआत हो गई। यहां पर समस्या उस व्यक्ति द्वारा नहीं सुलझाई गई जिसने द्वेश उत्पन्न किया, और किसी तीसरे व्यक्ति की वजह से रिश्ते में तनाव है।
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सामान्य जोड़ा और शादी की समस्याएं
अक्सर पुरूष और स्त्री शादी के बाद के जीवन के बारे में कुछ कल्पना कर लेते हैं। हो सकता है उन्हें लगे कि वे एक दूसरे को अच्छे से जानते हैं, लेकिन शादी के बाद हर कोई चीज़ों को अलग-अलग तरह से देखता है। एक पुरूष जो उदार और आधुनिक प्रतीत होता है, वह अपनी पत्नी को नौकरी करने से रोक सकता है या वह जो पहनती है उस पर रोक टोक कर सकता है। हो सकता है एक युवा स्त्री की नए घर में जाने के बारे में कुछ अलग ही अपेक्षा हो। हो सकता है पुरूष ने शादी के बाद अपने जीवन के बारे में भावी पत्नी को स्पष्ट तस्वीर नहीं दी हो। इन सभी समस्याओं की वजह से युवा जोड़ा एक दूसरे पर आरोप लगा सकता है, ‘‘तुम बदल गए हो, अब तुम प्यार नहीं करते, तुम मेरे बारे में नहीं सोचते, तुम्हारे पास मेरे लिए समय नहीं है….’’ आदि। समय के साथ, पत्नी पर एक पीछे पड़ने वाली स्त्री का ठप्पा लगा दिया जाता है और पति पर ऐसे व्यक्ति का जो पत्नी के लिए कुछ नहीं कर सकता।
साथ ही, पति जो हमेशा से उस घर में रहा है, वह समझ नहीं पाता कि नई पत्नी वहां सहज क्यों महसूस नहीं करती। पति को इसे समझने का प्रयास करना चाहिए।
एक जोड़े को प्रभावित करने वाली गंभीर समस्याएं
हो सकता है साथियों में से एक गंभीर और परेशान करने वाली समस्याओं जैसे ड्रग्स/ शराब/ जुआ/ खरीदारी/ क्रोध की समस्याएं, परिवार में बिमारी और अन्य कारणों द्वारा असंतोष महसूस कर रहा है।
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गर्भावस्था और बच्चों के बाद जीवन
गर्भावस्था और छोटे बच्चों के आगमन के साथ, एक महिला का जीवन पूरी तरह से बदल जाता है। उसका शरीर काफी चीज़ों से गुज़रता है; डिलिवरी, सी सेक्शन के मामले में सर्जरी, नैप्पी, स्तनपान, बेबी बर्पिंग और सैकड़ों चीज़ें। अत्यधिक भावनात्मक, शारीरिक और जीवनशैली के बदलावों से निपटने से, महिलाएं सोच में पड़ जाती है कि क्या वे वापस पुराने जीवन में जा सकेंगी। इसी बीच, पति पहले जैसा ही दिखता है, उसका शरीर किसी भी बदलाव से नहीं गुज़रता है, वह पहले की ही तरह ऑफिस जाता है।
हो सकता है वह शानदार/ घनिष्ठ पिता हो, लेकिन कई पत्नियों में धोखा महसूस करना मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया होती है, तब भी जब वे अपनी पति से बहुत प्यार करती हों। असंतोष समय के साथ बढ़ सकता है। मिसाल के तौर पर, बच्चे की बिमारी के लिए हमेशा पति को ही छुट्टी लेनी पड़ती है, पति कभी छुट्टी नहीं लेता है।
इसके अलावा, एक सक्रिय पिता को प्रोत्साहित नहीं किया जाता है। मैं एक युवा जोड़े के घर गई थी, वहां दादी मेरे सामने अपने पोते को झिड़क रही थी कि वह सर्जन होने पर भी बच्चे के डायपर क्यों बदल रहा है।
बाहरी लोगों द्वारा गलत सलाह
अक्सर जब उनके दोस्तों और परिवार से भड़काने वाली सलाह मिलती है तो एक जोड़े की समस्या बढ़ जाती है। भले ही वे अपने पति/ पत्नी के लिए सबसे अच्छा चाहते हों, जब शुभचिंतकों की सलाह ऐसे वाक्यांशों के साथ आती है, ‘‘उसकी हिम्मत कैसे हुई ऐसा करने की…. या उसे सबक सिखाना होगा…’’ मेरे अनुभव में, इससे कुछ हासिल नहीं होता।
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जब वे शादी में कानून को घसीटते हैं
पुरूष/ महिला के शोषण और उत्पीड़न के वास्तविक मामलों को पर्याप्त सबूत के साथ पुलिस तक ले जाना चाहिए। लेकिन हम देख रहे हैं कि आजकल कानून का उपयोग न्याय के लिए नहीं बल्कि दबाव डालने, मेनिपुलेट करने और दूसरे पक्ष को डराने के लिए किया जा रहा है। ऐसी समस्याएं जो छह महीने तक जोड़ों के परामर्श द्वारा ठीक हो सकती हैं उन्हें सबसे बदतर तरीके से सुलझाया जा रहा है – पुलिस को शामिल करके।
कानून की विभिन्न धाराओं की सहायता ली जाती है, आमतौर पर धारा 498 ए (घरेलू शोषण)। जब एक साथी किसी बाहरी व्यक्ति से सहायता लेता है और अपने साथी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाता है, तो यह रिश्ते के लिए मौत की घंटी के समान है। वकील की सलाह शायद ही कभी जोड़े के हित में होती है। अक्सर चीज़ें बद से बदतर हो जाती हैं।
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बाद में बच्चों की खातिर, जोड़ा कोर्ट के बाहर समझौते और सुलह पर विचार करता है, जिस साथी के खिलाफ केस दर्ज था (अधिकतर केस पुरूषों के खिलाफ ही दर्ज होते हैं), उसे यह स्वीकार करना मुश्किल लगता है कि कैसे ‘दूसरे’ लोगों के लिए उनका साथी उसे जेल भेजने के लिए तैयार था और वह महीनों तक सार्वजनिक अपमान और शर्मिंदगी से गुज़रता है। उसे मेरी परवाह नहीं है। मैं वापस इस विवाह में कैसे जाउं? जख्म के निशान स्थायी होते हैं। 99.9 प्रतिशत मामलों में, ऐसे अनुभवों के बाद जोड़ों के संबंध कभी नहीं सुधर पाते हैं।
असंतोष का समाधान किया जाना चाहिए
विवाह में कभी भी असंतोष नहीं पालना चाहिए। लंबे समय तक परेशानियों के किसी भी संकेत को संबोधित किया जाना चाहिए और जितनी जल्दी हो सके असंतोष की पहचान की जानी चाहिए। ऐसे कई जोड़े हैं जिन्होंने बुरा समय और नकारात्मकता देखी है, लेकिन फिर भी, एक दृढ़ इच्छाशक्ति, सकारात्मक दृष्टिकोण और परामर्श के साथ, वे इससे बाहर निकलने में और अधिक मजबूत होने में कामयाब रहे हैं। शादी में असंतोष को हल करना संभव है।